भारत का दालों का आयात पिछले वर्ष के 47.38 लाख टन से घटकर चालू वित्त वर्ष में 40-45 लाख टन रह सकता है, ऐसा इंडस्ट्री बॉडी इंडिया पल्सेस एंड ग्रेन्स एसोसिएशन (IPGA) के चेयरमैन बिमल कोठारी का कहना है। उन्होंने इस साल मॉनसून की अच्छी स्थिति के चलते घरेलू उत्पादन में वृद्धि और खुदरा कीमतों में कमी की संभावना जताई है।
पीली मटर पर आयात शुल्क की मांग
IPGA ने सरकार से मांग की है कि दाल बाजार के लिए दीर्घकालिक नीति बनाई जाए, ताकि बार-बार बदलाव से अंशधारकों के हितों को नुकसान न पहुंचे। इसके अलावा, संस्था ने पीली मटर पर आयात शुल्क लगाने की भी सिफारिश की है। कोठारी ने ‘भारत दलहन सेमिनार 2024’ में संवाददाताओं से कहा कि इस वित्त वर्ष में दालों के आयात की मात्रा 40-45 लाख टन रहने की संभावना है।
आयात में कमी के कारण
कोठारी ने कहा कि फसल वर्ष 2024-25 में दालों के उत्पादन में सुधार और पिछले वित्त वर्ष में अधिक आयात के कारण आयात में कमी आएगी। उन्होंने बताया कि भारत ने पिछले वित्त वर्ष में 16 लाख टन मसूर दाल का आयात किया था, जबकि 10 लाख टन की जरूरत थी। पीली मटर का आयात भी 2023-24 के स्तर से कम हो सकता है। उन्होंने बताया कि इस साल मॉनसून की बारिश बेहतर रही है और खरीफ सत्र में दालों की फसल का रकबा बढ़ा है, जिससे घरेलू उत्पादन बढ़ने की उम्मीद है।
थोक बाजारों में कीमतों में कमी
कोठारी ने कहा कि पिछले एक महीने में थोक बाजारों में दालों की कीमतों में कमी आई है और आगे भी इसमें कमी आने की संभावना है। तुअर की कीमतों में पिछले एक महीने में 20 रुपये प्रति किलोग्राम की कमी देखी गई है। उन्होंने आशंका जताई कि इस साल दालों की कीमतें बढ़ेंगी नहीं, बल्कि गिरती रहेंगी। पिछले महीने, सरकार ने संसद को सूचित किया था कि घरेलू मांग को पूरा करने के लिए 2023-24 के दौरान भारत का दालों का आयात सालाना आधार पर 90 प्रतिशत बढ़कर 47.38 लाख टन हो गया।