बिलासपुर 25 अगस्त।सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति श्री दीपक मिश्रा ने कहा है कि न्याय प्राप्त करना देश के सभी नागरिकों का संवैधानिक अधिकार है। इसके लिए न्यायिक अधोसंरचनाओं का होना भी जरूरी है।
न्यायमूर्ति श्री मिश्रा ने आज यहां छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय परिसर में राज्य न्यायिक अकादमी के नये भवन का लोकार्पण करते हुए कहा कि भौतिक अधोसंरचना की दृष्टि से भवन तो महत्वपूर्ण हैं, लेकिन इसके साथ-साथ बौद्धिक अधोसंरचना की भी जरूरत होती है। उन्होंने न्यायिक अधिकारियों में ज्ञान और कौशल की जरूरत पर बल देते हुए कहा कि प्रत्येक न्यायाधीश को संविधान के दायरे में रहते हुए संवेदनशील होना चाहिए। भवन का निर्माण 28 करोड़ 17 लाख रूपए की लागत से किया गया है।
न्यायमूर्ति श्री मिश्रा ने न्यायिक अकादमी के लिए नया भवन उपलब्ध होने पर खुशी जतायी और कहा कि अकादमी में जजों को न्यायिक प्रशिक्षण की बेहतर सुविधा मिलेगी। उन्होंने यह भी कहा कि सभी जजों को देश के नये कानूनों की भी पूरी जानकारी होनी चाहिए। उन्हें विनम्र होना चाहिए और प्रकरणों में संविधान के दायरे में रहकर पूरी निष्पक्षता और संवेदनशीलता के साथ निर्णय देना चाहिए।
मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने इस अवसर पर कहा कि लोकतंत्र में सुशासन की परिकल्पना को साकार करने के लिए न्याय प्रक्रिया में भी निष्पक्षता, पारदर्शिता और तत्परता बहुत जरूरी है। डॉ.सिंह ने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा राज्य में न्यायिक प्रशासन को हर प्रकार की बुनियादी सुविधाओं से सुसज्जित किया जा रहा है। न्यायिक प्रशासन निरंतर विकास की ओर अग्रसर है। उन्होंने कहा कि विधि विभाग का बजट राज्य निर्माण के समय सिर्फ 16 करोड़ रूपए था, जो अब बढ़कर 641 करोड़ रूपए हो गया है। इस अवधि में न्यायिक अधिकारियों की संख्या 102 से बढ़कर 450 हो गई है। छत्तीसगढ़ देश का इकलौता राज्य है, जहां कमर्शियल कोर्ट की स्थापना की गई है। न्यायिक अधिकारियों को सातवें केन्द्रीय वेतन आयोग की अनुशंसा के अनुरूप वेतनमान का लाभ देने वाला छत्तीसगढ़ देश का दूसरा राज्य है।
स्वागत भाषण छत्तीसगढ़ राज्य न्यायिक अकादमी के अध्यक्ष और उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति श्री प्रशांत कुमार मिश्रा ने दिया। आभार प्रदर्शन उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति श्री एम.एम.श्रीवास्तव ने किया। इस मौके पर अकादमी परिसर में स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा का अनावरण भी किया गया।