भारतीय वायु सेना के प्रमुख एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी ने दुर्घटना के बाद लापता एएन-32 विमान का पता लगाने के लिए महासागर और पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय को धन्यवाद दिया है। वायु सेना का यह विमान 2016 में बंगाल की खाड़ी के ऊपर लापता हो गया था।
उन्होंने यह भी कहा कि भारत को अंतत: समुद्र की गहराई में जाकर समुद्र तल में मलबे का पता लगाने की तकनीक मिल गई है। उन्होंने बताया कि इस रहस्य से पर्दा उठने में इतना समय लग गया, लेकिन हमें गहरे समुद्र में जाने और समुद्र तल में ऐसी चीजों का पता लगाने की तकनीक मिल गई। हम इसके लिए महासागर और पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के बहुत आभारी हैं।
उल्लेखनीय है राष्ट्रीय महासागर प्रौद्योगिकी संस्थान, वायु सेना के परिवहन विमान के मलबे का पता लगाने में कामयाब रहा, जो सात साल पहले 22 जुलाई, 2016 को 29 लोगों के साथ लापता हो गया था। इस दुर्घटना में किसी कर्मचारी का शव या विमान का मलबा बरामद नहीं हुआ था।
3.4 किमी की गहराई पर खोज निकाला गया मलवा
हाल ही में गहरे समुद्र में अन्वेषण क्षमता वाले एक एयूवी की मदद से विमान का मलबा बंगाल की खाड़ी में लगभग 3.4 किमी की गहराई पर खोज निकाला गया। यह खोज मल्टी-बीम सोनार, ¨सथेटिक एपर्चर सोनार और हाई रिजल्यूशन फोटोग्राफी सहित कई पेलोड का उपयोग कर की गई। मंत्रालय ने कहा कि राष्ट्रीय महासागर प्रौद्योगिकी संस्थान, पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के तत्वावधान में कार्य करता है।