रिपोर्ट में कहा गया है कि मुख्य सचिव के बेटे की कंपनी को कथित तौर पर दिल्ली सरकार के आईएलबीएस अस्पताल से बिना टेंडर एआई सॉफ्टवेयर बनाने का काम सौंपा गया। साथ ही आरोप लगाया कि इस प्रयास से कंपनी को करोड़ों रुपये का फायदा पहुंचाया।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने मुख्य सचिव नरेश कुमार से जुड़े अस्पताल घोटाले की जांच रिपोर्ट उपराज्यपाल वीके सक्सेना को भेज दी है। इसी के साथ मुख्य सचिव को तुरंत पद से और सस्पेंड करने की मांग की है। दिल्ली की सतर्कता मंत्री आतिशी ने मुख्य सचिव नरेश कुमार पर एक और गंभीर आरोप लगाया है। इसमें कहा गया कि उन्होंने अपने बेटे को फायदा पहुंचाने के लिए बिना टेंडर जारी किए एआई सॉफ्टवेयर के लिए काम दिलवाया। मंत्री ने शुक्रवार इससे जुड़ी पूरक रिपोर्ट मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को सौंपी। जिसके बाद अब केजरीवाल ने जांच रिपोर्ट उपराज्यपाल को भेजी है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि मुख्य सचिव के बेटे की कंपनी को कथित तौर पर दिल्ली सरकार के आईएलबीएस अस्पताल से बिना टेंडर एआई सॉफ्टवेयर बनाने का काम सौंपा गया। साथ ही आरोप लगाया कि इस प्रयास से कंपनी को करोड़ों रुपये का फायदा पहुंचाया।
दिल्ली सरकार के सूत्रों का कहना है कि नरेश कुमार दिल्ली के मुख्य सचिव के साथ आईएलबीएस अस्पताल के चेयरमैन भी हैं। इस रिपोर्ट में कहा गया कि मुख्य सचिव के बेटे की कंपनी कथित तौर पर केवल सात महीने पहले बनी थी और उन्हें एआई आधारित सॉफ्टवेयर बनाने का कोई अनुभव नहीं था। मुख्यमंत्री को सौंपी रिपोर्ट में मंत्री ने सिफारिश की है कि मुख्य सचिव को तुरंत उनके पद से हटा दिया जाए और उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए। साथ ही इस मामले की जांच सीबीआई को सौंपने की सिफारिश की। बता दें कि इससे पहले दिल्ली सरकार ने द्वारका एक्सप्रेसवे परियोजना से जुड़े कथित भूमि अधिग्रहण के मामले को सीबीआई को सौंपने के लिए पत्र लिखा था।
सॉफ्टवेयर के लिए नहीं किया भुगतान
आईएलबीएस ने एक बयान जारी करते हुए कहा कि अस्पताल ने किसी भी एआई सॉफ्टवेयर के लिए कोई भुगतान नहीं किया और न ही इस तरह के सॉफ्टवेयर के लिए खरीद का आदेश जारी किया। आईएलबीएस के सेवानिवृत कर्नल आर एस सिंह ने बयान में लिखा कि अस्पताल उचित नियमों के तहत काम करता है।
आईएलबीएस समझौते से नहीं किया इनकार
आईएलबीएस के बयान पर दिल्ली सरकार के सूत्रों ने कहा कि अस्पताल ने हमारी बातों का खंडन नहीं किया। अस्पताल ने केवल यही कहा कि आईएलबीएस ने कंपनी को कोई सीधा भुगतान नहीं किया, जबकि सतर्कता मंत्री ने भी अपनी रिपोर्ट में ऐसे कोई सवाल नहीं उठाए हैं। सूत्रों का कहना है कि अस्पताल के बयान से स्पष्ट है कि एआई सॉफ्टवेयर के लिए समझौता करने से पहले कोई टेंडर जारी नहीं किया गया। यह समझौता मूल्यवान डेटासेट तक अप्रतिबंधित पहुंच प्रदान करने में सक्षम बनाता है। साथ ही आईएलबीएस की सैकड़ों करोड़ रुपये की चिकित्सा विशेषज्ञता व पिछले दस साल में दिल्ली सरकार के 1350 करोड़ रुपये से अधिक के निवेश के लिए प्रेरित करता है। सरकार ने सवाल उठाए हैं कि आईएलबीएस के चिकित्सा अनुसंधान, डेटाबेस और चिकित्सा परामर्श को प्रतिस्पर्धी बोली से एआई सॉफ्टवेयर डेवलपर को प्रदान किया गया होता, तो आईएलबीएस को करोड़ों का राजस्व प्राप्त होता। इसे बनाने के लिए 7 महीने पुराने स्टार्टअप को मुफ्त में देने से सरकारी खजाने को भारी नुकसान हुआ है। इसके अलावा इसमें यह भी नहीं कहा गया कि उक्त कंपनी को आईएलबीएस में 3500 वर्ग फीट जमीन मुफ्त में उपलब्ध करवाई गई। यह कंपनी को समझौते के माध्यम से एआई सॉफ्टवेयर के व्यावसायीकरण से लाभ का 50 फीसदी हिस्सा दिया गया।
बेटे को दिलाया वित्तीय लाभ
दिल्ली सरकार के सूत्रों ने आरोप लगाया कि बामलोनी में भूमि अधिग्रहण मामले में मुख्य सचिव ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर बेटे को फायदा पहुंचाया, ताकि उनके बेटे की कंपनी को भारी वित्तीय लाभ मिल सके।