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मानवाधिकार आयोग ने डॉग बाईट की बढ़ती घटनाओं को लिय़ा स्वतः संज्ञान में

रायपुर 06 अगस्त(एजेंसी)।छत्तीसगढ़ में एक वर्ष में कुत्ते काटने(डॉग बाईट) के लगभग एक लाख 20 हजार प्रकरण पंजीबद्ध हुए हैं।छत्तीसगढ़ राज्य मानवाधिकार आयोग ने इसे काफी गंभीर मानते हुए स्वतः संज्ञान में लिया है।

छत्तीसगढ़ राज्य मानवाधिकार आयोग के कार्यवाहक अध्यक्ष गिरिधारी नायक ने आज यहां पत्रकारों से कहा कि यह आकड़े श्वान काटने से मानव जीवन के संकट की भयावह स्थिति को बतलाता है।उन्होने बताया कि डॉग बाईट के सबसे ज्यादा 15953 मामले राजधानी रायपुर में दर्ज हुए है। डॉग बाईट से पीडित व्यक्ति को 6 इंजेक्शन लगाना होता है, इसमें डॉक्टर के अनुसार लगभग 7 लाख मानव दिवस की हानि और आर्थिक नुकसान समाज को उठाना पड़ता है।

उन्होने बताया कि  आयोग द्वारा श्वान आतंक पर स्वतःस्फूर्त संज्ञान लिया गया। नवम्बर 2023 को रायपुर से प्रकाशित एक समाचार पत्र में “इन जख्मों का गुनाहगार कौन” इस आशय की खबर प्रकाशित हुई थी।उक्त शीर्षक से प्रकाशित खबर के उपरांत आयोग द्वारा विगत वर्ष में विभिन्न समाचार पत्रों में प्रकाशित खबरों का अध्ययन कर, प्रदेश के सभी शासकीय जिला अस्पतालों से श्वान काटने के प्रकरणों और उस पर किये जा रहे वेक्सिनेशन व ईलाज के संबंध में जानकारी आहूत की गई।

श्री नायक ने बताया कि राज्य मानव अधिकार आयोग द्वारा डॉग बाईट के प्रकरणों के संबंध में सम्पूर्ण प्रदेश के जिलों से आंकड़े बुलवाए गए हैं, आंकड़ों के आधार पर परिलक्षित होता है कि वर्ष भर में एक लाख 19 हजार से अधिक आवारा/पालतू श्वान के काटने की घटनाएं प्रदेश में सामने आ रही हैं। डॉग बाईट के कारण शारीरिक और आर्थिक क्षति से बचा जा सके, इसके लिए अर्थात नागरिकों को इस गंभीर विषय से जागरूक कराया जाना आवश्यक है, प्राप्त आंकड़ों के आधार पर यह प्रतीत होता है, कि श्वान काटने पर शत-प्रतिशत एंटी रेबीज के टीके तो लग रहे हैं, परन्तु डॉग बाईट एक गंभीर विषय है एवं इसके कारण उत्पन्न होने वाली, मानवीय जीवन को संकटापन्न स्थिति में लाये जाने की घटनाएँ कम हो सकें, इसके लिए प्रत्येक स्तर पर जागरूकता जरुरी है।

उन्होने आगे कहा कि प्रदेश से प्राप्त डॉग बाइटिंग के यह आंकड़े जनमानस की जागरूकता के लिए आवश्यक हैं।पशुओं के प्रति कुरता निवारण अधिनियम, 1960 जिसमें निरंतर संशोधन होते रहे हैं, कि धारा 11 की उपधारा 1 के तहत पशुओं के प्रति यदि किसी व्यक्ति द्वारा क्रूरता की जाती है तो उसके संबंध में दंड का प्रावधान है, साथ ही इसी धारा के उपधारा 11 (ख) में आवारा कुत्तों में दुर्दांत अथवा मानव जीवन के लिए खतरा होने की स्थिति में प्राणहर कक्षों में या अन्य ढंग से नष्ट किये जाने का भी उपबंध है।यह सामान्यत: पागल हो चुके श्वान पर लागू होता है।