हैलट का न्यूरो साइंसेस सेंटर प्रदेश का पहला सेंटर होगा, जहां न्यूरो हिस्टोपैथोलॉजी, न्यूरो रेडियोलॉजी, न्यूरो अनेस्थेसिया और न्यूरो ऑफ्थेलमोलोजी के अलग से विभाग होंगे।
कानपुर में हैलट के न्यूरो साइंसेज सेंटर में हर प्रकार के न्यूरो रोग का इलाज मिलेगा। न्यूरो पैथोलॉजी विभाग और न्यूरो रेडियोलॉजी विभाग में रोगी की सटीक जांच होगी और विशेषज्ञ उसे इलाज देंगे। न्यूरो रोगियों को इलाज के लिए लखनऊ, दिल्ली और मुंबई नहीं जाना पड़ेगा। हैलट का न्यूरो साइंसेज सेंटर प्रदेश का पहला सेंटर होगा, जहां न्यूरो हिस्टोपैथोलॉजी, न्यूरो रेडियोलॉजी, न्यूरो अनेस्थेसिया और न्यूरो ऑफ्थेलमोलोजी के अलग से विभाग होंगे। न्यूरो ऑफ्थेलमोलोजी में न्यूरो से संबंधित नेत्र रोग की जांच की जाएगी। इसके साथ ही इन विषयों में विशेषज्ञ शोध करेंगे, जिससे नई समस्याओं का हल मिल सकेगा।
न्यूरो साइंसेस प्रमुख डॉ. मनीष सिंह ने बताया कि न्यूरो हिस्टोपैथोलॉजी, रेडियोलॉजी और न्यूरो ऑफ्थेलमोलोजी में एक प्रोफेसर, एक एसोसिएट प्रोफेसर और एक असिस्टेंट प्रोफेसर के पद सृजित हो गए हैं। न्यूरो साइंसेज सेंटर में ये अलग-अलग विभाग होंगे। अभी तक प्रदेश में अलग विभाग नहीं हैं। एसजीपीजीआई और दूसरे चिकित्सा संस्थानों में इनकी यूनिट है, जो संबंधित विभाग में बना ली जाती है। इसके अलावा प्रदेश के राजकीय मेडिकल कॉलेजों में यहां सबसे अधिक फैकल्टी हो गई। सेंटर के न्यूरोलॉजी में नौ न्यूरोलॉजिस्ट हैं और सर्जरी में सर्जन की संख्या 10 है। सुपर स्पेशियलटी की डिग्री एमसीएच वाले पांच न्यूरो सर्जन और उपलब्ध हो गए हैं।
आंखों की नसों और तंत्रिकाओं का होगा इलाज
डॉ. मनीष सिंह ने बताया कि नेत्र रोग में रोगी की आंखों की नसों और तंत्रिकाओं की दिक्कत हो जाती है। ऐसे न्यूरो नेत्र रोगियों का इलाज विभाग में हो जाया करेगा। इसके साथ ही उनकी जांच भी हो जाएगी। न्यूरो अनेस्थेसिया का भी विभाग खुलेगा। इसमें एक प्रोफेसर समेत तीन विशेषज्ञों की पोस्ट हैं। ये न्यूरो रोगों से संबंधित अनेस्थेसिया के विशेषज्ञ होंगे। अभी कोई अनेस्थेसिया विभाग से विशेषज्ञ बुलाए जाते हैं। डॉ. सिंह ने बताया कि न्यूरो के हर रोग का इलाज हैलट में हो जाएगा। इसके साथ ही डीएम और एमसीएच की पढ़ाई डॉक्टर कर सकेंगे।
सेंटर में हो रही इंडोस्कोपिक और लेजर नेवीगेशन सर्जरी
न्यूरो साइंसेस सेंटर में अभी इंडोस्कोपिक सर्जरी हो रही है। मस्तिष्क का ट्यूमर निकालने के लिए सर्जरी नहीं करनी पड़ती। इंडोस्कोपिक विधि से नाक के रास्ते मस्तिष्क में जाकर ट्यूमर निकाल लिया जाता है। इसके अलावा लेजर नेवीगेशन पद्धति से ट्यूमर की सर्जरी होती है। इसमें रोगी की स्वस्थ कोशिकाएं सुरक्षित रहती हैं। रोग प्रभावित कोशिकाओं की ही सर्जरी होती है। सेंटर में हर महीने औसत 140 सर्जरी हो रही हैं।