वाराणसी में 10 करोड़ लीटर सीवरेज रोज गंगा में जा रहा है। सीवर समस्या का समाधान करने के लिए चार और एसटीपी की जरूरत है। ऐसे में सीवरेज गंगा में जाने से रोकने के लिए जल निगम की ओर से चार जगहों पर एसटीपी बनेगा।
सीवर समस्या का समाधान करने के लिए 7 एसटीपी से 420 एमएलडी शोधन किया जा रहा है। शहर में 522 एमएलडी सीवर डिस्चार्ज हो रहा है। इसके बावजूद 102 एमएलडी सीवर किसी न किसी रास्ते गंगा में जा रहा है। जिसे रोकने लिए चार नए एसटीपी की जरूरत है।
वरुणा, अस्सी के अलावा अन्य नालों से मिलाकर 102 मिलियन लीटर पर डे (एमएलडी) सीवर गंगा में जा रहा है। सीवर को नदियों में जाने से रोकने के लिए 201 करोड़ रुपये से वरुणा कॉरिडोर बनाया गया। सात किमी क्षेत्र को हराभरा करने के साथ दोनों किनारों पर सीवर के लिए पाइपलाइन डाली गई। इन्हें गोइठहां एसटीपी से जोड़ा गया ताकि सीवर सीधे वरुणा के जरिये गंगा में न जा सके। ये पाइपें भी जगह-जगह टूटीं हैं। इनकी मरम्मत होनी बाकी है। कई जगहों पर चेंबर और पाइप लाइनें टूट चुकी हैं। जिसकी वजह से सीवर ओवरफ्लो होकर वरुणा में जा रहा है।
शहर को सीवर से मुक्त करने के साथ वरुणा और असि के किनारों को हराभरा करने के लिए योजना बनाई गई थी, लेकिन ये योजनाएं परवान नहीं चढ़ सकीं। यहां कराए गए निर्माण भी अब खराब हो रहे हैं। कई जगहों की इंटरलॉकिंग तक धंस गई है। कई लोगों ने डूब क्षेत्र में निर्माण भी करा रखा है।
बीएचयू के गंगा रिसर्च सेंटर की रिपोर्ट के अनुसार वरुणा-असि नदी का अपना मौलिक जल, गुण, मात्रा और आवेग हुआ करता था। जो नगर के भूमिगत जल स्तर को संतुलित करने के साथ ही गंगा के कटान क्षेत्र में बांध का काम करता था। ये नदियां अपनी मिट्टी को गंगा के कटाव वाले क्षेत्रों में भरकर उसे स्थिरता प्रदान करती हैं। इनको बेहतर करने से गंगा निर्मलीकरण योजना पूरी होगी।
नगर निगम की सीमा 160 वर्ग किलोमीटर के लिए पर्याप्त नहीं एसटीपी
नगर निगम की सीमा 160 वर्ग किलोमीटर है। यहां से निकलने वाले सीवर के लिए एसटीपी पर्याप्त नहीं है। आंकड़ों के अनुसार लगभग 22 लाख जनसंख्या के सापेक्ष वर्तमान सीवर ट्रीटमेंट के लिए सात एसटीपी काम कर रहे हैं। इनकी क्षमता 420 एमएलडी की है। इसके सापेक्ष 324 एमएलडी ही शोधन हो रहा है। शहर में डिस्चार्ज 522 एमएलडी सीवर की है। इसे देखते हुए भगवानपुर में 55 एमएलडी, सुजाबाद में 7 एमएलडी, लोहता में 55 एमएलडी, दीनापुर की क्षमता को 80 एमएलडी से बढ़ाकर 220 एमएलडी करने की योजना है।
क्या कहते हैं अधिकारी
सीवर को रोकने लिए कई एसटीपी का निर्माण होना है। चुनाव बाद काम शुरू होगा। एसटीपी का निर्माण होने के बाद एक बूंद सीवर गंगा में नहीं जाएगा। -एसके रंजन, अधिशासी अभियंता जल निगम