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बारिश का बेशकीमती पानी नहीं होगा बर्बाद, एनजीटी का मेट्रो को आदेश

दिल्ली मेट्रो के पिलर से गिरने वाले पानी पर डीएमआरसी को एनजीटी की ओर से नोटिस जारी हुआ है। जिसके बाद अब 13 सितंबर तक रिपोर्ट जमा करनी होगी। बारिश के पानी की बर्बादी के मामले में यह आदेश एनजीटी ने पूरे देश की मेट्रो कंपनियों को दिया।

पूरे देश में मेट्रो लाइन पर बारिश के बेशकीमती पानी के संरक्षण के लिए जरूरी उपाय करने का आदेश एनजीटी ने दिया है। दिल्ली मेट्रो की लाइनों पर बारिश के पानी की बर्बादी के मामले में यह आदेश एनजीटी ने पूरे देश की मेट्रो कंपनियों को दिया है। वहीं दिल्ली मेट्राे ने 31 अगस्त तक सभी वर्षा जल संचयन के लिए बने पिट को उपयोगी बना देने के लिए कहा है।

एनजीटी में याची हरपाल सिंह राना ने शिकायत की कि दिल्ली में कई जगह मेट्रो बारिश के पानी को अपने पिलर्स के पास चार इंच चौड़े पाइप से गिराती है। इससे जहां बारिश का पानी सड़क पर फैलता है, वहीं इससे पानी की बर्बादी भी होती है। कई बार यह ट्रैफिक जाम, सड़क टूटने और दुर्घटना की भी वजह बनता है। इस शिकायत की जांच के लिए एनजीटी ने संयुक्त जांच समिति बनाई।

समिति की जांच रिपोर्ट में बारिश के पानी की बर्बादी मिलने के बाद दिल्ली मेट्रो ने अपने पिट ठीक कराने की बात कही। दिल्ली मेट्रो का कहना है कि जहां भी संभव है, वहां रिचार्ज पिट बनाए गए हैं। कई जगहों पर जगह की उपलब्धता नहीं होने की वजह से इनका निर्माण नहीं हो सका।

दिल्ली मेट्राे के अलग-अलग रूट पर ऐसे 402 पिट बने होने की जानकारी भी एनजीटी को दी गई। एनजीटी के सदस्य जस्टिस सुधीर अग्रवाल और डॉ. अफरोज अहमद ने अपने आदेश में कहा है कि वायडक्ट से पाइप नीचे लाने और जरूरी गहराई का उपयोग करते हुए पिट बनाने का काम तकनीकी रूप से व्यापक हैं। ऐसे में दिल्ली मेट्रो खुद इस काम को 31 अगस्त तक पूरा कराए।

भूगर्भ जल स्तर में तेजी से आ रही कमी
एनजीटी ने अपने आदेश में कहा है कि यह देखने में आ रहा है कि भूगर्भ जल स्तर तेजी से नीचे गिर रहा है। ऐसे में सभी एजेंसियों को इस पर काम करना चाहिए। वर्षा जल संचयन के लिए बने पिट को पूरे देश में मेट्रो कंपनियां उपयोगी बनाएं। इसके लिए दिल्ली मेट्रो के सुझाए मॉडल पर भी काम किया जा सकता है। सभी राज्यों के मुख्य सचिव को भी इस आदेश के अनुपालन के लिए कॉपी एनजीटी ने भेजी है। 13 सितंबर तक दिल्ली मेट्रो खुद भी अपनी अनुपालन रिपोर्ट एनजीटी को देगी।