
रायपुर, 24 नवम्बर।राज्य में सरकारी निर्माण कार्यों की धीमी रफ्तार को लेकर छत्तीसगढ़ कांट्रेक्टर्स एसोसिएशन ने तीखी नाराज़गी जताई है।
एसोसिएशन का कहना है कि विभागीय समीक्षा बैठकों में सिर्फ़ “तेजी लाने” की बातें होती हैं, जबकि ठेकेदारों के दो-दो साल पुराने करोड़ों रुपये के बिलों का भुगतान तक नहीं किया जा रहा है, जिससे निर्माण कार्य ठप पड़ने की नौबत आ गई है।
प्रदेश अध्यक्ष बीरेश शुक्ला ने आज यहां जारी बयान में बताया कि वर्ष 2023-24 के पूर्ण हो चुके कार्यों के लगभग 200 करोड़ रुपये पीडब्ल्यूडी में अभी तक बकाया हैं। इसी तरह वर्ष 2024-25 के भुगतान भी अटके हुए हैं। आरोप है कि विभाग ने बिल सबमिशन के लिए इस्तेमाल होने वाला डिमांड पोर्टल भी बंद कर दिया है।
श्री शुक्ला के अनुसार, पीडब्ल्यूडी के प्रमुख अभियंता वी.के. भतपहरी को पहले कार्यशैली के कारण मंत्रालय में OSD के रूप में अटैच किया गया था, लेकिन दोबारा प्रमुख अभियंता बनाए जाने के बाद डिवीज़नों से भेजे गए बिलों पर रोक लगाई जा रही है।इसका सबसे ज़्यादा असर सी और डी श्रेणी के ठेकेदारों पर पड़ रहा है, जो 5–10 करोड़ तक के कार्य लेते हैं और जिनकी संख्या सबसे अधिक है।
हाल ही में पीडब्ल्यूडी सचिव कमलप्रीत सिंह समेत उपमुख्यमंत्री अरुण साव द्वारा कई विभागीय बैठकें ली गईं, जिनमें निर्माण कार्यों में तेजी लाने के निर्देश दिए गए।लेकिन एसोसिएशन का कहना है कि जब भुगतान ही नहीं होगा, तो तेजी कैसे आएगी? उच्च अधिकारियों को भी वास्तविक स्थिति से गुमराह किया जा रहा है।
श्री शुक्ला ने बताया कि ठेकेदार जल्द ही उपमुख्यमंत्री अरुण साव से मुलाकात कर जिम्मेदार अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई की मांग करेंगे। उनका कहना है कि सरकार विकास कार्यों में तेजी चाहती है, लेकिन बिल भुगतान में बाधा डालने वाले अफसरों पर कार्रवाई ज़रूरी है।
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