
(संतोष कुमार यादव)
सुलतानपुर 24 सितम्बर।इतिहास गवाह है कि, सत्ता शीर्ष पर सियासतदानों को जाने के जब भी मौके नजर आए तब अपनों के लिए त्याग नही अपनों को त्यागना पड़ा। जिले में भी एक वाकया सामने आया जब विधायक बनने की चाहत ने पति-पत्नी की सियासी राहें जुदा कर दी है। हालांकि यह कोई नया नहीं है। इसके पहले भी पिता, पुत्र, भाई, बहन, पति पत्नी, चाचा, ताऊ जैसे रिश्तों की राहें सत्ता की चाहत में जुदा होती रहीं हैं। लेकिन जिले के लिए शायद यह पहला मामला है जब एक नही दो, दो दंपति अलग, अलग दलों में सियासत कर रहे हैं। एक की पत्नी सपा में हैं, पति आम आदमी पार्टी में हैं, तो वहीं दूसरे की पत्नी भाजपा में और पति सुभासपा के झंडाबरदार हैं।
(पत्नी सपा में रहीं मंत्री पति आम आदमी पार्टी से लड़ चुके नगरपालिका का चुनाव, पत्नी भाजपा में जिला पंचायत अध्यक्ष पति सुभासपा के बने झंडाबरदार)
सपा सरकार में दर्जा प्राप्त मंत्री रहीं डॉ सुरभि शुक्ला एवं उनके पति आप नेता पूर्व मंत्री डॉ संदीप शुक्ला, ब्लाक प्रमुख शिवकुमार सिंह एवं उनकी पत्नी भाजपा से जिला पंचायत अध्यक्ष ऊषा सिंह की बात हो रही है। सरकारी नौकरी छोड़कर सियासत में आए डॉ संदीप शुक्ला पहले सपा, फिर आप के रास्ते सुहेलदेव पार्टी में आए। बाद में आप में गए और नगरपालिका अध्यक्ष पद के लिए चुनाव भी लड़े। जिले की सदर एवं सुल्तानपुर सीट से वे विधायक का चुनाव लड़ना चाहते हैं। श्री शुक्ल सपा नेता डॉ सुरभि शुक्ला के पति हैं। एक समय सत्ता एवं संगठन में सुरभि शुक्ला का दबदबा था। उन्हें अलग-अलग समय में राज्य महिला आयोग का उपाध्यक्ष, आवास विकास परिषद का उपाध्यक्ष, एससीईआरटी का उपाध्यक्ष पद देकर दर्ज प्राप्त मंत्री बनाया गया। हालांकि सैफई परिवार की सियासी लड़ाई में उनकी भी बत्ती छिन गई थी।
श्री संदीप शुक्ला बाल विकास विभाग में परियोजना अधिकारी थे। नौकरी से इस्तीफा देकर उन्होंने सपा ज्वाइन किया। सप्ताह भर बाद ही तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने उन्हें मंत्री का दर्जा भी दे दिया था। हालांकि कुछ ही दिन बाद बर्खास्त भी कर दिया था। इसके पीछे की मुख्य वजह यह थी कि चाचा शिवपाल यादव से जब उनके झगड़े हुए और कुछ दिन के लिए शिवपाल यादव के हाथ में संगठन की बागडोर गई तो उन्होंने सुरभि शुक्ला को संगठन में प्रदेश सचिव व उनके पति डॉ संदीप शुक्ला को जिले की सदर सीट से 2017 में टिकट थमा दिया था। शुक्ला दंपत्ति द्वारा अदल-बदल के इस खेल से अखिलेश नाराज हो गए थे। सत्ता अखिलेश के हाथों में थी इसलिए उसी दौरान उन्होंने उनको मंत्री पद से बर्खास्त कर दिया था। बाद में जब संगठन की बागडोर भी अखिलेश यादव के हाथ आई तो डॉ सुरभि को प्रदेश सचिव एवं संदीप शुक्ला को टिकट से भी हाथ धोना पड़ा था।
अब हाल ही में भाजपा से सुभासपा में शामिल शिवकुमार सिंह की बात करते हैं। इसौली विधानसभा के पारा गनापुर व जगदीशपुर विधानसभा के रामपुर बबुआन गांव के मूल निवासी बल्दीराय ब्लॉक प्रमुख शिव कुमार सिंह ने अपना सियासी सफर कांग्रेस से शुरू किया। बाद में बसपा में आए। 2015 के त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में अपनी पत्नी ऊषा सिंह को जिला पंचायत सदस्य का चुनाव जितवाया। बाद में सपा का दामन थामा और पहली बार सपा से पत्नी को जिला पंचायत अध्यक्ष बनवाया।2017 में सत्ता परिवर्तन के बाद भाजपा की ओर रुख किया। 2021 के पंचायत चुनाव में भाजपा के टिकट पर खुद क्षेत्र पंचायत सदस्य बने और पत्नी को दूसरी बार जिला पंचायत सदस्य बनवाया। पत्नी को दोबारा जिला पंचायत अध्यक्ष भाजपा से बनवाया एवं स्वयं पहली बार बल्दीराय से ब्लॉक प्रमुख बने। ब्लाक प्रमुख एवं जिला पंचायत अध्यक्ष का पद पति-पत्नी के बीच है।
शिव कुमार की निगाहें अब विधायक पद पर है। 2017 के विधानसभा चुनाव में इसौली से एमबीसीआई पार्टी के टिकट पर शिवकुमार चुनाव लड़ चुके हैं। भाजपा में दावेदारों की भीड़ है। ऐसे में भाजपा की सहयोगी पार्टी सुभासपा के रास्ते उनकी इसौली विधानसभा से दावेदारी है। अब भाजपा अपने सहयोगी सुभासपा को यह सीट समझौते में देती है तो शिवकुमार सिंह ही एनडीए की सहयोगी सुभासपा से उम्मीदवार होंगे।
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