Friday , April 26 2024
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आलेख

निरंकुशता और निर्ममता का निवेश लोकतंत्र के लिए खतरा – उमेश त्रिवेदी

देश इलेक्शन-मोड में है और देश के एक सौ तीस करोड़ नागरिक अपनी अंजुरी में मत-पत्रों के फूल-पत्तर लेकर लोकतंत्र के मंदिर में सत्रहवीं लोकसभा की घट-स्थापना के लिए कतारबध्द खड़े हैं। राजनीति के दबंग पंडे-पुजारियों ने लोकतंत्र के विचारशील महापंडितों को धकिया कर पूजा का आसन ग्रहण कर लिया …

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अपने ही करा रहे फजीहत:भाजपा कांग्रेस की बनी मुसीबत – अरुण पटेल

मध्यप्रदेश में पूरी तरह से कांग्रेस एवं भाजपा के बीच ध्रुवीकरण हो चुका है और तीन-चार लोकसभा क्षेत्रों को छोड़कर कहीं भी तीसरी शक्ति इस स्थिति में नहीं है कि वह चुनाव नतीजों को प्रभावित कर पाये। कांग्रेस और भाजपा लोकसभा चुनाव में एक-दूसरे से दो-दो हाथ करने के पूर्व …

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सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद चुनाव आयोग की आंखें खुलीं – उमेश त्रिवेदी

सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद आखिरकार चुनाव आयोग को आचार-संहिता के उल्लंघन के मुद्दे पर उप्र के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और बसपा-सुप्रीमो मायावती के खिलाफ कार्रवाई को विवश होना पड़ा है। हेट-स्पीच के कारण योगी आदित्यनाथ पर 72 घंटे और मायावती पर 48 घंटे तक चुनाव अभियान में शिरकत …

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पुत्रमोह के चलते धर्मसंकट में फंसे राजनेता – अरुण पटेल

हर राजनेता की चाहत होती है कि उसका उत्तराधिकार बेटे-बेटी या परिवार का कोई निकटतम सम्बंधी संभाले। कभी-कभी राजनीति में ऐसे हालात पैदा हो जाते हैं जब पुत्रमोह के चलते पिता धर्मसंकट में फंस जाते हैं। किसी के मंत्रिमंडल से इस्तीफा देने की नौबत आ जाती है तो कोई दूसरी …

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खंडवा में बराबरी की टक्कर तो खरगोन को आसान मान बैठी कांग्रेस – अरुण पटेल

निमाड़ के दो जिले पूर्व में दो अलग-अलग घटकों में रहे हैं। खंडवा और बुरहानपुर पुराने मध्यप्रदेश यानी सीपी एण्ड बरार का हिस्सा रहा तो खरगोन होल्कर स्टेट का हिस्सा रहा। नये मध्यप्रदेश के गठन के बाद महाकौशल का हिस्सा रहा खंडवा जिला और मध्यभारत का हिस्सा रहा खरगोन अब …

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बराबरी का समाज ही अम्बेडकर का सपना था -रघु ठाकुर

(अम्बेडकर जयन्ती पर विशेष) आज इस पर चर्चा महत्वपूर्ण है कि अगर बाबा साहब जिंदा होते ते अपनी मान्यताओं,विचारों व स्थापनाओं की रक्षा के लिये, उन्हें किन-किन शक्तियों से जूझना पड़ता। मैं समझता हूं कि बाबा साहब को सर्वाधिक निराशा या अंतःसंघर्ष उन लोगों से ही करना पड़ता जिनकी तरक्की …

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घोषणा पत्र : जुमले, वादे या मतदाता करे भरोसा? – अरुण पटेल

हम निभाएंगे वायदे के साथ जहां कांग्रेस 2019 के लोकसभा चुनाव में अपनी जीत का मार्ग प्रशस्त करने की कोशिश कर रही है तो वहीं पुराने वायदों और नए संकल्पों के सहारे भारतीय जनता पार्टी इस जुगत में है कि एक बार और नरेंद्र मोदी की अगुवाई में बड़े बहुमत …

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चुनावी-राजनीति के कारोबार में सेना का उपयोग गैरवाजिब – उमेश त्रिवेदी

डेढ़ सौ सेनाधिकारियों द्वारा राष्ट्रपति को लिखी चिठ्ठी से दो-तीन अधिकारियों के अलग हो जाने के मायने यह नहीं हैं कि सेना के राजनीतिकरण का मुद्दा गौरतलब नहीं रहा है।इसको हलके में नहीं लेना चाहिए, क्योंकि ’राजनीति में सेना का उपयोग’ या ’सेना में राजनीति का हस्तक्षेप’ लोकतंत्र के लिए …

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इंदौर को भाने लगी भाजपा तो धार झाबुआ में बढ़ी कांग्रेस की चाहत – अरुण पटेल

मध्यप्रदेश की उद्योग नगरी इंदौर में भाजपा 1989 से ही मजबूत स्थिति में है और लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन यहां से लगातार चुनाव जीत रही हैं। 1984 में प्रकाशचन्द सेठी यहां से चुनाव जीते थे लेकिन उसके बाद से महाजन जिन्हें ताई के नाम से भी सम्बोधित किया जाता है …

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उन्माद की इस चिंगारी में अंजाम-ए-जम्हूरियत क्या होगा ?- उमेश त्रिवेदी

लोकसभा के चुनाव में जीत हासिल करने की जुनूनी-सियासत में चुनावी-प्रक्रिया की पारदर्शी और तटस्थ बनाने वाली आचार-संहिता की इबारत में लहु छलकने लगा है। संवैधानिक-संस्कारों के तट-बंध भी टूट रहे हैं। भारतीय-गणतंत्र के लिए यह शुभ संकेत नहीं है कि उसके प्रधानमंत्री की रैलियों और भाषणों में उत्तेजना और …

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