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छत्तीसगढ़: दुकान आवंटन मामले में हाईकोर्ट ने दुकानदारों के पक्ष में सुनाया फैसला

नवागढ़ में हुए दुकान आवंटन मामले को लेकर हाईकोर्ट ने दुकानदारों के पक्ष में फैसला सुनाया है। कोर्ट ने मामले में सभी पक्षों को सुनने के बाद कलेक्टर, राज्य सरकार और सीएमओ नगर पंचायत नवागढ़ के आदेश को निरस्त करते हुए आवंटितो को राहत दी है।

बेमेतरा जिले के नवागढ़ में हुए दुकान आवंटन मामले को लेकर हाईकोर्ट ने दुकानदारों के पक्ष में फैसला सुनाया है। कोर्ट ने मामले में सभी पक्षों को सुनने के बाद कलेक्टर, राज्य सरकार और सीएमओ नगर पंचायत नवागढ़ के आदेश को निरस्त करते हुए आवंटितो को राहत दी है।

नवागढ़ नगर पंचायत ने वर्ष 2008 में दुकान बनाने के नाम पर 44000 रुपए लिए थे, लेकिन 2018 तक इस पर कोई कार्य नहीं हुआ, फिर वर्ष 2018 में कलेक्टर बेमेतरा से अनुमति लेकर नियमानुसार दुकानों का निर्माण व आवंटन किया गया परंतु मूल्य में वृद्धि हो जाने के कारण 32 में से केवल 14 दुकानें ही प्रस्ताव दिनाँक 23.7.18 द्वारा आवंटित हो पाईं।

आबंटितों को 18.8.18 तक 355000 रुपए जमा करने का आदेश दिया गया। जिस पर आबंटियों द्वारा थोड़ा समय देने निवेदन किया। जिसे स्वीकार करते हुए प्रस्ताव दिनांक 20.8.18 द्वारा 6 माह का समय प्रदान किया गया और जनवरी में सभी आबंटितो ने अनुबंध पर हस्ताक्षर कर जमा कर दिया और रकम भी समय के अंदर पटा दिया। इधर दुर्भावना वश की गई शिकायत पर जांच कर रिपोर्ट कलेक्टर के पास जमा की गई और कलेक्टर बेमेतरा ने आदेश दिनांक 26.3. 2019 द्वारा प्रस्ताव दिनांक 18.7.2008 एवम 20.8.18 को स्थगित कर दिया।

जिसे राज्य सरकार ने आदेश दिनांक 27.6.19 द्वारा अनुमोदित कर दिया गया, और मुख्य कार्यपालन अधिकारी नगर पंचायत नवागढ़ ने आदेश दिनांक 26.7.19 के द्वारा आबंटन को निरस्त करते हुए 7 दिन में खाली करने का निर्देश आबंटितों को दिया। जिसके विरुद्ध चंद्रहास पांडेय एवम 11 अन्य ने अधिवक्ता प्रतीक शर्मा के माध्यम से उच्च न्यायालय के समक्ष रिट याचिका प्रस्तुत की और याचिकाकर्ताओं के पक्ष में अंतरिम आदेश प्रदान किया।

मामले में उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति राकेश पांडेय ने अन्य आधारों के अलावा नगर पालिका अधिनियम की धारा 323 के विरुद्ध आदेश पारित किए जाने के कारण कलेक्टर के आदेश दिनांक 26.3.19, राज्य सरकार के आदेश दिनांक 27.6.19 एवम CMO के आदेश दिनांक 26.7.19 को निरस्त करते हुए याचिकाकर्ताओं के पक्ष में फैसला सुनाया, और आबंटन को सही ठहराया।