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ड्रोन से खून पहुंचाने की तकनीक को हरी झंडी, आईसीएमआर का दिल्ली-एनसीआर में किया गया अध्ययन कारगर

वैज्ञानिकों का मानना है कि भविष्य में यह तकनीक वैक्सीन, इमरजेंसी ड्रग्स और यहां तक कि सर्जिकल उपकरणों की आपूर्ति में भी उपयोगी हो सकती है।

आपातकालीन चिकित्सा स्थितियों में रक्त और उसके घटकों की समय पर आपूर्ति जीवन और मृत्यु के बीच का अंतर तय कर सकती है। लेकिन भारत जैसे विशाल और विविध भौगोलिक क्षेत्र वाले देश में सड़क मार्ग से यह आपूर्ति कई बार बाधित हो जाती है। अब नई दिल्ली स्थित भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के एक पायलट अध्ययन ने यह साबित कर दिया है कि ड्रोन तकनीक इस चुनौती का प्रभावी समाधान हो सकती है।

वैज्ञानिकों ने दिल्ली और एनसीआर के तीन संस्थानों लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज, ग्रेटर नोएडा के गवर्नमेंट इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज और जेपी इंस्टिट्यूट ऑफ इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी के साथ मिलकर यह अध्ययन किया।

आईसीएमआर के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. सुमित अग्रवाल ने बताया कि दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में किए गए इस अध्ययन में देखा गया कि ड्रोन ने लगभग 36 किलोमीटर की दूरी मात्र आठ मिनट में तय कर ली। जबकि पारंपरिक वैन से यही दूरी तय करने में 55 मिनट का समय लगा।
अध्ययन के अनुसार, ड्रोन की औसत गति 70–75 किमी/घंटा रही जबकि वैन की गति ट्रैफिक पर निर्भर रही। अध्ययन में कुल 60 ब्लड बैग्स का उपयोग किया गया जिनमें पूर्ण रक्त, पैक्ड रेड ब्लड सेल्स, फ्रेश फ्रोज़न प्लाज्मा और प्लेटलेट्स शामिल थे।

इन नमूनों को ड्रोन व वैन दोनों से भेजा गया और उसके बाद उनके जैव-रासायनिक मानकों की तुलना की गई। परिणामों से पता चला कि तापमान, हेमोग्लोबिन, हेमेटोक्रिट, फैक्टर-8, फाइब्रिनोजन, एलडीएच, पोटेशियम व क्लोरीन जैसे मानकों में दोनों तरीकों से लाए गए रक्त में कोई उल्लेखनीय अंतर नहीं पाया गया।

डबल ब्लाइंड टेस्टिंग से हुई निष्पक्ष जांच
सैंपलों की गुणवत्ता जांचने के लिए ‘डबल ब्लाइंड’ पद्धति अपनाई गई, यानी जांचकर्ताओं को यह नहीं बताया गया कि कौन सा नमूना ड्रोन से आया है और कौन सा वैन से। इससे अध्ययन की निष्पक्षता और विश्वसनीयता बनी रही।

सिर्फ खून ही नहीं, दवाओं की डिलीवरी का भी रास्ता : वैज्ञानिकों का मानना है कि भविष्य में यह तकनीक वैक्सीन, इमरजेंसी ड्रग्स और यहां तक कि सर्जिकल उपकरणों की आपूर्ति में भी उपयोगी हो सकती है। इससे ग्रामीण और दूरदराज़ के क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवा की पहुंच को नई ऊंचाई मिल सकती है।