नई दिल्ली 09दिसम्बर।नागरिकता संशोधन विधेयक विपक्ष की आपत्तियों को खारिज करने के बाद लोकसभा में पेश कर दिया गया है।
विधेयक को मत-विभाजन के जरिये सदन की राय लेने के बाद पेश किया गया। 293 सदस्यों ने विधेयक के पक्ष में मतदान किया, जबकि 82 सदस्य इसे पेश करने के विरोध में थे।
गृहमंत्री अमित शाह ने इससे पहले विपक्ष के शोर-शराबे के बीच विधेयक को सदन में प्रस्तुत किया।इस विधेयक का उद्देश्य कुछ खास श्रेणियों के अवैध आप्रवासियों को मौजूदा कानून के प्रावधानों से छूट देने के लिए अधिनियम में बदलाव करना है।विधेयक पेश करते हुए श्री शाह ने कहा कि यह विधेयक अल्पसंख्यकों के खिलाफ नहीं है और यह संविधान के अनुच्छेद 14 का भी उल्लंघन नहीं करता।
उन्होने कहा कि ऑर्टिकल-14 रीज़नेबल क्लासिफिकेशन के आधार पर कानून बनाने से रोक नहीं सकता है। 1971 में, श्रीमती इंदिरा गांधी ने एक निर्णय किया कि बांगलादेश से जितने भी लोग आये हैं, सारे लोगों को नागरिकता दी जाएगी। अब मुझे एक बात बताइये कि तो फिर पाकिस्तान से आए हुए क्यों नहीं लिए। ये बिल कहीं पर भी इस देश की प्वांईट जीरो-जीरो एक प्रतिशत भी इस देश की माइनॉरिटी के खिलाफ नहीं है।
कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और डीएमके पार्टी के सदस्यों ने सदन में विधेयक पेश किये जाने का विरोध किया। कांग्रेस सदस्य अधीर रंजन चौधरी का कहना था कि यह प्रतिगामी विधेयक है और संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन करता है।उऩ्होने कहा कि..मुझे यह कहने में कोई दिक्कत नहीं है कि ये एक पीछे ले जाने वाला विधेयक है। ये हमारे देश के अल्पसंख्यकों को निशाना बनाने के लिए लाया गया विधेयक है..।
आरएसपी पार्टी के एम के प्रेमचंद्रन ने भी यह कहते हुए विधेयक का विरोध किया कि यह संविधान की बुनियादी बातों का उल्लंघन करता है।तृणमूल कांग्रेस के प्रोफेसर सौगत राय ने भी विधेयक पेश किए जाने का विरोध किया।