प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने शराब घोटाले में छत्तीसगढ़ के पूर्व सीएम भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल को गिरफ्तार किया है। ईडी ने चैतन्य को गिरफ्तार कर विशेष न्यायाधीश डमरूधर चौहान की विशेष कोर्ट रायपुर में पेश किया, जहां से कोर्ट ने उन्हें पांच दिन की ईडी रिमांड पर भेज दिया। रिमांड के दौरान ईडी शराब घोटाला मामले को लेकर उनसे पूछताछ करेगी। बड़ा सवाल ये है कि ईडी ने चैतन्य बघेल को किस शक के आधार पर गिरफ्तार किया?। इस घोटाले में उनकी क्या भूमिका है? इसके पीछे की कहानी क्या है? इस गिरफ्तारी के पीछे एजेंसी ने क्या तर्क दिए हैं।
इस गिरफ्तारी के बाद जो बातें सामने आ रही हैं। उसके मुताबिक, चैतन्य बघेल को धन शोधन रोधी अधिनियम की धारा 19 के तहत गिरफ्तार किया गया है। सूत्रों के मुताबिक, नए सबूत मिलने के बाद की गई छापेमारी के दौरान चैतन्य कथिततौर पर सहयोग नहीं कर रहे थे। चैतन्य बघेल से कथित रूप से जुड़ी कंपनियों को कथित शराब घोटाले से अर्जित लगभग 17 करोड़ रुपये की ‘अपराध आय’ प्राप्त हुई है। करीब 1,070 करोड़ रुपये की धनराशि के साथ ही उनकी भूमिका एजेंसी की जांच के दायरे में है।
बंसल, त्रिलोक और दीपेंद्र के जरिये चैतन्य तक पहुंचा पैसा
ईडी के अधिकारियों को ये साबूत बघेल करीबियों से पूछताछ के बाद मिले हैं। पप्पू बंसल, त्रिलोक ढिल्लन और दीपेंद्र चावड़ा के माध्यम से चैतन्य बघेल पैसा पहुंचाया गया। ईडी के वकील सौरभ पांडेय ने रायपुर कोर्ट में कही। चैतन्य बघेल ने ये पैसा हवाला कारोबारियों की सहायता से अलग-अलग राज्यों में निवेश करवाया। ईडी की कार्रवाई के दौरान एक पेन ड्राइव भी मिला है। इसे लेकर ईडी ने पप्पू बंसल और दीपेन चावड़ा से पूछताछ की थी। इस मामले में ईडी ने दुर्ग के बघेल बिल्डकॉन और बिलासपुर के विट्टल ग्रीन्स को भी अपने जाँच के दायरे में रखा है। ईडी ने इनमें से कई लोगों के बयानों का हवाला देते हुए यह लिख रखा है कि इस पूरे चेन के ज़रिए लभभग एक हजार करोड़ रुपए लगाकर पैसे सफेद करने की कथित कोशिश का पता चला है। इस चेन में अनवर ढेबर ने दीपेंद्र को दिए गए शराब स्कैन के पैसे भी गए हैं। इनमें से अधिकांश आरोपी शराब घोटाला मामले में जेल में बंद हैं।
चार महीने पहले भी पड़ी थी रेड
ईडी शराब घोटाला, कोल घोटाला, महादेव सट्टा एप समेत कई मामलों की जांच कर रही है। 10 मार्च 2025 को ईडी टीम ने बस्तर, रायपुर और भिलाई में छापेमारी की थी। भूपेश बघेल के भिलाई और रायपुर स्थित निवास, कारोबारी पप्पू बंसल, दीपेन चावड़ा, समेत अन्य कारोबारियो के ठिकानों पर दबिश दी थी। आरोपियों से जब्त पेन ड्राइव से मिले बयानों की समीक्षा की। चार महीने बाद भूपेश बघेल की ठिकाने पर दोबारा दबिश देकर भिलाई से चैतन्य बघेल को गिरफ्तार किया।
क्या करते हैं चैतन्य बघेल?
