एंबुलेंस चालक बब्बी कुमार ने बताया कि अस्पताल में 15 दिनों से दोनों लावारिस भर्ती थे। इनमें एक सांस की बीमारी से पीड़ित है और दूसरे की टांग टूटी है। अस्पताल में इनकी देखभाल करने वाला कोई नहीं था।
पंजाब के मानसा जिले के सिविल अस्पताल में भर्ती गुजरात के दो लावारिस मरीजों को अस्पताल से उठाकर सुनसान जगह पर छोड़ दिया गया। इस एक मरीज की मौत होने से स्वास्थ्य विभाग सवालों के घेरे में आ गया। घटना के बाद अस्पताल के मेडिकल स्टाफ पर उंगली उठी। शव को सिविल अस्पताल के शवगृह में रखवा दिया गया है। सिविल अस्पताल में दाखिल मरीज कुछ भी नहीं बोल पा रहा है।
स्वास्थ्य विभाग ने जिम्मेदार डॉक्टरों पर कार्रवाई के लिए जांच कमेटी बनाने की बात कही है। समाजसेवी लोगों का कहना है कि गैर-अमानवीय कृत्य अस्पताल प्रशासन के कहने पर किया गया। कुछ डॉक्टरों ने एंबुलेंस चालक को पैसे देकर मरीजों को सड़क पर फेंकवाया क्योंकि वे उनकी देखभाल नहीं कर सकते थे।
एंबुलेंस चालक बब्बी कुमार ने बताया कि अस्पताल में 15 दिनों से दोनों लावारिस भर्ती थे। इनमें एक सांस की बीमारी से पीड़ित है और दूसरे की टांग टूटी है। अस्पताल में इनकी देखभाल करने वाला कोई नहीं था।
सीपीआई (एमएल) लिबरेशन के नेता राजविंदर सिंह राणा, एंटी ड्रग एक्शन कमेटी के परविंदर सिंह झोटा ने बताया कि घटना की पड़ताल करने पर यह बात सामने आई कि अस्पताल के कुछ डॉक्टरों ने इन मरीजों से छुटकारा पाने के लिए एंबुलेंस चालक को पैसे दिए और इन मरीजों को अस्पताल से उठवा दिया और बाहर छोड़ आने की बात कही। दोनों लावारिस मरीजों को ग्रीन वैली कॉलोनी के पास कब्रिस्तान के पास छोड़ दिया गया। इनमें एक मरीज की मौत हो गई। दूसरे मरीज को समाजसेवियों ने दोबारा अस्पताल में भर्ती कराया।
लोगों ने जिम्मेदार डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मियों के खिलाफ मामला दर्ज कर ठोस कार्रवाई करने की मांग की है। मानसा के सिविल सर्जन डॉ. रणजीत सिंह राय ने कहा कि उन्होंने मामले की जांच के लिए एक कमेटी बनाई है। उन्होंने माना कि यह घटना शर्मनाक है और जांच में जो भी दोषी पाया जाएगा उसके खिलाफ सख्त विभागीय कार्रवाई की जाएगी।