संजय राउत ने कहा कि हम ये बात तय नहीं करते कि कौन पुरुष है, महापुरुष है या युगपुरुष है, बल्कि इतिहास, सदियां और लोग ये तय करते हैं।
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अपने एक हालिया बयान में पीएम मोदी की तारीफ करते हुए उन्हें युगपुरुष बताया था। अब उपराष्ट्रपति के इस बयान पर राजनीति शुरू हो गई है। दरअसल शिवसेना (यूबीटी) नेता संजय राउत पीएम मोदी को युगपुरुष बताने पर भड़क गए और वह पीएम मोदी के खिलाफ आपत्तिजनक बयान दे गए।
क्या बोले संजय राउत
संजय राउत ने उपराष्ट्रपति के बयान पर कहा कि ‘2024 के बाद भी अपनी बात पर कायम रहिएगा। हम ये बात तय नहीं करते कि कौन पुरुष है, महापुरुष है या युगपुरुष है, बल्कि इतिहास, सदियां और लोग ये तय करते हैं। महात्मा गांधी का पूरी दुनिया में सम्मान है।’ इसके बाद संजय राउत ने आपत्तिजनक बयान देते हुए कहा कि ‘अगर ऐसा होता तो हमारे जवान जम्मू कश्मीर में ना मर रहे होते और ना ही चीन, लद्दाख में दाखिल होता।’
बता दें कि संजय राउत अक्सर अपने बयानों में सत्ताधारी भाजपा के खिलाफ काफी मुखर रहते हैं। हाल ही में आदित्य ठाकरे के मथुरा दौरे को लेकर संजय राउत ने कहा था कि ‘मथुरा, अयोध्या और द्वारका किसी की संपत्ति नहीं हैं। हम हिंदुत्व पार्टी हैं और हमारी पार्टी के कई कार्यकर्ता पहले भी मथुरा जा चुके हैं।’
उपराष्ट्रपति ने पीएम मोदी की तारीफ में कही थी ये बात
बता दें कि मुंबई में श्रीमद राजचंद्र की वर्षगांठ पर आयोजित एक कार्यक्रम में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा था कि ‘बीते सदी के महापुरुष महात्मा गांधी थे, जबकि इस सदी के युगपुरुष पीएम मोदी हैं। महात्मा गांधी ने हमें सत्य और अहिंसा से अंग्रेजों की गुलामी से आजाद कराया। पीएम मोदी हमें प्रगति के उस रास्ते पर लेकर जा रहे हैं, जहां हम हमेशा से जाना चाहते थे।’ बता दें कि कई विपक्षी नेताओं ने भी उपराष्ट्रपति के बयान की आलोचना की।
कांग्रेस नेता मनिकम टैगोर ने उपराष्ट्रपति के बयान को शर्मनाक बताया और कहा कि चापलूसी की भी एक सीमा होती है। कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया कि ‘देश का हर संस्थान तबाह हो रहा है। देश के उपराष्ट्रपति महात्मा गांधी की तुलना पीएम मोदी से कर रहे हैं, यह बिल्कुल भी स्वीकार्य नहीं है। यहां तक कि पीएम मोदी भी इसे स्वीकार नहीं करेंगे। यह सुनकर दुख हुआ।’ बसपा सांसद दानिश अली ने भी उपराष्ट्रपति के बयान पर तंज कसा और कहा कि संसद में नया युग शुरू हो गया है और एक सांसद को एक विशेष समुदाय के खिलाफ अभद्र भाषा का इस्तेमाल करने दिया जाता है।