नई दिल्ली 20 दिसम्बर।कांग्रेस सदस्यों के राफाल सौदे की जांच संयुक्त संसदीय समिति से कराने की मांग को लेकर की जा रही नारेबाजी के बीच लोकसभा ने उपभोक्ता संरक्षण विधेयक-2018 पारित कर दिया है।
यह उपभोक्ता संरक्षण कानून-1986 का स्थान लेगा।विधेयक में खाद्य पदार्थों में मिलावट के लिए कड़ी सजा का प्रावधान किया गया है।विधेयक में जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर उपभोक्ता विवाद निपटान आयोग की स्थापना का प्रावधान है।विधेयक के तहत जिला आयोगों को, एक करोड रुपये तक के दावों संबंधी शिकायतों को निपटाने का अधिकार दिया गया है। पहले यह राशि बीस लाख रुपये तक थी। इस बारे में राज्य आयोगों की सीमा एक करोड रुपये से बढ़ाकर 15 करोड रुपये कर दी गई है।
उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्री रामविलास पासवान ने विधेयक पेश करते हुए कहा कि मौजूदा कानून 32 वर्ष पुराना है जो वर्तमान जरूरतों के मुताबिक नहीं है।तृणमूल कांग्रेस की प्रतिमा मंडल ने विधेयक पर चर्चा शुरू की। चर्चा में भाग लेने वाले सभी 11 सदस्यों ने विधेयक का समर्थन किया।
चर्चा के जवाब में श्री रामविलास पासवान ने कुछ सदस्यों की आशंकाओं को निराधार बताया कि इससे उपभोक्ता आयोगों में, नियुक्तियों में राज्यों के अधिकारों का अतिक्रमण होगा। विधेयक ध्वनिमत से पारित कर दिया गया।
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