नई दिल्ली 03 अप्रैल।उच्चतम न्यायालय ने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के अंतर्गत तुरंत गिरफ्तारी तथा मुकदमे के पंजीकरण पर प्रतिबंध से संबंधित अपने 20 मार्च के फैसले पर रोक लगाने से इंकार कर दिया है।
न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल और न्यायमूर्ति उदय उमेश ललित की पीठ ने कहा कि न्यायालय विस्तृत सुनवाई के लिए केंद्र की पुनर्विचार याचिका पर विचार करेगा। पीठ ने कहा कि मामले को दस दिन के बाद सूचीबद्ध किया गया है। पीठ ने सभी पक्षों से निर्धारित समय के भीतर लिखित दलील सौंपने को कहा है। सरकार ने कल पुनर्विचार याचिका दायर की थी।
अटॉर्नी जनरल के. के. वेणुगोपाल की दलील सुनते हुए उच्चतम न्यायालय ने टिप्पणी की कि आंदोलनकारियों ने न्यायालय के फैसले को अच्छी तरह से नहीं पढ़ा है और निहित स्वार्थी तत्वों ने उन्हें गुमराह किया है।पीठ ने कहा कि उसने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति कानून के प्रावधानों को कमजोर नहीं किया है, यह केवल निर्दोष लोगों को गिरफ्तारी से बचने में उनके हितों को सुरक्षित किया है।