
रायपुर 26 जून।छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने लोकतंत्र विरोधी ताकतों से सावधान रहने और लोकतंत्र को सशक्त बनाने के लिए निरंतर प्रयत्नशील रहने का आह्वान किया हैं।
श्री साय ने आज अपने निवास कार्यालय में आयोजित आपातकाल स्मृति दिवस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि लोकतंत्र केवल एक शासन प्रणाली नहीं, बल्कि जीवन जीने की एक पद्धति है। आज हम लोकतंत्र की फिजा में जिस आज़ादी का अनुभव कर रहे हैं, उसकी कीमत आपातकाल के दौरान कुछ लोगों ने यातना, अपमान और जेलों में समय काटकर चुकाई थी। इन लोकतंत्र सेनानियों की पीड़ा और संघर्ष को हर पीढ़ी तक पहुँचाना हमारा कर्तव्य है।
उन्होंने कहा कि लोकतंत्र की रक्षा के लिए संघर्ष करने वाले लोकतंत्र सेनानियों को बेड़ियों में जकड़कर शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित किया गया। यह सब स्वतंत्र भारत में हुआ, लेकिन उस अमानवीयता ने अंग्रेजी हुकूमत की क्रूरता की याद दिला दी। आपातकाल के दौरान असहनीय कष्ट सहने वाले लोकतंत्र सेनानी आज भी हमारे लिए प्रेरणा का स्रोत हैं।
श्री साय ने इस अवसर पर लोकतंत्र सेनानियों को सम्मानित किया। कार्यक्रम में उन्होंने श्री सच्चिदानंद उपासने द्वारा लिखित पुस्तक ‘वो 21 महीने: आपातकाल’ का भी विमोचन किया।
विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने अपने उद्बोधन में आपातकाल की भयावहता और लोकतंत्र सेनानियों के बलिदान पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि आपातकाल के 21 महीनों की प्रताड़ना और लोकतंत्र पर हुए आघात को देश के हर नागरिक तक पहुँचाना आज की पीढ़ी की ज़िम्मेदारी है। डॉ. सिंह ने कहा कि यह हम सबका सौभाग्य है कि आज मीसाबंदी आंदोलन के सहभागी और उनके परिजन हमारे बीच हैं। उन्होंने आपातकाल को असंवैधानिक करार देते हुए कहा कि उस समय पूरे देश को एक विशाल जेल में बदल दिया गया था। इस अवसर पर पवन साय और लोकतंत्र सेनानी संघ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सच्चिदानंद उपासने ने भी कार्यक्रम को संबोधित किया।
कार्यक्रम में उद्योग मंत्री लखनलाल देवांगन, विधायक मोतीलाल साहू, सीजीएमएससी के अध्यक्ष दीपक म्हस्के, नागरिक आपूर्ति निगम के अध्यक्ष संजय श्रीवास्तव, अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष अमरजीत छाबड़ा, रायपुर विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष नन्द कुमार साहू, लोकतंत्र सेनानी संघ के प्रदेश अध्यक्ष दिवाकर तिवारी सहित बड़ी संख्या में लोकतंत्र सेनानी एवं उनके परिजन उपस्थित थे।