
नई दिल्ली, 28 जुलाई । पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत को ऑपरेशन सिंदूर पर अंतर्राष्ट्रीय समर्थन नही मिलने के विपक्ष के दावों को विदेश मंत्री एस.जयशंकर ने सिरे से खारिज किया है।
श्री जयशंकर ने लोकसभा में “ऑपरेशन सिंदूर” पर चर्चा के दौरान उन्होंने स्पष्ट किया कि संयुक्त राष्ट्र के 193 में से केवल पाकिस्तान और तीन अन्य देशों ने इस अभियान का विरोध किया। शेष सभी देशों ने भारत के रुख का समर्थन किया।
श्री जयशंकर ने कहा, “पहलगाम हमले के बाद पाकिस्तान को यह संदेश देना आवश्यक था कि भारत अपनी सीमाओं के उल्लंघन को बर्दाश्त नहीं करेगा। हमने सिंधु जल संधि को स्थगित किया, अटारी सीमा को अस्थायी रूप से बंद किया और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान की आतंकवाद समर्थक नीति को बेनकाब किया।”
अंतरराष्ट्रीय मंचों से भी मिला समर्थन
विदेश मंत्री ने बताया कि अमेरिका ने ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ (TRF) को वैश्विक आतंकवादी घोषित किया है, जो इस हमले की जिम्मेदारी ले चुका है। क्वाड और ब्रिक्स जैसे मंचों पर भी भारत को आतंकवाद के खिलाफ स्पष्ट समर्थन मिला।
उन्होंने यह भी कहा कि पाकिस्तान संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) का सदस्य होने के बावजूद, परिषद के 25 अप्रैल के बयान में कड़े शब्दों में हमले की निंदा की गई, जो भारत की कूटनीतिक सफलता को दर्शाता है।
“चीन-पाक साझेदारी नई नहीं, 60 साल पुरानी”
जयशंकर ने विपक्ष के आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि चीन और पाकिस्तान की रणनीतिक साझेदारी पिछले 60 वर्षों से चली आ रही है और यह कोई नई बात नहीं है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि उनकी चीन यात्रा पारदर्शिता के साथ हुई थी, न कि किसी गुप्त समझौते या आयोजन के लिए।
अमित शाह का विपक्ष पर हमला
गृह मंत्री अमित शाह ने भी विपक्ष की आलोचना करते हुए कहा, “जो लोग भारत के विदेश मंत्री की बात पर भरोसा नहीं करते, लेकिन दूसरे देशों के बयानों को सच मानते हैं – वे 20 साल तक विपक्ष में ही रहेंगे।”
सुरक्षा और कूटनीति – दोनों में भारत मजबूत
जयशंकर ने कहा कि आज भारतीय सेना चीन और पाकिस्तान से लगी सीमाओं पर पूरी तरह मुस्तैद है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि “भारत अब स्पष्ट कर चुका है – आतंकवाद और बातचीत एक साथ नहीं चल सकते। खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते।”
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