अमेरिका में एच-1बी वीजा विवाद तेज होता जा रहा है। उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने विदेशी कर्मियों को सस्ता मजदूर बताते हुए वीजा समाप्त करने के संकेत दिए। सख्त नीतियों के कारण भारतीय छात्रों में 70% की गिरावट दर्ज की गई, जिससे परिवारों की चिंता बढ़ी है।
अमेरिका में एच-1बी वीजा पर जारी विवाद अब सियासी बहस का केंद्र बन गया है। भारत के आईटी पेशेवरों के लिए अहम इस वीजा पर अमेरिका में सख्ती की जा रही है। उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने तीखा बयान देते हुए विदेशी कर्मियों को सस्ता मजदूर बताया व कहा, देश को उनकी जरूरत नहीं। वेंस ने विपक्षी डेमोक्रेटिक पार्टी पर आरोप लगाया कि उनका मॉडल कम वेतन पर बाहरी लोगों को लाने पर आधारित है, जिससे अमेरिकियों के रोजगार और वेतन पर सीधा असर पड़ता है।
अंतरराष्ट्रीय छात्रों पर नीतिगत उलटफेर का दौर
वीजा नीतियों को लेकर ट्रंप प्रशासन का रुख अंतरराष्ट्रीय छात्रों पर असर छोड़ रहा है। हाल ही में ट्रंप ने कहा था कि यदि विदेशी छात्रों की संख्या में कमी आई, तो आधे कॉलेज बंद हो जाएंगे। यह बयान ऐसे समय आया है, जब छह माह पूर्व अमेरिकी सरकार ने विदेशों में नए छात्र वीजा इंटरव्यू पर रोक लगा दी थी। इन दिनों ट्रंप प्रशासन में अंतरराष्ट्रीय छात्रों पर नीतिगत उलटफेर का दौर जारी है। इसके चलते सुरक्षा मानक काफी सख्त कर दिए गए हैं।
भारतीय छात्रों की संख्या में रिकॉर्ड 70 फीसदी की गिरावट
नई नीतियों के कारण अमेरिकी विश्वविद्यालयों में दाखिला लेने वाले भारतीय छात्रों की संख्या में 70% तक गिर गई है। वीजा स्लॉट न मिलने, अचानक बढ़े रिजेक्शन और सख्त सुरक्षा जांच के चलते कई भारतीय छात्रों ने कनाडा, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और यूरोप जैसे देशों की ओर रुख किया है। एच-1बी और छात्र वीजा पर बढ़ती अनिश्चितता ने भारतीय परिवारों की चिंता बढ़ा दी है।
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