
रायपुर, 28 दिसंबर।छत्तीसगढ़ की राजधानी नवा रायपुर स्थित आदिवासी अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान परिसर में स्थापित शहीद वीर नारायण सिंह स्मारक सह-जनजातीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानी संग्रहालय अपने उद्देश्यों को सफलतापूर्वक साकार कर रहा है। अंग्रेजी हुकूमत के दौर में जनजातीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के संघर्ष, शौर्य और बलिदान को जीवंत रूप में प्रस्तुत करने वाला यह संग्रहालय देश-विदेश के पर्यटकों, विद्यार्थियों और शोधार्थियों के लिए प्रेरणा व ज्ञान का केंद्र बन गया है।
उद्घाटन के महज दो महीनों के भीतर ही 72 हजार से अधिक दर्शक संग्रहालय का भ्रमण कर चुके हैं। स्कूल-कॉलेज के छात्र, आम नागरिकों के साथ-साथ प्रशासनिक अधिकारी और विदेशी पर्यटक भी बड़ी संख्या में यहां पहुंच रहे हैं।
छत्तीसगढ़ राज्योत्सव की रजत जयंती के अवसर पर 1 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस भव्य संग्रहालय को राष्ट्र को समर्पित किया था। संग्रहालय का निर्माण आदिम जाति विकास विभाग के मार्गदर्शन में किया गया, जिसकी सतत निगरानी मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय और विभागीय मंत्री श्री रामविचार ने की।
आदिम जाति विकास विभाग के प्रमुख सचिव सोनमणि बोरा ने कहा कि यह संग्रहालय जनजातीय समाज के गौरवशाली इतिहास, साहस और बलिदान का प्रतीक है। यहां आने वाले दर्शकों की संख्या यह दर्शाती है कि संग्रहालय निर्माण का उद्देश्य सफल हो रहा है। संग्रहालय पूरी तरह डिजिटल है, जहां क्यूआर कोड, ऑडियो-वीडियो और गाइड की सहायता से जानकारी प्राप्त की जा सकती है। दिव्यांगों, महिलाओं और बच्चों के लिए विशेष सुविधाएं भी उपलब्ध हैं।
संग्रहालयाध्यक्ष डॉ. अनिल वीरूलकर के अनुसार, हाल ही में नीदरलैंड से आए पर्यटकों के दल सहित देश के विभिन्न राज्यों के लोग संग्रहालय की डिजिटल और जीवंत प्रस्तुतियों की प्रशंसा कर रहे हैं। डीजीपी कॉन्फ्रेंस के दौरान भी बड़ी संख्या में प्रशासनिक अधिकारियों ने यहां भ्रमण किया।
परिसर में शुद्ध पेयजल, पार्किंग, शौचालय, सूचना केंद्र, प्राथमिक उपचार सुविधा और सीसीटीवी सुरक्षा व्यवस्था उपलब्ध है। साथ ही यहां कोयतूर बाजार भी लगाया गया है, जहां जनजातीय महिला स्व-सहायता समूहों द्वारा हस्तशिल्प, पारंपरिक वस्त्र और आभूषणों का प्रदर्शन एवं विक्रय किया जा रहा है।
झारखंड, धमतरी, रायपुर सहित विभिन्न स्थानों से आए दर्शकों का कहना है कि संग्रहालय की जीवंत झांकियां उन्हें स्वतंत्रता संग्राम के दौर में ले जाती हैं और यह स्थान बच्चों व युवाओं के लिए अत्यंत ज्ञानवर्धक है।
यह संग्रहालय न केवल जनजातीय समाज बल्कि समूचे समाज के लिए इतिहास, प्रेरणा और सांस्कृतिक चेतना का महत्वपूर्ण केंद्र बनकर उभर रहा है।
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