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केरल में सामने आए अफ्रीकन स्‍वाइन के मामले, मचा हडकंप

केरल के वायनाड और अन्‍य पड़ोसी जिलों में अफ्रीकन स्‍वाइन के मामले सामने आए हैं। इससे यहां डर का माहौल है। इसे फैलने से रोकने के लिए सुअरों को मारने के आदेश दिए गए हैं। इस निर्देश के अनुसार इन क्षेत्रों में अब तक 700 से अधिक से सुअर मार दिए गए हैं। इसकी क्षतिपूर्ति के रूप में जिले के तीन अलग-अलग इलाकों में सात किसानों को 37 लाख रुपये से अधिक की राशि मुआवजे के रूप में दिए जाने का ऐलान किया गया है।

मुआवजे का वितरण इस दिन होगा

जिला प्रशासन कार्यालय की तरफ से जारी एक विज्ञप्ति में कहा गया, राज्य के पशुपालन और डेयरी विकास मंत्री जे चिंचुरानी मानंतवाडी नगरपालिका के साथ-साथ थविंजल और नेनमेनी ग्राम पंचायतों में प्रभावित किसानों को 37,07,752 रुपये मुआवजे के रूप में देंगे। इन्‍हीं इलाकों में कुल 702 सूअरों को मारा गया है।

राज्‍य सरकार देगी मुआवजे की पूरी राशि

राज्‍य सरकार की तरफ से पिछले हफ्ते किए गए ऐलान के बाद कि अफ्रीकन स्‍वाइन फीवर की वजह से नुकसान झेल रहे वायनाड और कन्‍नूर जिले के किसानों को इसी महीने मुआवजे की राशि दे दी जाएगी, यह घोषणा की गई है।

इस दौरान राज्‍य सरकार ने यह भी स्‍पष्‍ट कर दिया था कि वह मुआवजे की पूरी राशि का भुगतान कर देगी और केंद्र सरकार द्वारा इस संबंध में किए जाने वाले आवंटन की प्रतीक्षा नहीं करेगी। आमतौर पर मुआवजे की राशि का वहन केंद्र और राज्‍य सरकार मिलकर करते हैं। इस बीच, संबंधित जिलों के पशु कल्‍याण विभागों के अधिकारियों को उन किसानों का आकलन करने के लिए कहा गया जो इस महामारी से प्रभावित हुए हैं।

केंद्र की तरफ से यह चेतावनी मिलने के बाद कि बिहार और देश के कुछ उत्‍तर-पूर्वी राज्‍यों में अफ्रीकन स्‍वाइन फीवर के मामले सामने आए हैं, केरल ने जुलाई से ही जैव सुरक्षा के मानकों का कड़ाई से पालन करना शुरू कर दिया है।

स्‍वाइन फ्लू है बेहद संक्रामक

संयुक्‍त राष्‍ट्र खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) के मुताबिक, अफ्रीकन स्‍वाइन फीवर बेहद संक्रामक है और यह घरेलू सुअरों में फैलने वाली एक घातक बीमारी है।

इसका पता सबसे पहले पूर्वी अफ्रीकी देश केन्‍या में सन् 1921 में एक ऐसी बीमारी के रूप में लगा था जिसकी चपेट में आकर घरेलू सुअरों की मौत हो जाती है। वॉरथोग के संपर्क में आने को वायरस के प्रसार का एक महत्‍वपूर्ण कारक माना गया।