नई दिल्ली 30 जुलाई।राज्यसभा में तृणमूल कांग्रेस और अन्य दलों के सदस्यों के असम में राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर के मसौदे पर हंगामे के बाद सदन की कार्यवाही दो बार स्थगित करने पड़ी। ये सदस्य इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से जवाब की मांग कर रहे थे।
पहले स्थगन के बाद 12 बजे कार्यवाही फिर शुरू होने पर तृणमूल कांग्रेस के सदस्य अपनी मांग के समर्थन में सदन के बीचों बीच आ गए। शोरशराब जारी रहने पर सदन की कार्यवाही दो बजे तक स्थगित कर दी गई।
इस बीच सरकार ने स्पष्ट किया कि उसने असम में राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर के मसौदे को अंतिम रूप देने में कोई भूमिका निभाई है।उसने कहा कि यह काम उच्चतम न्यायालय के निर्देशों और निगरानी में हो रहा है।लोकसभा में शून्यकाल में तृणमूल कांग्रेस, कांग्रेस, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी और राष्ट्रीय जनता दल के सदस्यों ने इस मुद्दे को उठाया।
गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने जवाब में कहा कि राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर बनाने की मांग पिछले कई वर्षों से की जा रही थी और आज प्रकाशित मसौदा अंतिम नहीं है।उन्होंने कहा कि जिन लोगों के नाम सूची में नहीं हैं, वे पहले उच्च प्रशासनिक स्तर पर और बाद में विदेशियों से संबंधित ट्राइब्युनल में अपने दावे और आपत्तियां पेश कर सकते हैं।
श्री सिंह ने विपक्ष के उन आरोपों को खारिज किया कि सरकार अमानवीय दृष्टिकोण अपना रही है और लोगों के साथ अन्याय कर रही है। उन्होंने कहा कि यह एक संवेदनशील मुद्दा है और इसका राजनीतिकरण नहीं किया जाना चाहिए। श्री सिंह ने आश्वासन दिया कि हर व्यक्ति को अपना दावा और आपत्तियां दर्ज कराने के लिए पर्याप्त अवसर दिया जाएगा।
तृणमूल कांग्रेस के श्री सुदीप बंदोपाध्याय ने यह मुद्दा उठाते हुए आरोप लगाया कि यह कार्रवाई असम के लोगों का उत्पीड़न है। कांग्रेस के श्री मल्लिकार्जुन खड़गे ने आरोप लगाया कि सूची से नामों को जान-बूझकर हटाया गया है। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के मोहम्मद सलीम ने इसे एक गंभीर मुद्दा बताते हुए कहा कि इसे सावधानी से निपटाया जाना चाहिए।