चैतन्य बघेल रियल एस्टेट जुड़े हैं। उन्हें बिट्टू के नाम से भी जाना जाता है। जुलाई में उनके फार्म ने भिलाई में दो रिहायसी कॉलोनी विट्ठलपुरम और विट्ठल ग्रीन्स बनाई है। चैतन्य करोड रुपए की संपत्ति के मालिक हैं। इस कारोबार से उन्हें हर कमाने करोड़ों रुपये की कमाई होती है।
खेती भी है इनकम का जरिया
भूपेश बघेल की दुर्ग जिले के कुरुदडीह गांव में खेत है। ऐसा कहा जाता है कि उनकी फैमिली के पास लगभग 100 एकड़ से ज्यादा की जमीन है, जिसमें खेती करते हैं। अक्सर पूर्व सीएम और चैतन्य बघेल अपने खेतों की फोटो शेयर करते रहते हैं। धान की खेती से अच्छी आमदनी होती है। रियल-ए- स्टेट के साथ ही चैतन्य पिता के साथ खेती भी करते हैं। दूसरी ओर शादी से पहले उनकी पत्नी बैंक में नौकरी करती थीं।
यहां जानें शराब घोटाले की पूरी कहानी…
छत्तीसगढ़ में दो हजार करोड़ रुपये के शराब घोटाले मामले में एसीबी और ईओडब्ल्यू की टीम ने 20 मई 2025 को प्रदेश के कई जिलों में छापेमारी की थी। दुर्ग-भिलाई, महासमुंद, धमतरी, रायपुर समेत 20 से ज्यादा जगहों पर टीम ने दबिश दी थी। दुर्ग-भिलाई में 22 जगहों पर कार्रवाई हुई थ। एसीबी और ईओडब्ल्यू की टीमें चार गाड़ियों में मंगलवार सुबह पांच बजे भिलाई पहुंची थी। महासमुंद जिले के सांकरा और बसना में भी छापेमारी हुई थी। प्रदेश के पूर्व आबकारी मंत्री रह चुके कवासी लखमा के करीबियों के ठिकानों पर कार्रवाई की गई थी।
दुर्ग-भिलाई में एसीबी और ईओडब्ल्यू की टीम शराब घोटाले से जुड़े कारोबारियों के यहां पहुंची थी। भिलाई के आम्रपाली अपार्टमेंट में अशोक अग्रवाल की फेब्रीकेशन और अन्य चीजों की फैक्ट्री है। अशोक अग्रवाल पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा के करीबी हैं। उन पर लखमा के साथ मिलकर शराब घोटाले को अंजाम देने का आरोप है।
इसके अलावा एसके केजरीवाल, नेहरू नगर भिलाई, विनय अग्रवाल, खुर्सीपार,संजय गोयल, डायरेक्टर स्पर्श हॉस्पिटल, नेहरू नगर,विश्वास गुप्ता बिल्डर, दुर्ग,बंसी अग्रवाल, नेहरू नगर भिलाई,आशीष गुप्ता, डायरेक्टर, आशीष इंटरनेशनल होटल सुपेला, नेहरू नगर स्थित घर में कार्रवाई हुई थी।
महासमुंद जिले के सांकरा में किराना व्यवसायी कैलाश अग्रवाल और बसना में एलआईसी एजेंट जय भगवान अग्रवाल के यहां ईओडब्लू की दबिश दी थी। शराब घोटाला मामले में ईओडब्लू ने दोनों व्यवसायी के घर टीम पहुंची थी। चार वाहनों में करीब 20 सदस्यीय टीम रिकॉर्ड खंगालने के लिए पहुंची थी। जय भगवान अग्रवाल भिलाई के पप्पू बंसल के रिश्तेदार बताये जा रहे हैं। पप्पू बंसल के यहां शराब से जुड़े मामले में पहले भी छापा पड़ चुका है।
धमतरी में भी छापा
उधर, धमतरी जिले में अशोक अग्रवाल के दामाद सौरभ अग्रवाल के यहां भी टीम पहुंची थी। बैंक के कागजातों की छानबीन की थी।
17 मई 2025 को भी पड़ी थी रेड
