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उच्चतम न्यायालय का मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को घरों में नजरबंद करने का आदेश

नई दिल्ली 29 अगस्त।उच्‍चतम न्‍यायालय ने पांच जाने-माने मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की महाराष्‍ट्र पुलिस द्वारा गिरफ्तारी को खारिज करते हुए इन्‍हें घर में नजरबंद रखने को कहा है। न्‍यायालय ने कहा कि वैचारिक असहमति का होना लोकतंत्र में सुरक्षा वाल्‍व की तरह है।

प्रधान न्‍यायाधीश दीपक मिश्र की अध्‍यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने आज कहा कि असहमति लोकतंत्र का सुरक्षा वाल्‍व है और अगर इसे अनुमति नहीं दी गई तो विस्‍फोट हो सकता है। न्‍यायालय ने घटना के नौ महीने बाद कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी पर भी सवाल उठाये। पीठ में अन्‍य न्‍यायाधीश न्‍यायमूर्ति ए०एम० खानविल्‍कर तथा न्‍यायमूर्ति डी०वाई० चंद्रचूड़ शामिल हैं।

शीर्ष न्‍यायालय ने पांच मानवाधिकार कार्यकर्ता- वरवरा राव, वर्नोन गोंजाल्‍वेज़, अरूण फरेरा, सुधा भारद्वाज और गौतम नवलखा जेल नहीं भेजने लेकिन उन्‍हें पुलिस निगरानी में छह सितम्‍बर तक घर में नजरबंद रखने का आदेश दिया।इन पांचों को पुलिस ने कल देशभर के विभिन्‍न स्‍थानों से गिरफ्तार किया था।

न्‍यायालय ने इस मामले में पांच प्रमुख बुद्धिजीवियों की अपील पर महाराष्‍ट्र सरकार और राज्‍य पुलिस को नोटिस भी जारी किये। राष्‍ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने महाराष्‍ट्र सरकार और राज्‍य पुलिस प्रमुख को नोटिस जारी किये और चार सप्‍ताह के भीतर तथ्‍यात्‍मक रिपोर्ट पेश करने को कहा।