नई दिल्ली 21 सितम्बर। कांग्रेस ने भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) द्वारा आरटीआई के तहत उन मामलों की जानकारी देने से इनकार किए जाने की आलोचना की है, जिनमें इसकी चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच ने हितों के टकराव के कारण खुद को जांच से अलग किया।
कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता जयराम रमेश ने ने कहा कि मामलों का खुलासा करने से इनकार करना सार्वजनिक जवाबदेही और पारदर्शिता का ‘‘मजाक’’ है। सेबी ने सूचना के अधिकार (आरटीआई) कानून के तहत जानकारी मांगे जाने पर शुक्रवार को कहा था कि हितों के संभावित टकराव के कारण सेबी की चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच के मामलों से खुद को अलग कर लेने के बारे में जानकारी ‘फिलहाल’ उपलब्ध नहीं है और उन्हें जुटाने पर उसे अपने संसाधनों का ‘अपव्यय’ करना होगा।
पारदर्शिता के लिए काम कर रहे कमोडोर लोकेश बत्रा (सेवानिवृत्त) की तरफ से दाखिल एक आरटीआई आवेदन के जवाब में सेबी ने कहा था कि उनके और उनके परिजन के पास मौजूद वित्तीय परिसंपत्तियों और इक्विटी के बारे में बुच की तरफ से सरकार और सेबी बोर्ड को दी गई जानकारियों की प्रतियां नहीं दी जा सकतीं। सेबी ने इस ब्योरे को ‘‘व्यक्तिगत जानकारी’’ बताते हुए कहा कि उनके खुलासे से व्यक्तिगत सुरक्षा ‘‘खतरे में’’ पड़ सकती है।
श्री रमेश ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर लिखा, ‘‘सेबी चेयरपर्सन के व्यक्तिगत वित्तीय लाभ से जुड़े अब तक जितने भी मामले सामने आए हैं, वे सभी अपने आप में चौंकाने वाले हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘अब इस ताजा मामले ने धधकती आग में घी डालने का काम किया है। एक आरटीआई कार्यकर्ता ने सेबी से उसकी चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच के हितों के टकराव से जुड़े मामलों से खुद को अलग करने के बारे में जानकारी मांगी थी, लेकिन सेबी ने इसका जवाब देने से इनकार कर दिया।’’