17 मई 2025 को एसीबी-ईओडब्ल्यू की टीम ने छापा मारी थी। शनिवार की एसीबी-ईओडब्ल्यू की टीम ने पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा और उनके करीबियों के ठिकानों पर छापेमारी की थी। राजधानी रायपुर, दंतेवाड़ा, अंबिकापुर, सुकमा, तोंगपाल और जगदलपुर समेत लगभग 15 ठिकानों पर ईओडलब्यू की टीम ने दबिश दी थी। सुकमा जिला मुख्यालय में चार ठिकानों पर रेड कार्रवाई की गई थी।
ईडी ने पेश किया था 3 हजार 841 पन्ने का चालान
दो हजार करोड़ के शराब घोटाले मामले में प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी ने 13 मार्च को रायपुर के स्पेशल कोर्ट में 3 हजार 841 पन्नों का चालान दाखिल किया है। इसमें जेल में बंद पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा सहित 21 लोगों को आरोपियों के नाम हैं। इन आरोपियों में रायपुर के पर्व मेयर एजाज ढेबर के बड़े भाई अनवर ढेबर, पूर्व आईएएस अनिल टुटेजा, त्रिलोक सिंह ढिल्लन, छत्तीसगढ़ डिस्टलरी, वेलकम डिस्टलरी, टॉप सिक्योरिटी, ओम साईं ब्रेवेरेज, दिशिता वेंचर, नेस्ट जेन पावर, भाटिया वाइन मर्चेंट और सिद्धार्थ सिंघानिया सहित अन्य 21 लोगों के नाम शामिल हैं।
जेल में बंद हैं कवासी लखमा
ईडी ने शराब घोटाले केस में 15 जनवरी को प्रदेश के पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा को गिरफ्तार किया था। इससे पूर्व उनसे दो बार ईडी ऑफिस में बुलाकर पूछताछ हुई थी। गिरफ्तारी के सात दिन बाद पहले आबकारी मंत्री लखमा को पहले ईडी ने सात दिन कस्टोडियल रिमांड में लेकर पूछताछ की थी। फिर 21 जनवरी से 4 फरवरी तक लखमा को 14 दिन के न्यायिक रिमांड लिया था। पिछली सुनवाई के दौरान जेल में पर्याप्त सुरक्षा बल नहीं होने के कारण लखमा की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पेशी हुई थी। कोर्ट ने सुनवाई के बाद 18 फरवरी तक लखमा की रिमांड बढ़ा दी थी। लखमा के बेटे हरीश लखमा से भी ईडी ने पूछताछ की थी।
जनवरी 2024 में हुई थी एफआईआर
एसीबी और ईओडब्ल्यू ने ईडी के पत्र के आधार पर जनवरी 2024 में एफआईआर दर्ज की है। ईओडब्ल्यू के दर्ज एफआईआर में अनिल टुटेजा, अरुणपति त्रिपाठी और अनवर ढेबर को शराब घोटाला का मास्टरमाइंड बताया गया है। एफआईआर में शामिल बाकी आईएएस और अन्य सरकारी ऑफिसर और लोग सहयोग किये थे। शराब घोटाला से होने वाली आमदनी का एक बड़ा हिस्सा इन्हीं तीनों को जाता था। टुटेजा आईएएस ऑफिसर हैं, जब घोटाला हुआ तब वे वाणिज्य एवं उद्योग विभाग के संयुक्त सचिव थे। दूरसंचार सेवा से प्रतिनियुक्ति पर आए त्रिपाठी आबकारी विभाग के विशेष सचिव और छत्तीसगढ़ मार्केटिंग कॉर्पोरेशन के एमडी थे। वहीं अनवर ढेबर रायपुर के मेयर एजाज ढेबर के बड़े भाई और शराब कारोबारी है।
100 लोगों के खिलाफ नामजद एफआईआर
