मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की जन-आशीर्वाद यात्रा को जनता का मिल रहा भारी समर्थन और उत्साह को देखते हुए भले ही कांग्रेस नेता इसे प्रायोजित भीड़ निरूपित कर रहे हों लेकिन अंदर ही अंदर वे यह भी महसूस कर रहे हैं कि जून माह तक शिवराज सरकार के खिलाफ जो असंतोष का ग्राफ था वह धीरे-धीरे कम हो रहा है। असंतोष धीरे-धीरे अब समर्थन में तब्दील होने लगा है। इसे रोकने के उद्देश्य से ही प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ अब कमरा बैठकों का दौर समाप्त कर सीधे जनता के बीच जाने वाले हैं तो वहीं कांग्रेस चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष ज्योतिरादित्य सिंधिया भी मैदान में कूद पड़े हैं। इनका मकसद यही है कि सरकार के प्रति लोगों का जो असंतोष है वह कम नहीं होने पाये बल्कि वह कांग्रेस के प्रति समर्थन में तब्दील हो। इन प्रयासों में कौन कितना सफल रहता है और जनता किसके वायदों व दिखाये जा रहे सब्जबागों से प्रभावित होती है यह तो विधानसभा चुनाव के नतीजों से ही पता चलेगा। लेकिन कांग्रेस और भाजपा दोनों ही तू डाल-डाल, मैं पात-पात चलने की कोशिश जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आयेगा तेज करती जायेंगी। पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़ में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने शुक्रवार को जहां कांग्रेसजनों को आमचुनाव में जीत के टिप्स दिये तो वहीं दूसरी ओर आदिवासियों के बीच पार्टी के जंगल सत्याग्रह की भी शुरूआत कर दी। राहुल ने विभिन्न समाजों और कुछ छोटे क्षेत्रीय दलों के नेताओं से भी चर्चा कर उन्हें कांग्रेस से जोड़ने की कोशिश की।
जय आदिवासी युवा शक्ति ‘जयस’ ने आदिवासी बहुल इलाकों में अपनी पैठ बढ़ाई है और उसकी 27 जुलाई से रतलाम से प्रारंभ हुई आदिवासी अधिकार यात्रा प्रदेश के सभी आदिवासी बहुल विधानसभा क्षेत्रों में जायेगी। यात्रा के माध्यम से यह संगठन गांव-गांव पहुंच रहा है। उसकी इस यात्रा ने भाजपा और कांग्रेस दोनों की ही चिन्ता बढ़ा दी है। दोनों ही अपने-अपने ढंग से इस संगठन के युवाओं को साधने की कोशिश में लग गये हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने उनसे संपर्क साधकर उन्हें साथ लाने की कोशिश की है, लेकिन ‘जयस’ ने अभी अपने पत्ते नहीं खोले हैं। इस संगठन ने उस दल की ओर जाने का संकेत दिया है जो उनकी मांगे मान लेगा। जयस के अध्यक्ष डॉ. हीरालाल अलावा ने मुख्यमंत्री से मुलाकात कर उन्हें 25 सूत्रीय ज्ञापन सौंपा और साथ ही यह दावा किया है कि यदि भाजपा टिकट का आफर देती है तो आदिवासी युवा 70 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे। अलावा का कहना है कि उन्होंने मुख्यमंत्री से कहा कि भाजपा में जो आदिवासी नेता हैं वे बूढ़े हो गये हैं और उन्हें अब आदिवासी समस्याओं से ज्यादा सरोकार नहीं रहा है। इस पर मुख्यमंत्री ने जयस के नेताओं से कहा कि वे भाजपा में शामिल हो जायें। भले ही गोंडवाना गणतंत्र पार्टी से कांग्रेस के तालमेल की बात चल रही हो लेकिन भाजपा ने इसके तीनों धड़ों से संपर्क साधा हुआ है ताकि कांग्रेस से गठबंधन न हो पाये और वे भाजपा की मदद करें। शिवराज ने आदिवासियों की महत्ता को समझते हुए नौ अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस पर इनकी बहुलता वाले धार जिले में आदिवासी विकास पर 24 फीसदी बजट खर्च करने का ऐलान करते हुए सौगातों का पिटारा खोल दिया है। एक प्रकार से उन्होंने भाजपा के लिए आदिवासियों के बीच वोटों की फसल लहलहाने की तगड़ी जमावट कर दी है। अब देखने की बात यही होगी कि कांग्रेस इसकी काट किस ढंग से करती है। चूंकि आदिवासी समुदाय परम्परागत ढंग से कांग्रेस का बड़ा वोट बैंक रहा है इसलिए उसमें पैठ बढ़ाने व जमाने का कोई भी अवसर शिवराज हाथ से नहीं जाने देते। धार में आयोजित इस कार्यक्रम के माध्यम से समूचे प्रदेश के आदिवासी समुदाय को उन्होंने एक संदेश देने की कोशिश की है। अब प्रदेश में हर वर्ष आदिवासी दिवस मनाया जाएगा।
