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जगदलपुर: गर्मियों में घूमने के लिए बेहतर है मादरकोंटा की गुफा

चित्रकोट और तीरथगढ़ के बाद मादरकोंटा गुफा पर्यटकों की पसंद बन रही है। इस गुफा का लुत्फ 12 महीने ले सकते हैं।

बस्तर में 12 महीना लोगों का आना जाना लगा रहता है। जिसमें बड़ी संख्या में विदेशी पर्यटकों की संख्या भी रहती है। लेकिन अभी गर्मी की वजह से एक ओर जहां तीरथगढ़ व चित्रकोट से गिरने वाले फॉल में पानी कम हो जाने के कारण लोगों का आना जाना भी कम हो जाता है। ऐसे में जगदलपुर शहर से 35 किमी दूर मादरकोंटा गुफा आम लोगों के साथ ही विदेशी पर्यटकों के लिए पसंद बनती जा रही है। यहां किसी भी मौसम में आने पर यहां के समूह के द्वारा गुफा घुमाने के साथ ही आसपास के खूबसूरत वादियों को भी दिखा रहे है। 2020 से यह गुफा लोगों की नजर में आई। जिसके बाद यह एक पिकनिक स्पॉट बन गया है।

पूर्व कलेक्टर ने जाना इसकी खूबसूरती को
मादरकोंटा गुफा की जानकारी पहले इस गांव के लोगों को ही थी। लेकिन एक दिन इस गांव को देखने पूर्व कलेक्टर रजत बंसल पहुंचे। जहां गांव वालों से चर्चा के दौरान उन्होंने गुफा के बारे में बताया। जिसके बाद बस्तर कलेक्टर ने इस गुफा को अंदर से जाकर इसकी खूबसूरती को देखा और इसके बारे में आमजनों को बताने के लिए पहल शुरू की। जिसके बाद अब लोगों के लिए पर्यटन स्थल के रूप में विकसित हो चुका है।

ऐसे पहुंचे मादरकोंटा की गुफा तक
जगदलपुर शहर से 35 किमी दूर मादरकोंटा गुफा है। यहां पहुंचने के लिए पहले केशलूर चौक वहां से नेगानार, चिड़पाल, चिकलकोटा, धुरवारास के बाद मादरकोंटा गुफा आती है। यहां आप सड़क मार्ग से आ सकते हैं।

समूह में थे पहले 25 लोग, अब हो गए हैं कम
मादरकोंटा गुफा को देखने के बाद पूर्व कलेक्टर रजत बंसल ने इस गांव के ही 25 युवाओं को जोड़कर मादरकोंटा गुफा पर्यटन समिति का गठन किया था। साथ ही यहां के युवाओं को ट्रेनिंग देने के साथ ही इसकी खूबसूरती के बारे में लोगों को बता सकें। शुरुआत में जुड़े 25 युवाओं में 15 युवाओं ने समिति को छोड़ दिया। जिसके बाद अब केवल 10 लोग ही बचे हैं। पूर्व बस्तर कलेक्टर ने इस गांव को भी गोद लिए जाने की बात भी बताई। इस गुफा से जो इनकम होती है। उन पैसे से जनपद और ग्राम पंचायत को कुछ पैसे भी दिए जाते हैं और उन्ही पैसों से जो समिति के युवा हैं उन्हें भी कुछ पैसे दिए जाते हैं।

अबतक कितने लोग आए
मादरकोंटा गुफा पर्यट समिति के सचिव बुधराम कवासी ने बताया कि 1948 में इसकी खोज हुई थी। केवल गांव के लोग ही इसे जानते थे। लेकिन साल 2020 में जब इसके बारे में पता चला तो वर्ष 2022 में 1923 पर्यटक आए। वहीं वर्ष 2023 में 1465 पर्यटक आए। जिसमें छह विदेशी नागरिक में दो जर्मनी और 4 फ्रांस के थे। साथ ही 19 ग्रुप के लोगों ने यहां कैम्पिंग भी की थी।