ईडी ने शराब और कोयला घोटाला मामले में दो पूर्व मंत्रियों, विधायकों सहित 100 लोगों के खिलाफ नामजद एफआईआर दर्ज कराई थी। इनमें भूपेश सरकार में आबकारी मंत्री रह चुके कवासी लखमा, मंत्री मरजीत भगत, पूर्व विधायक, गुलाब कमरो, शिशुपाल, बृहस्पत सिंह, चंद्रदेव प्रसाद राय, यूडी मिंज, विधायक देवेंद्र यादव के नाम शामिल हैं। इनके अलावा 2 निलंबित आईएएस (समीर विश्नोई, रानू साहू), रिटायर्ड आईएएस ऑफिसर और कांग्रेस कोषाध्यक्ष समेत अन्य के नेताओं के नाम शामिल हैं।
‘कवासी लखमा को हर महीने मिलते थे दो करोड़ रुपये’
शराब घोटाले केस की जांच में ईडी ने अब तक कई खुलासे किए हैं। ईडी के वकील सौरभ पांडेय ने कवासी की पहली पेशी पर दावा करते हुए कहा था लखमा को हर महीने दो करोड़ रुपये कमीशन के तौर पर मिलते थे। उन्हीं पैसों से उन्होंने कांग्रेस भवन और अपना अलीशान घर बनवाया है। 36 महीने में प्रोसीड ऑफ क्राइम 72 करोड़ रुपए का है। ये राशि उनके बेटे हरीश कवासी के घर के निर्माण और सुकमा कांग्रेस भवन के निर्माण में लगाई गई है। गिरफ्तार अरुणपति त्रिपाठी और अरविंद सिंह ने पूछताछ में बताया था कि पूर्व मंत्री कवासी लखमा के पास हर महीने कमीशन जाता था। शराब कर्टल से हर महीने लखमा को 50 लाख रुपए मिलते थे। 50 लाख रुपए के ऊपर भी डेढ़ करोड़ रुपए और दिया जाता था। इस तरह 2 करोड़ रुपए उन्हें हर महीने कमीशन के रूप में मिलता था। 36 महीने के घोटाले के हिसाब से मंत्री को 72 करोड़ रुपये मिले हैं। आबकारी विभाग में काम करने वाले ऑफिसर इकबाल खान और जयंत देवांगन ने बताया कि वे पैसों का जुगाड़ कर उनको भेजते थे। कन्हैया लाल कुर्रे के जरिए पैसों के बैग तैयार कर सुकमा भेजा जाता था। जगन्नाथ साहू और इनके बेटे हरीश लखमा के यहां जब सर्चिंग की गई डिजिटली सबूत मिले थे। इस डिजिटल सबूत की जब जांज की गई तो मालूम चला कि इस पैसे का उपयोग बेटे हरीश का घर बनवाने और सुकमा में कांग्रेस भवन बनवाने में किया गया है। इतना ही नहीं लखमा ने जांच में भी पूरी तरह से सहयोग नहीं किया। जो सबूत हैं उन्हें नष्ट करने की कोशिश हो सकती है।
28 दिसंबर 2024 को ईडी ने लखमा और उनके बेटे के यहां मारा था छापा
ईडी ने 28 दिसंबर 2024 को पूर्व आबकारी मंत्री लखमा के रायपुर के धरमपुरा स्थित बंगले पर दबिश दी थी। पूर्व मंत्री की कार की तलाशी ली गई थी। कवासी के करीबी सुशील ओझा के चौबे कॉलोनी स्थित घर और सुकमा में लखमा के बेटे हरीश लखमा और नगर पालिका अध्यक्ष राजू साहू के घर पर भी रेड मारी थी। ईडी के छापे के बाद लखमा ने कहा था कि घोटाला हुआ है या फिर नहीं, मुझे इसकी जानकारी नहीं है। मैं तो अनपढ़ आदमी हूं, अधिकारी ने मुझे जहां साइन करने को कहते थे, मैं वहां कर देता था।
तीन बार पूछताछ के बाद हुई थी गिरफ्तारी
ईडी ने लखमा को 15 जनवरी 2025 को गिरफ्तार किया था, लेकिन उससे पहले दो बार 8-8 घंटे तक उनसे पूछताछ की गई थी। लखमा के बेटे हरीश लखमा से भी ईडी ने पूछताछ की थी।
डुप्लिकेट होलोग्राम लगाकर बड़ी मात्रा में अवैध शराब बेची
