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महाकुंभ मेले में जन केंद्रित दृष्टिकोण अपनाने के लिए प्रशिक्षण ले रही यूपी पुलिस!

संगम नगरी प्रयागराज में होने वाले आगामी महाकुंभ मेले को सफल बनाने के लिए उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार कोई कोर-कसर नहीं छोड़ना चाहती है। मुख्यमंत्री की दृष्टि के अनुरूप पुलिस अपने कर्मचारियों को जन केंद्रित दृष्टिकोण अपनाने के लिए प्रशिक्षित कर रही है। इसी दिशा में पुलिस ने यहां परेड ग्राउंड में स्थित संकल्प ट्रेनिंग पंडाल में एक व्यापक प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किया है जिसमें ‘सुरक्षा आपकी, संकल्प हमारा’ ध्येयवाक्य के साथ अधिकारियों को करोड़ों श्रद्धालुओं की सुरक्षा के साथ ही उनसे मित्रवत व्यवहार करने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है।

पुलिस पर है 40 करोड़ श्रद्धालुओं की सुरक्षा का जिम्मा
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी-कुम्भ मेला) राजेश द्विवेदी ने बताया कि 16 अक्टूबर से प्रारंभ यह प्रशिक्षण शिविर दिसंबर तक चलेगा। जिसमें 21 दिनों में दो बैच में अधिकारियों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘हमारा इस बात पर जोर है कि पुलिसकर्मियों का व्यवहार इतना अच्छा हो कि लोग महाकुम्भ को हमेशा याद रखें। विश्व के सबसे बड़े धार्मिक समागम में करीब 40 करोड़ श्रद्धालुओं के आने का अनुमान है और मुख्य स्नान पर्व मौनी अमावस्या पर अनुमानित 10 करोड़ लोग संगम में आस्था की डुबकी लगाएंगे। इसलिए पुलिस पर इतनी भारी भीड़ की सुरक्षा का अहम जिम्मा है।

श्रद्धालुओं की हर संभव मदद के लिए दी जा रही ट्रेनिंग
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक ने बताया कि कौशल प्रशिक्षण के तहत पुलिसकर्मियों को यह सिखाया जा रहा है कि वे पार्किंग, परिवहन, मार्गों और व्यवस्थाओं के बारे में श्रद्धालुओं की किस प्रकार से मदद करेंगे। उनका कहना था कि साथ ही साधु-संन्यासियों के साथ कैसे विनम्रता से पेश आना है, इसका भी प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इस प्रशिक्षण शिविर में पुलिसकर्मियों को भाषिनी ऐप जैसे एआई टूल्स के बारे में भी जानकारी दी जा रही है, जिससे वे विदेशी पर्यटकों और श्रद्धालुओं के साथ उनकी भाषा में बातचीत कर सकें। उनके मुताबिक इसके साथ ही ‘चैटबॉट’ के बारे में भी उन्हें जानकारी दी जा रही है ताकि इस मेले में श्रद्धालुओं की हर संभव मदद की जा सके। जल सुरक्षा पर विशेष ध्यान देने के लिए जल पुलिस, राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (NDRF) और राज्य आपदा मोचन बल (SDRF) के कर्मियों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। जिससे वे स्नान के दौरान लोगों को डूबने से बचा सकें। ये कर्मचारी नावों के सुरक्षित संचालन और सुरक्षा मानकों को देखेंगे, जबकि यातायात पुलिस श्रद्धालुओं का सुगम आवागमन सुनिश्चित करेंगे।