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पहली बार हुई सदियों से उपेक्षित वर्गों की चिन्ता-केदार

रायपुर 01 दिसम्बर।छत्तीसगढ़ के स्कूल शिक्षा और आदिम जाति विकास मंत्री केदार कश्यप ने कहा कि राज्य में सैकड़ों वर्षों से उपेक्षित वर्गों की चिन्ता पहली बार रमन सरकार ने की है।

श्री कश्यप आज दोपहर यहां न्यू सर्किट हाउस में मीडिया प्रतिनिधियों से चर्चा कर रहे थे। उन्होंने राज्य सरकार के 14 वर्ष की विकास यात्रा के अंतर्गत अपने विभागों की योजनाओं और उपलब्धियों का विस्तार से ब्यौरा दिया। उन्होंने बताया कि स्कूल शिक्षा विभाग का बजट वर्ष 2003-04 में सिर्फ 750 करोड़ 47 लाख रूपए था, जो इस वर्ष 2017-18 में 14 गुना बढ़कर 12 हजार करोड़ रूपए तक पहुंच गया है।

उन्होंने कहा प्रदेश के आदिवासी बहुल, अनुसूचित जाति बहुल और पिछड़े वर्गों की बहुलता वाले इलाकों में इन समुदायों की तरक्की और खुशहाली के लिए पिछले 14 वर्षों में कई ऐसे कार्य हुए हैं और कई ऐसी योजनाएं शुरू की गई है, जिनके बारे में पहले कभी किसी ने सोचा भी नहीं था। अल्प संख्यक समुदायों के विकास पर भी गंभीरता से ध्यान दिया जा रहा है।

श्री कश्यप ने कहा कि समाज के उपेक्षित और वंचित वर्गों को विकास की मुख्य धारा से जोड़ने के लिए रमन सरकार ने आदिवासी बहुल सरगुजा और बस्तर विकास प्राधिकरणों का गठन किया। उसी तर्ज पर उन्होंने अनुसूचित जाति विकास प्राधिकरण और ग्रामीण एवं अन्य पिछड़ा वर्ग विकास प्राधिकरण की भी स्थापना की।बस्तर और सरगुजा में मेडिकल कॉलेज, सरगुजा में ही सैनिक स्कूल, दंतेवाड़ा में विशाल एजुकेशन सिटी, नक्सल पीड़ित क्षेत्रों के प्रतिभावान बच्चों के लिए मुख्यमंत्री बाल भविष्य सुरक्षा योजना के तहत प्रयास आवासीय विद्यालयों की स्थापना जैसे अनेक ऐतिहासिक कार्य हुए हैं।

श्री कश्यप ने बताया कि विगत 14 वर्ष में बच्चों की दर्ज संख्या राज्य के प्राथमिक स्कूलों में लगभग 72 प्रतिशत से बढ़कर 96.33 प्रतिशत और मिडिल स्कूलों में 66.45 प्रतिशत से बढ़कर 91.4 प्रतिशत तक पहुंच गई। वर्ष 2003-04 में प्राथमिक शालाओं में 29 बच्चों पर एक शिक्षक कार्यरत थे, जबकि वर्ष 2016-17 की स्थिति में राज्य सरकार के प्रयासों से 22 बच्चों पर एक शिक्षक कार्यरत हैं। यह संख्या राष्ट्रीय औसत से भी बेहतर है। इसी तरह वर्ष 2003-04 में मिडिल स्कूलों (पूर्व माध्यमिक शालाओं में)  48 बच्चों पर एक शिक्षक की व्यवस्था थी, जबकि वर्ष 2016-17 में इन स्कूलों में 22 विद्यार्थियों पर एक शिक्षक कार्यरत हैं। इससे बच्चों के अध्यापन कार्यों में काफी सुविधा हो रही है।