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जलवायु परिवर्तन दुनिया की सबसे बड़ी चुनौती: मुख्यमंत्री साय

रायपुर 03 अक्टूबर।छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा है कि पर्यावरण संकट और जलवायु परिवर्तन वर्तमान में राष्ट्रीय चिंतन का विषय बन गया है। जलवायु परिवर्तन  हाल के वर्षों में दुनिया की सबसे बड़ी चुनौती बनकर उभरी है। हम सभी को मिलकर इस समस्या से निपटने के लिए सहभागिता निभानी होगी।

   श्री साय ने आज राजधानी के पंडित दीनदयाल उपाध्याय सभागार में आयोजित प्रथम संस्करण छत्तीसगढ़ हरित शिखर के शुभारंभ कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि इस वर्ष देश में गर्मी ने पिछले सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए। राजधानी दिल्ली में तापमान 52.3 डिग्री तक पहुंच गया था। जलवायु परिवर्तन ने भारत ही नहीं वन पूरे दुनिया में दस्तक दी है। दुबई जैसे रेगिस्तानी इलाके में अत्यधिक बारिश होने से पूरा शहर बाढ़ की चपेट में आ गया। उन्होंने कहा कि आज क्लाइमेट चेंज दुनिया में सबसे बड़ी चुनौती है और प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत पहले से ही इस समस्या के बारे में वैश्विक जगत को आगाह किया था।
        
      उन्होने कहा कि प्रदेश का 44 प्रतिशत हिस्सा वनाच्छादित है और हम इसे सहेजने का काम गंभीरता के साथ कर रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी के एक पेड़ मां के नाम अभियान के तहत 4 करोड़ वृक्ष लगाने का जो लक्ष्य रखा गया था, वह हमने पूरा कर लिया है। हाल ही में हमने गुरु घासीदास-तमोर पिंगला को टाइगर रिजर्व बनाने की पहल की है। इसके माध्यम से वन्यजीवों के संरक्षण और पर्यावरण के संवर्धन में भी बड़ी मदद मिलेगी और यह देश का तीसरा सबसे बड़ा टाइगर रिजर्व होगा। उन्होंने कहा कि प्रदेश में रिन्यूएबल एनर्जी की दिशा में भी हम लगातार काम कर रहे हैं। भारत में 200 गीगावॉट रिन्यूएबल एनर्जी का उत्पादन हो रहा है। वर्ष 2030 तक इसे बढ़ाकर 500 गीगावॉट करने की योजना है, इस लक्ष्य को पाने के लिए प्रदेश भी सहभागी होगा।

     श्री साय ने कहा कि जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए छत्तीसगढ़ में अनेक कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। वृक्षारोपण को बढ़ावा देने के लिए हम किसान वृक्ष मित्र योजना, ग्रीन क्रेडिट योजना का क्रियान्वयन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमने नवा रायपुर में पीपल फॉर पीपल अभियान की शुरुआत की है, जिसके तहत हजारों पीपल के पेड़ लगाए गए हैं। मुख्यमंत्री श्री साय ने आशा व्यक्त करते हुए कहा कि ऐसे सम्मेलनों के आयोजन से पर्यावरण संरक्षण की दिशा में कार्य तेजी से आगे बढ़ेंगे और विषय विशेषज्ञों की मदद से स्वच्छ पर्यावरण के लक्ष्य को प्राप्त करने में हम कामयाब होंगे।