अयोध्या के राम मंदिर में स्थापित करने के लिए तीन मूर्तियों का निर्माण किया गया था। एक प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा हो चुकी है जिसे बालक राम नाम दिया गया। बाकी की दो मूर्तियां कारसेवकपुरम में रखी हुई हैं।
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की ओर से निर्मित कराई गईं तीन मूर्तियों में से दो मूर्तियां अभी रामसेवकपुरम स्थित कर्मकुटी में ही विराजमान हैं। कर्नाटक के मूर्तिकार अरुण योगीराज की बनाई मूर्ति का चयन प्राण प्रतिष्ठा के लिए किया गया था। 22 जनवरी को पीएम नरेंद्र मोदी ने जिस मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की उसे बालक राम नाम दिया गया है। (तस्वीरें- गणेश भट्ट, मूर्तिकार, मूर्तिकार सत्यनरायण पांडेय की बनाई सफेद संगमरमर की रामलला की मूर्ति।)
तीन मूर्तियां तीन पत्थरों पर तीन कारीगरों ने बनाई हैं। श्याम शिला पर कर्नाटक के अरुण योगीराज व संगमरमर पर राजस्थान के मूर्तिकार सत्यनारायण पांडेय ने मूर्ति को आकार दिया है। एक मूर्ति कर्नाटक के ही मूर्तिकार गणेश भट्ट ने बनाई है। तीन मूर्तियों में से सर्वाेत्तम के चयन ट्रस्ट की बैठक हुई थी। गुप्त मतदान भी हुआ था, जिसमें अरुण योगीराज की मूर्ति का चयन हुआ।
ट्रस्ट के सूत्रों के अनुसार, रामलला की दो अन्य मूर्तियां रामसेवकपुरम में उसी स्थान पर रखी हुई हैंं, जहां उनका निर्माण हुआ है। यहां किसी को जाने की अनुमति नहीं है। रामसेवकपुरम में सुरक्षाकर्मियों की भी तैनाती रहती है। इन दो मूर्तियों का भविष्य क्या होगा, यह अभी तय नहीं है।
रामलला की ये दोनों मूर्तियां भी मुग्ध करती हैं। इन्हें कहां स्थापित किया जाएगा, इसको लेकर अभी कोई जानकारी सामने नहीं आई है। हालांकि राममंदिर में इन्हें स्थापित किए जाने की संभावना बहुत कम है। वहीं, राममंदिर ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय का कहना है कि मूर्तियों को उचित सम्मान दिया जाएगा।
मूर्तिकार सत्यनारायण पांडेय का कहना है कि हमने बड़े ही भाव से मूर्ति का निर्माण किया है। रामलला की महती कृपा है कि इस सेवा का अवसर मिला। हमने मूर्ति बनाकर ट्रस्ट को समर्पित कर दी है। ट्रस्ट निश्चित रूप से मूर्ति को यथोचित सम्मान देगा।
मूर्तिकार गणेश भट्ट का कहना है कि ट्रस्ट के निर्देश पर ही हमने मूर्ति बनाई है। जीवन की पूरी कला मूर्ति निर्माण में लगा दी है। सौभाग्यशाली हैं कि रामलला की मूर्ति बनाने का अवसर मिला। मूर्ति का क्या करना है, ट्रस्ट जाने।