रायपुर 19 जुलाई।छत्तीसगढ़ मंत्रिपरिषद ने राज्य के नगरीय क्षेत्रों में शासकीय भूमि के आबंटन, अतिक्रमित भूमि के व्यवस्थापन और भूमि स्वामी को हक प्रदान करने के संबंध में पूर्व में जारी निर्देश और परिपत्रों को निरस्त कर दिया है।
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की अध्यक्षता में आज यहां मंत्रालय महानदी भवन में मंत्रिपरिषद की आयोजित बैठक में इस आशय के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई।मंत्रिपरिषद के निर्णय के अनुसारराजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा नगरीय क्षेत्रों में अतिक्रमित भूमि के व्यवस्थापन, शासकीय भूमि के आबंटन एवं वार्षिक भू-भाटक के निर्धारण एवं वसूली प्रक्रिया संबंधी 11 सितम्बर 19 को जारी परिपत्र, नगरीय क्षेत्रों में प्रदत्त स्थायी पट्टों का भूमिस्वामी हक प्रदान किए जाने संबंधी 26 अक्टूबर 19 को जारी परिपत्र, नजूल के स्थायी पट्टों की भूमि को भूमिस्वामी हक में परिवर्तित किए जाने के लिए 20 मई 20 को जारी परिपत्र तथा नगरीय क्षेत्रों में शासकीय भूमि के आबंटन, अतिक्रमित भूमि के व्यवस्थापन और भूमि स्वामी हक प्रदान करने के संबंध में 24 फरवरी 24 को जारी परिपत्र निरस्त किए जाने वाले परिपत्रों में शामिल है।
मंत्रिपरिषद की बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि इन प्रपत्रों के अंतर्गत जारी आदेशों के तहत आबंटित भूमि की जानकारी राजस्व विभाग की वेबसाईट में प्रदर्शित की जाएगी और इस विषय में कोई भी आपत्ति और शिकायत प्राप्त होने पर संभागीय आयुक्त द्वारा इसकी सुनवाई की जाएगी।
मंत्रिपरिषद की बैठक में प्रथम अनुपूरक अनुमान वर्ष 2024-2025 का विधानसभा में उपस्थापन के लिए छत्तीसगढ़ विनियोग विधेयक-2024 के प्रारूप का अनुमोदन किया गया।
मंत्रिपरिषद ने इसके अलावा किसानों को उनकी उपज का अधिकतम मूल्य प्राप्त हो, इसके लिए छत्तीसगढ़ कृषि उपज मंडी अधिनियम में संशोधन किए जाने का निर्णय लिया गया। मंत्रिपरिषद की बैठक में छत्तीसगढ़ कृषि उपज मंडी (संशोधन) विधेयक-2024 के प्रारूप का अनुमोदन किया गया।
छत्तीसगढ़ कृषि उपज मंडी अधिनियम में संशोधन होने से अन्य प्रदेश के मंडी बोर्ड अथवा समिति के एकल पंजीयन अथवा अनुज्ञप्तिधारी, व्यापारी एवं प्रसंस्करणकर्ता भारत सरकार द्वारा संचालित ई-नाम पोर्टल (राष्ट्रीय कृषि बाजार) के माध्यम से अधिसूचित कृषि उपज की खरीदी-बिक्री बिना पंजीयन के कर सकेंगे, इससे छत्तीसगढ़ राज्य के किसानों और विक्रेताओं को अधिकतम मूल्य मिल पाएगा।
संशोधन प्रस्ताव के अनुसार मंडी फीस के स्थान पर अब ‘‘मंडी फीस तथा कृषक कल्याण शुल्क‘‘ शब्द जोड़ा जाना प्रस्तावित है। संशोधन प्रस्ताव के अनुसार कृषक कल्याणकारी गतिविधियों के लिए मंडी बोर्ड अपनी सकल वार्षिक आय की 10 प्रतिशत राशि छत्तीसगढ़ राज्य कृषक कल्याण निधि में जमा करेगा। इस निधि का उपयोग नियमों में शामिल प्रयोजनों के लिए किया जा सकेगा।