ट्रंप प्रशासन के साथ द्विपक्षीय मुद्दों पर बातचीत की शुरुआत में भारत कोई देरी नहीं करना चाहता। यही वजह है कि 20 जनवरी, 2025 को अमेरिका के नये राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के शपथग्रहण समारोह के कुछ ही घंटे बाद विदेश मंत्री एस. जयशंकर की ट्रंप प्रशासन के संबंधित लोगों के साथ द्विपक्षीय हितों से जुड़े हर मुद्दों पर बात होगी।
कारोबार और आव्रजन पर होगी बात
जयशंकर शपथग्रहण समारोह में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे। वहां उनकी ट्रंप प्रशासन के साथ भारत-अमेरिका कारोबारी संबंधों और आव्रजन संबंधी मुद्दों पर खास तौर पर बात होगी। साथ ही जयशंकर अमेरिका के नये विदेश सचिव के साथ क्वाड देशों के विदेश मंत्रियों की अलग से आयोजित बैठक में भी हिस्सा लेंगे। यह बैठक मुख्य तौर पर भारत में होने वाली आगामी क्वाड शिखर सम्मेलन की तैयारियों के संदर्भ में होगी।
सोच समझकर भारत नहीं कर रहा देरी
कूटनीतिक सूत्रों ने बताया कि भारत ने सोच समझ कर ट्रंप प्रशासन के साथ बगैर किसी देरी के विमर्श का दौर शुरू करने का फैसला किया है। दिसंबर, 2024 के अंत में विदेश मंत्री जयशंकर का अमेरिका दौरा और अमेरिकी राष्ट्रपति के शपथग्रहण समारोह में विदेश मंत्री का जाना, इस फैसले का ही हिस्सा है।
इसके पीछे दो वजहें हैं। एक, भारत का आकलन है कि आने वाले समय में वैश्विक अस्थिरता तेजी से बढ़ने वाली है। विदेश मंत्री जयशंकर ने हाल के हफ्तों में कई बार सार्वजनिक भाषणों में इस बात का जिक्र किया है।
दूसरा, ट्रंप प्रशासन की कारोबार व आव्रजन संबंधी नीतियों में बड़े बदलाव की बात कही है और अगर इसे लागू किया जाता है तो भारत पर खासा प्रभाव होगा। ऐसे में प्रारंभ में ही दोनों देशों के बीच वार्ता की शुरुआत होने से नीतिगत सामंजस्य बनाने में आसानी होगी।
टैरिफ की धमकी दे चुके हैं ट्रंप
सनद रहे कि ट्रंप ने सरकार गठन के बाद उन देशों के आयात पर ज्यादा शुल्क लगाने की बात कही है जो अमेरिकी उत्पादों पर ज्यादा शुल्क लगाते हैं। ट्रंप पूर्व में कई बार सार्वजनिक तौर पर चीन, कनाडा के साथ भारत का नाम भी ले चुके हैं जिनके आयात पर वह ज्यादा शुल्क बतौर अर्थदंड लगाना चाहते हैं।
भारत नहीं चाहेगा अमेरिका के साथ तनाव
ट्रंप अपने पहले कार्यकाल के दौरान भी भारत सरकार की तरफ से ज्यादा शुल्क लगाने की नीति पर अपनी नाराजगी जताते रहे हैं। अमेरिका भारत का सबसे बड़ा कारोबारी साझेदार देश है। कारोबार संतुलन भी भारत के पक्ष में है। हाल के महीनों में भारत के निर्यात की स्थिति बहुत सुखद नहीं है। ऐसे में भारत नहीं चाहेगा कि सबसे बड़े कारोबार साझेदार देश के साथ तनाव बढ़े। जयशंकर की आगामी यात्रा इस मुद्दे पर बात करने का मौका देगा।
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