ईडी के मुताबिक, छत्तीसगढ़ में भूपेश सरकार के कार्यकाल के दौरान वर्ष 2019-2022 तक लाइसेंसी शराब दुकानों में डुप्लिकेट होलोग्राम लगाकर बड़ी मात्रा में अवैध शराब बेची गई थी। इस वजह से छत्तीसगढ़ के राजस्व विभाग को करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ था। शराब को स्कैनिंग से बचाने के लिए नकली होलोग्राम भी लगाया जाता था, जिससे वह किसी की पकड़ में न आ सके। घोटाले में संलिप्त लोगों ने इस होलोग्राम को बनाने के लिए उत्तर प्रदेश के नोएडा में होलोग्राफी का काम करने वाली प्रिज्म होलोग्राफी सिक्योरिटी फिल्म्स प्राइवेट लिमिटेड कंपनी को टेंडर दिया था। यह कंपनी होलोग्राम बनाने के लिए पात्र नहीं थी, फिर भी नियमों में संशोधन करके यह टेंडर कंपनी को दे दिया गया था।
शराब खरीदी में रिश्वतखोरी
पूर्व की कांग्रेस सरकार पर आरोप है कि सीएसएमसीएल (शराब की खरीद और बिक्री के लिए राज्य निकाय) से शराब खरीदने के दौरान रिश्वतखोरी हुई। प्रति शराब मामले के आधार पर राज्य में डिस्टिलर्स से रिश्वत ली गई और देशी शराब को ऑफ-द-बुक बेचा गया। ईडी के मुताबिक, डिस्टिलर्स से कार्टेल बनाने और बाजार में एक निश्चित हिस्सेदारी की अनुमति देने के लिए रिश्वत ली गई थी।
शराब घोटाला से मिले रकम को अपने परिजनों के नाम पर किया निवेश
एफआईआर के मुताबिक अनिल टुटेजा, अरुणपति त्रिपाठी और अनवर ढेबर ने शराब घोटाला से मिले रकम को अपने परिवार वालों के नाम पर निवेश किया। टुटेजा ने अपने बेटे यश टुटेजा के नाम पर निवेश किया और त्रिपाठी ने अपनी पत्नी अपनी पत्नी मंजूला त्रिपाठी के नाम पर फर्म बनाया जिसका नाम रतनप्रिया मीडिया प्रइवेट लिमिटेड था। ढेबर ने अपने बेटे और भतीजों के फर्म पर पैसे निवेश किया।
ऐसे खुला राज!
ईडी की चांच में पता चला कि टेंडर दिलाने के एवज में कंपनी के मालिक से कमीशन लिया गया था। इस मामले में जब कंपनी के मालिक विधु गुप्ता को ईडी ने अरेस्ट किया तो उसने कांग्रेस सरकार में सीएसएमसीएल में एमडी अरुणपति त्रिपाठी, रायपुर महापौर के बड़े भाई शराब कारोबारी अनवर ढेबर और अनिल टुटेजा का नाम लिया। जब ईडी ने इन तीनों आरोपियों को गिरफ्तार किया, तो मामले में और भी खुलासे हुए। फिर साल 2024 में कांग्रेस विधायक और पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा का नाम सामने आया। ED की जांच में पता चला है कि लखमा को शराब घोटाले से पीओसी (प्रोसीड ऑफ क्राइम) से हर महीने कमिशन मिलता था।
शराब घोटाले केस में अब तक ये अरेस्ट
सेवानिवृत्त आईएएस ऑफिसर अनिल टुटेजा
शराब कारोबारी अनवर ढेबर (रायपुर के पूर्व महापौर एजाज ढेबर के बड़े भाई)
अरुण पति त्रिपाठी (तत्कालीन सीएसएमसीएल के एमडी)
अरविंद सिंह
नितेश पुरोहित
सुनील दत्त
त्रिलोक सिंह ढील्लन (कारोबारी)
पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा
विकास अग्रवाल
अनुराग द्विवेदी
अनुराग सिंह
दिलीप पांडे
दीपक द्वारी
चैतन्य बघेल
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