उच्च न्यायालय ने बुधवार को केंद्र सरकार को कुत्तों की खतरनाक नस्लों को रखने के लाइसेंस पर प्रतिबंध लगाने और रद्द करने के लिए एक ज्ञापन पर तीन महीने के भीतर निर्णय लेने का निर्देश दिया है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन व मिनी पुष्करणा की पीठ ने याचिकाकर्ता से कहा कि अधिकारियों को इस मुद्दे पर निर्णय लेने दें, क्योंकि वे ही संबंधित कानूनों और विनियमों का मसौदा तैयार करते हैं।
कुत्तों की स्थानीय नस्लों को बढ़ावा देने की आवश्यकता
सुनवाई के दौरानअदालत ने कुत्तों की स्थानीय नस्लों को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर भी जोर दिया। कहा कि भारतीय नस्लों का ध्यान रखने की जरूरत है। वे कहीं अधिक मजबूत हैं। वे आसानी से बीमार नहीं पड़ते, क्योंकि वे स्थानीय परिस्थितियों के अभ्यस्त हो गए हैं। आज हम स्थानीय लोगों के लिए मुखर हैं। केंद्र सरकार के वकील ने कहा कि ज्ञापन पहले ही संबंधित विभाग को भेजा जा चुका है और हितधारकों के साथ परामर्श के बाद इस पर निर्णय लिया जाएगा।
पांच अक्तूबर को तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने इस मुद्दे पर याचिकाकर्ता की जनहित याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया था और कहा था कि उन्हें अपनी शिकायत के साथ पहले सरकारी अधिकारियों के पास जाना चाहिए।
अपनी याचिका में कानूनी वकील और बैरिस्टर लॉ फर्म ने आरोप लगाया था कि बुलडॉग, रॉटवीलर, पिटबुल, टेरियर्स, नीपोलिटन मास्टिफ जैसी नस्ल के कुत्ते खतरनाक कुत्ते हैं और भारत सहित 12 से अधिक देशों में प्रतिबंधित हैं, लेकिन दिल्ली नगर निगम अभी भी इन्हें पंजीकरण कर रहा है। याचिका में इस बात पर प्रकाश डाला गया कि ऐसी नस्ल के कुत्तों द्वारा अपने मालिकों सहित लोगों पर हमला करने की कई घटनाएं हुई हैं। इन पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए।
CG News | Chhattisgarh News Hindi News Updates from Chattisgarh for India