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ट्रंप का कनाडा को अल्टीमेटम, Five Eyes से बाहर करने की तैयारी

अमेरिका में राष्ट्रपति बनने के बाद से डोनाल्ड ट्रंप एक के बाद एक ताबड़तोड़ फैसले ले रहे हैं। अब ट्रंप की नजर कनाडा पर है, और यही कारण है शायद दोनों देशों के बीच खटास बढ़ती जा रही है। ट्रंप की तरफ से कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो को सार्वजनिक रूप से ‘गवर्नर ट्रूडो’ कहकर ट्रोल करने के कुछ ही घंटों बाद कनाडा को एक और झटका लगा।

जब खबर आई कि ट्रंप के टॉप सहयोगी ने कनाडा को फाइव आईज खुफिया नेटवर्क से बाहर करने का प्रस्ताव दिया है। फाइव आईज खुफिया नेटवर्क सबसे करीबी और सबसे सफल खुफिया गठबंधनों में से एक है, जिसमें ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड भी शामिल हैं।

ट्रंप के सलाहकार ने दिया बयान

हालांकि इसको लेकर अभी ट्रंप की तरफ से कोई आधिकारिक एलान नहीं हुआ है। यह प्रस्ताव कथित तौर पर ट्रंप के सलाहकार पीटर नवारो की ओर से आया है, जो कनाडा को अमेरिका में विलय के लिए राजी करने के लिए दबाव बनाने की रणनीति का हिस्सा है।

हालांकि नवारो ने बाद में रिपोर्ट का खंडन करते हुए इसे बकवास कहा, लेकिन इस बात में कोई शक नहीं है कि वाशिंगटन कनाडा के खिलाफ उग्र है, उस पर दशकों से अमेरिका का दोहन करने का आरोप लगा रहा है।

क्या है फाइव आइज का उद्देश्य?

फाइव आइज एक खुफिया-साझेदारी गठबंधन है, जिसमें संयुक्त राज्य अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड शामिल हैं।
इसकी शुरुआत द्वितीय विश्व युद्ध के बाद हुई थी, जब 1946 में यूके-यूएसए समझौते के तहत अमेरिका और ब्रिटेन ने खुफिया जानकारी साझा करने की नींव रखी थी।
बाद में 1948 में कनाडा और 1956 में ऑस्ट्रेलिया व न्यूजीलैंड इसमें शामिल हुए।
यह गठबंधन संकेत खुफिया पर केंद्रित है और सदस्य देशों के बीच संवेदनशील जानकारी का आदान-प्रदान करता है।
इसका उद्देश्य राष्ट्रीय सुरक्षा, आतंकवाद विरोधी प्रयासों और वैश्विक निगरानी में सहयोग करना है।

क्या करेगा कनाडा?
ट्रंप की ‘अमेरिका फर्स्ट’ नीति के तहत अब अमेरिका उन्हीं देशों को महत्व देना चाहता है, जो उसके नीतियों का समर्थन करते हैं। अब ऐसे में सवाल ये है कि कनाडा इस दबाव के चलते अमेरिका के आगे झुक जाएगा या फिर उसके खिलाफ खड़े होगा।