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राहुल गांधी का आरोप: “जाति जनगणना पर मोदी सरकार की न ठोस योजना, न समयसीमा”

नई दिल्ली, 03 दिसम्बर।लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने बुधवार को केंद्र सरकार पर जाति जनगणना को लेकर स्पष्ट नीति और ठोस योजना न होने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा संसद में दिए गए लिखित उत्तर से स्पष्ट है कि जाति आधारित जनगणना के संबंध में कोई रोडमैप तैयार नहीं किया गया है, जिसे उन्होंने देश के बहुजन समाज के साथ “खुला विश्वासघात” बताया।

    राहुल गांधी ने ‘एक्स’ पर पोस्ट कर कहा, “संसद में मैंने सरकार से जाति जनगणना पर सवाल पूछा था। उनका जवाब चौंकाने वाला है—न ठोस रूपरेखा, न समयबद्ध योजना, न संसद में चर्चा और न ही जनता से संवाद। दूसरे राज्यों की सफल जाति जनगणनाओं से सीखने की भी कोई इच्छा नहीं।”

  कांग्रेस नेता ने लोकसभा में लिखित रूप से पूछा था कि दशकीय जनगणना की तैयारियों में कौन-कौन से प्रक्रियात्मक कदम शामिल हैं, उसकी समयसीमा क्या है और क्या सरकार जनगणना प्रश्नावली को सार्वजनिक कर जनता व जनप्रतिनिधियों से सुझाव लेने वाली है। इसके साथ ही उन्होंने यह भी जानना चाहा था कि क्या केंद्र विभिन्न राज्यों के जाति सर्वेक्षण से सीख ले रहा है।

इसके जवाब में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने बताया कि आगामी जनगणना दो चरणों में पूरी की जाएगी—पहले मकान सूचीकरण और आवास गणना, फिर आबादी की गणना। उन्होंने कहा कि आबादी की मुख्य गणना फरवरी 2027 में होगी, जिसकी संदर्भ तिथि 1 मार्च 2027 की मध्यरात्रि तय की गई है। हालांकि लद्दाख, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के बर्फीले एवं दुर्गम क्षेत्रों में यह प्रक्रिया सितंबर 2026 में पूरी की जाएगी।

मंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि 150 वर्षों से अधिक पुराने जनगणना इतिहास के अनुसार हर बार पिछले अनुभवों से सीख ली जाती है और गणना से पहले संबंधित हितधारकों से सुझाव लिए जाते हैं।

राहुल गांधी ने सरकार के इस उत्तर को अपर्याप्त बताते हुए फिर जोर दिया कि जाति जनगणना को लेकर सरकार की कोई ठोस प्रतिबद्धता दिखाई नहीं देती।