राजस्थान इन दिनों भीषण गर्मी की चपेट में है। प्रदेश में तापमान लगातार 44-45 डिग्री सेल्सियस के पार जा रहा है और लू का असर दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है। इस विकराल गर्मी ने आम जनजीवन को बुरी तरह प्रभावित किया है। लोग घरों से निकलने में हिचक रहे हैं और खासतौर पर मजदूर, रिक्शा चालक और राहगीरों की हालत बेहद दयनीय होती जा रही है।
इसी गंभीर स्थिति को देखते हुए राजस्थान हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार को कड़ी फटकार लगाई है। जस्टिस अनूप कुमार ढांड की एकल पीठ ने कहा कि सरकार इस विकट स्थिति से निपटने में पूरी तरह विफल रही है। उन्होंने यह भी कहा कि प्रदेश के नागरिकों के साथ जानवरों जैसा व्यवहार नहीं किया जा सकता।
कोर्ट ने कहा कि राजस्थान जलवायु परिवर्तन परियोजना के तहत जो हीट एक्शन प्लान तैयार किया गया था, उसे आज तक सही तरीके से लागू नहीं किया गया। स्वास्थ्य विभाग ने अब तक लू और गर्मी से संबंधित कोई गाइड लाइन या चेतावनी जारी नहीं की है, जो कि लोगों के स्वास्थ्य के हित में बेहद आवश्यक है।
कोर्ट ने सरकार की विफलताओं की ओर इशारा करते हुए कहा कि न तो सड़कों पर पानी छिड़कने की व्यवस्था की गई है, न ही सिग्नल या भीड़भाड़ वाले इलाकों में ठंडे या छायादार स्थान बनाए गए हैं। वहीं रोज कमाने-खाने वाले तबके को ओआरएस पैकेट, आम पन्ना या अन्य राहत देने वाले इंतजाम भी नहीं किए गए हैं। कोर्ट ने यह भी बताया कि पक्षियों और जानवरों के लिए भी पानी की कोई व्यवस्था नहीं की गई है।
फंड की कमी का बहाना नहीं चलेगा
कोर्ट ने सरकार को यह कहकर आड़े हाथों लिया कि यदि प्रचार-प्रसार, पुरस्कार समारोह और अन्य आयोजनों पर लाखों रुपए खर्च किए जा सकते हैं, तो जनता की बुनियादी जरूरतों के लिए फंड की कमी का बहाना नहीं चलेगा।
हाईकोर्ट ने राज्य के मुख्य सचिव को निर्देश दिया है कि वे विभिन्न विभागों के साथ मिलकर एक समन्वय समिति गठित करें, जो इस भीषण गर्मी से निपटने के लिए ठोस कार्य योजना तैयार करे। कोर्ट ने साफ कहा कि यह जनता के जीवन और स्वास्थ्य का मुद्दा है, इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।