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श्रीलंका के नए प्रधानमंत्री बने दिनेश गुणवर्धने, 15वें पीएम के रूप में ली शपथ

आर्थिक और राजनीतिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका में बेशक अभी अर्थव्यवस्था के पटरी पर आने की कोई उम्मीद नजर न आती हो, लेकिन यहां का राजनीतिक संकट लगभग खत्म होता दिख रहा है. रानिल विक्रमसिंघे के राष्ट्रपति की शपथ लेने के एक दिन बाद ही श्रीलंका के वरिष्ठ सांसद दिनेश गुणवर्धने ने शुक्रवार को नए प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली. 73 वर्षीय गुणवर्धने श्रीलंका के 15वें प्रधानमंत्री चुने गए हैं.

गोटाबाया राजपक्षे के कार्य़काल में थे गृह मंत्री

डेली मिरर की रिपोर्ट के अनुसार, गुरुवार को श्रीलंका पोदुजाना पेरामुना (एसएलपीपी) पार्टी के अंदर कई चर्चाओं के बाद, गुणवर्धने को राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने फ्लावर रोड, कोलंबो में प्रधानमंत्री कार्यालय में शपथ दिलाई. गुणवर्धने को अप्रैल में तत्कालीन राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने गृह मंत्री नियुक्त किया था. गोटाबाया के देश से भाग जाने और अपने पद से इस्तीफा देने के साथ, पूर्व प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने 21 जुलाई को श्रीलंका के आठवें राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली थी. सूत्रों के अनुसार, गोटबाया राजपक्षे और रानिल विक्रमसिंघे के मंत्रिमंडल में काम करने वाले मंत्रियों को शुक्रवार को शपथ दिलाई जाएगी. सरकार रुके हुए काम को फिर से शुरू कराने की कोशिश में है, हालांकि सूत्रों ने कहा कि 27 जुलाई को संसद बुलाए जाने के बाद, एक राष्ट्रीय सरकार पर चर्चा होगी.

बंद पड़े काम अब होंगे चालू

सूत्रों ने बताया कि राजनीतिक दलों के राष्ट्रीय सरकार बनाने के बाद मंत्रिमंडल में फेरबदल किया जाएगा और नए कैबिनेट मंत्री शपथ लेंगे. मीडिया पोर्टल के अनुसार, वरिष्ठ सूत्रों ने कहा, “अभी बहुत सारे कागजात हैं जिन्हें कैबिनेट को सौंपने की जरूरत है और मंत्रालयों ने काम करना बंद कर दिया है. इसलिए पिछली सरकार आज शपथ लेगी और अपना काम फिर से शुरू करेगी।”

प्रदर्शनकारियों पर अब सख्ती

इस बीच, शुक्रवार तड़के कोलंबो में श्रीलंकाई राष्ट्रपति सचिवालय के परिसर के बाहर बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारियों और सशस्त्र सुरक्षा कर्मियों के बीच टकराहट हुई. श्रीलंका के राष्ट्रपति सचिवालय के परिसर के बाहर नए राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे प्रदर्शनकारियों को नियंत्रित करने के लिए सशस्त्र सैनिकों को तैनात किया गया था. प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि राजधानी में चल रहे सरकार विरोधी धरना शिविर पर सुरक्षाकर्मियों ने छापेमारी की. श्रीलंकाई राष्ट्रपति सचिवालय के परिसर के बाहर सशस्त्र सुरक्षाकर्मियों द्वारा प्रदर्शनकारियों के टेंट को तोड़ा जा रहा है.

लोगों ने कहा, देश को घटिया राजनीति की जरूरत नहीं 

सशस्त्र बलों की कार्रवाई के बीच एक प्रदर्शनकारी ने कहा, “रानिल विक्रमसिंघे हमें नष्ट करना चाहते हैं, वे फिर से ऐसा कर रहे हैं, लेकिन हम कभी हार नहीं मानेंगे. हम अपने देश को ऐसी घटिया राजनीति से मुक्त बनाना चाहते हैं.” विक्रमसिंघे ने गुरुवार को संसद में प्रधान न्यायाधीश जयंत जयसूर्या के समक्ष श्रीलंका के राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली थी बुधवार को संसद में हुए चुनाव में उन्हें राष्ट्रपति चुना गया था.