हालांकि अभी विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान होना शेष है लेकिन चुनावी गतिविधियां परवान चढ़ने लगी हैं इसलिए हर कदम इसी उद्देश्य से उठाया जा रहा है ताकि वोटों की फसल को लहलहाया जा सके। इस वर्ष अंतरराष्ट्रीय आदिवासी दिवस 9 अगस्त पर 20 जिलों में राज्य सरकार ने अवकाश की घोषणा की तथा भव्य आयोजन भी किए, जिसका मकसद यह अहसास कराना था कि शिवराज की आदिवासी वर्र्गोें के प्रति सर्वोच्च प्रतिबद्धता है। शिवराज ने यह भी घोषणा की है कि जिन आदिवासियों का दिसम्बर 2006 से पहले का कब्जा वन भूमि पर है उन्हें वनाधिकार पट्टा दिया जा रहा है और अभी तक 2 लाख 24 हजार पट्टे वितरित किए जा चुके हैं तथा यह प्रक्रिया निरन्तर जारी है। आदिवासियों पर थानों में दर्ज छोटे-मोटे प्रकरण खत्म किए जायेंगे और सरकार जनजाति अधिकार सभा का गठन करेगी जो भूमि सहित घरेलू विवादों और अन्य मामलों का आपसी सहमति से निपटारा करेगी, इसका मुखिया आदिवासी ही होगा। गांव में नामान्तरण व बंटवारे का अधिकार भी इन्हें दिया जायेगा और आदिवासी अपनी जमीन पर लोन भी ले सकेंगे। उन्हें बिचौलियों के शोषण से बचाते हुए सूदखोरी पर नियंत्रण किया जायेगा। आदिवासी क्षेत्रों को बारहमासी सड़कों से जोड़ा जायेगा और आदिवासियों के बच्चों को अंग्रेजी शिक्षा के लिए अलग से शिक्षकों की व्यवस्था की जायेगी। 2022 तक सभी आदिवासियों को कच्चे मकानों की जगह पक्के मकान दिये जायेंगे।
एक अगस्त को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने सतना जिले के मैहर में देवी की पूजा-अर्चना के बाद एक बड़ी आमसभा की और उसी दिन छतरपुर के राजनगर में भी जनसभा ली, इसमें कांग्रेस की अपेक्षा से काफी अधिक लोग इकट्ठे हुए। कार्यकर्ताओं की मांग और भावनाओं को देखते हुए अब कांग्रेस के प्रमुख नेताओं ने भी जनता के बीच जाने का मन बना लिया है। चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष ज्योतिरादित्य सिंधिया जनता के बीच पहुंच गये हैं तो कमलनाथ 16 अगस्त से मैदान में कूदने वाले हैं। राहुल गांधी सितम्बर माह में बस यात्रा निकाल कर कांग्रेस के लिए समर्थन हेतु अभियान की शुरूआत करेंगे।ज्योतिरादित्य सिंधिया का पहले व दूसरे चरण का दौरा प्रारंभ हुआ है और वे पहले चरण में मंदसौर, नीमच व जावरा में जनसभाएं ले चुके हैं। इसके बाद 15-16 अगस्त को सिंधिया दूसरे चरण में सांची, गैरतगंज, बेगमगंज, सुरखी एवं सागर में सभाओं को सम्बोधित करेंगे। इस दौरान वे चुनाव अभियान की संभागीय एवं जिला स्तरीय समितियों की बैठक लेंगे। कमलनाथ ने 01 मई को प्रदेश कांग्रेस की कमान संभाली और अधिकांश समय प्रदेश में संगठन को चुस्त-दुरुस्त करने में दिया। अब उन्हें भरोसा हो गया है कि मतदान केन्द्र तक कांग्रेस की ऐसी पुख्ता व्यवस्था हो गयी है जो मतदाताओं को मतदान केंद्र में पार्टी के पक्ष में वोट कराने में सक्षम होगी। संगठन को चुस्त-दुरुस्त करने के साथ ही उन्होंने विभिन्न सामाजिक संगठनों के साथ ही व्यापारिक व कर्मचारी संगठनों से भी संवाद किया। कमलनाथ पिछले तीन माहों में जितने दिन भोपाल में रहे हैं उन्होंने औसतन आधा दर्जन से अधिक बैठकें की हैं। अब वे जमीनी मुकाबले के लिए कमर कस रहे हैं तथा 16 अगस्त को बड़वानी एवं धार में आमसभा को सम्बोधित करेंगे तो 19 अगस्त को नरसिंहपुर और 20 अगस्त को हरदा व देवास में जनसभाएं लेंगे।
और यह भी
विधानसभा चुनाव में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के 200 के पार सीट जीतने के लक्ष्य को पूरा करने के लिए पार्टी ने मध्यप्रदेश में नई रणनीति बनाई है जिसके तहत हर मतदान केन्द्र पर 21 कार्यकर्ताओं की टीम तैयार करते हुए उसे लक्ष्य दिया गया है कि वह 51 प्रतिशत वोट सुनिश्चित करे। भाजपा कार्यकर्ताओं की नजर ऐसे मतदाताओं पर विशेषकर होगी जो कांग्रेस और भाजपा से इतर या तो अन्य दलों को वोट देते आये हैं या नोटा का बटन दबाते हैं। ऐसे मतदाताओं को भाजपा के पक्ष में राजी करने का काम इन टीमों को सौंपा गया है। कांग्रेस के परम्परागत वोट बैंक में भी सेंध लगाने का भी यह टीम काम करेगी और उन्हें सरकार की योजनायें बताकर आश्वस्त करेगी कि भाजपा ही उनकी सच्ची हितैषी पार्टी है। भाजपा ने पहले देश को राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेसमुक्त करने का नारा दिया था तो विधानसभा चुनाव में वह हर बूथ कांग्रेसमुक्त करने का नारा देकर आगे बढ़ रही है।
सम्प्रति-लेखक श्री अरूण पटेल अमृत संदेश रायपुर के कार्यकारी सम्पादक एवं भोपाल के दैनिक सुबह सबेरे के प्रबन्ध सम्पादक है।