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लोकसभा ने आपराधिक कानून के तीन विधेयकों को दी मंजूरी

नई दिल्ली 20 दिसम्बर।लोकसभा ने भारतीय न्याय (द्वितीय) संहिता 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा  (द्वितीय)  संहिता 2023 और भारतीय साक्ष्य (द्वितीय) विधेयक 2023 पारित कर दिया है।

   भारतीय न्याय (द्वितीय) संहिता 2023, भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) 1860 का स्थान लेगा। ये देश में आपराधिक अपराध पर प्रमुख कानून है। नया विधेयक सामुदायिक सेवा को सजा के रूप में परिभाषित करता है। भारतीय नागरिक सुरक्षा (द्वितीय) संहिता 2023 आपराधिक प्रक्रिया संहिता 1973 (सीआरपीसी) की जगह लेगा। सीआरपीसी गिरफ्तारी, अभियोजन और जमानत के लिए है। भारतीय साक्ष्य (द्वितीय) विधेयक 2023 (बीएसबी2) भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1872 का स्थान लेगा। यह अधिनियम भारतीय न्यायालयों में साक्ष्य की स्वीकार्यता पर है। यह सभी नागरिक और आपराधिक कार्यवाहियों पर लागू होता है।

    इन कानूनों में एफआईआर से लेकर केस डायरी, केस डायरी से लेकर आरोप पत्र और आरोप पत्र से लेकर फैसले तक की पूरी प्रक्रिया को डिजिटल बनाने का प्रावधान किया गया है।

   गृह मंत्री अमित शाह ने तीनों आपराधिक विधेयकों को परिवर्तनकारी बताया। इनका उद्देश्य ब्रिटिश काल के कानूनों को बदलना है। उन्होंने कहा कि नया कानून मौजूदा आपराधिक न्याय प्रणाली में बड़ा बदलाव लाएगा। श्री शाह ने कहा कि ये डेढ सौ वर्ष पुराने ब्रिटिश काल के कानून हैं और प्रधानमंत्री ने इन औपनिवेशिक काल के कानूनों को देश में खत्म करने का फैसला किया है।

उन्होंने कहा कि वर्तमान कानूनों में केवल दंडात्मक कार्रवाई के प्रावधान हैं लेकिन नए कानून मानवीय दृष्टिकोण को ध्यान में रखते हुए तैयार किए गए हैं। नए कानूनों के प्रावधानों के बारे में बताते हुए गृह मंत्री ने कहा कि इसमें महिलाओं और बच्चों को प्राथमिकता दी गई है और ये कानून संविधान की भावना के अनुरूप हैं। उन्होंने कहा कि यह पहली बार है कि आतंकवाद को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया गया है। श्री शाह ने कहा कि मॉब लिंचिंग एक जघन्य अपराध है और इसके लिए मौत की सजा होगी।

    गृह मंत्री ने कहा कि भारतीय नागरिक सुरक्षा (द्वितीय) संहिता 2023 के अंतर्गत सीआरपीसी में 531 धाराएं होंगी, जबकि पहले केवल 484 धाराएं थीं। श्री शाह ने कहा कि नए विधेयक के अंतर्गत 177 धाराओं में बदलाव किए गए हैं और नौ नई धाराएं जोड़ी गई हैं, जबकि 14 धाराएं निरस्त कर दी गई हैं।

    गृहमंत्री ने कहा कि भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) 1860 की जगह लेने वाली भारतीय न्याय (द्वितीय) संहिता 2023 के अंतर्गत पहले की 511 धाराओं के बजाय अब 358 धाराएं होंगी। श्री शाह ने कहा कि 21 नए अपराध जोड़े गए हैं और 41 अपराधों में सजा की अवधि बढ़ा दी गई है।

   गृह मंत्री ने कहा कि भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1872 की जगह लेने वाले भारतीय साक्ष्य (द्वितीय) विधेयक 2023 के अंतर्गत पहले की 167 धाराओं के बजाय अब 170 धाराएं होंगी। उन्होंने कहा कि 24 धाराओं में बदलाव किये गये हैं।