नई दिल्ली 07 सितम्बर।कई दशक तक देश पर शासन करने वाली कांग्रेस सत्ता से हटने के चार वर्ष बाद ही आर्थिक तंगी में पहुंच गई है।
आर्थिक तंगी से निपटने एवं धन जुटाने के लिए कांग्रेस अब 2019 के लोकसभा चुनाव और पांच राज्यों के जल्द होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए वोट के साथ आम लोगो से नोट भी मांगने का फैसला किया है।दरअसल में कांग्रेस कारपोरेट घरानों ने भी चन्दा देना काफी कम कर दिया है,और बड़े राज्यों में केवल पंजाब में उसके पास सत्ता है और कर्नाटक की गठबंधन सरकार में जूनियर पार्टनर है।
पार्टी के नवनियुक्त कोषाध्यक्ष अहमद पटेल और महासचिव(संगठन) अशोक गहलोत ने कल यहां बैठक आहूत कर वित्तीय समस्या को लेकर चर्चा की। बैठक में कांग्रेस महासचिवों, प्रभारियों, प्रदेश इकाइयों के अध्यक्षों और कोषाध्यक्षों ने भी हिस्सा लिया। चुनावी राज्यों के अध्यक्षों एवं कोषाध्यक्षों को यथासंभव राज्य से ही चुनावी संसाधन जुटाने को कहा गया।
बैठक में तय किया गया कि आम लोगो से वोट के साथ नोट भी मांगा जायेगा।पार्टी का मानना है कि इससे जहां पार्टी के लिए फंड एकत्रित हो जायेगा वहीं आम लोगो के सहयोग लेने की वजह से उसकी साख भी मजबूत होगी।