
नई दिल्ली 08 अप्रैल।उच्चतम न्यायालय ने छत्तीसगढ़ में हुए शराब घोटाले मामले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस को रद्द कर दिया है।
जस्टिस अभय एस औका और जस्टिस उज्जल भुइयां की बेंच ने आज छत्तीसगढ़ शराब घोटाले से संबंधित मामले में आरोपी व्यक्तियों के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग के मामले को यह कहते हुए रद्द कर दिया कि शिकायत आईटी अधिनियम अपराध पर आधारित थी, जो धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए के अनुसार अपराध नहीं है।
अदालत ने कहा कि मामले में ईसीआईआर और एफआईआर को देखने से पता चलता है कि कोई विधेय या अपराध नहीं हुए हैं। न्यायालय ने यह भी कहा कि जब कोई आपराधिक धनराशि ही नहीं है तो इसमें मनी लॉन्ड्रिंग का केस ही नहीं बनता है।
ईडी द्वारा की जांच के मुताबिक कांग्रेस की पूर्ववर्ती सरकार में उच्च स्तरीय अधिकारियों, निजी व्यक्तियों और राजनीतिक अधिकारियों वाला एक सिंडिकेट काम कर रहा था। छत्तीसगढ़ में शराब व्यापार में बड़े पैमाने पर घोटाला किया गया। साल 2019-22 में दो हजार करोड़ रुपये से अधिक काले धन की कमाई हुई। मनी लॉन्ड्रिंग मामला 2022 में दिल्ली की एक अदालत में दायर आयकर विभाग की चार्जशीट से उपजा है। पूर्व की कांग्रेस सरकार पर आरोप है कि सीएसएमसीएल (शराब की खरीद और बिक्री के लिए राज्य निकाय) से शराब खरीदने के दौरान रिश्वतखोरी हुई। प्रति शराब मामले के आधार पर राज्य में डिस्टिलर्स से रिश्वत ली गई और देशी शराब को ऑफ-द-बुक बेचा गया। ईडी के मुताबिक, डिस्टिलर्स से कार्टेल बनाने और बाजार में एक निश्चित हिस्सेदारी की अनुमति देने के लिए रिश्वत ली गई थी।
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