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मुकाबला तो सीधी-शहडोल में है: वजह भी है चौंकाने वाली – अरुण पटेल

अरूण पटेल

विंध्य के दो लोकसभा क्षेत्र सीधी और शहडोल में चुनावी मुकाबला दिलचस्प होगा। देखने वाली बात यही रहेगी कि क्या इस बार कांग्रेस इस क्षेत्र में जीत का परचम लहरा पायेगी? शहडोल के मामले में यह बात इसलिए खास मायने रखती है क्योंकि लोकसभा के उपचुनाव में कांग्रेस व भाजपा के बीच जीत-हार का अन्तर काफी कम हो गया था और कांग्रेस ने यहां कड़ी टक्कर दी थी। गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के प्रत्याशी हीरासिंह मरकाम ने भी 50 हजार से अधिक मत प्राप्त किए थे, अन्यथा हो सकता था कि जीत-हार का अन्तर लगभग दस हजार के आसपास सिमट जाता। 2014 में मोदी लहर थी तो 2019 में परिदृश्य यहां कुछ बदला हुआ है तथा प्रदेश में अब कांग्रेस की सरकार है। पिछले विधानसभा चुनाव के समय विंध्य यानी रेवांचल पूरे प्रदेश में चली कांग्रेस की बदलाव की बयार से न केवल अछूता रहा बल्कि उसने 2013 के विधानसभा चुनाव की तुलना में बढ़-चढ़कर भाजपा का साथ दिया। यहां तक कि विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रहे अजयसिंह भी अपने गृह निर्वाचन क्षेत्र चुरहट तथा विधानसभा उपाध्यक्ष डॉ. राजेंद्र सिंह अमरपाटन क्षेत्र से पराजित हो गये।

सीधी लोकसभा क्षेत्र में पिछले दो चुनाव जीतने में भाजपा सफल रही है और अब उसकी आंखों में जीत की हैट्रिक बनाने का सपना तैर रहा है। यह सपना साकार होगा या सपना बनकर ही रह जाएगा यह तो 23 मई को ही पता चल सकेगा, क्योंकि उस दिन नतीजे सामने आयेंगे। 2009 से सीधी लोकसभा क्षेत्र सामान्य हो गया है, इसके पहले यह अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित था। वैसे क्षेत्र का नाम सीधी है लेकिन यहां की राजनीति जलेबी की तरह उलझी हुई है। सतना से सीधी तक का मार्ग भी सीधा नहीं बल्कि बहुत अधिक घुमावदार है। 2014 के लोकसभा चुनाव में यदि मोदी लहर थी तो 2018 के विधानसभा चुनाव में इस लोकसभा क्षेत्र में आने वाले विधानसभा क्षेत्रों में शिवराज सिंह चौहान की जबर्दस्त लहर देखने को मिली। 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा की रीति पाठक ने कांग्रेस के इंद्रजीत कुमार को 1 लाख 80 हजार 46 मतों के अन्तर से पराजित किया था। पाठक को 48.8 प्रतिशत यानी 4 लाख 75 हजार 678 मत मिले थे जबकि कांग्रेस के इंद्रजीत कुमार को 37.16 प्रतिशत यानी 3 लाख 67 हजार 632 मत मिले। इंद्रजीत कुमार पिछड़े वर्ग के इस अंचल के मजबूत नेता रहे हैं, वे दिग्विजय सिंह सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं और लम्बे समय तक विधायक रहे हैं। 2014 के लोकसभा चुनाव में सिंहावल क्षेत्र में ही कांग्रेस को बढ़त मिल पाई थी जबकि अन्य क्षेत्रों में भाजपा की बढ़त थी। हालांकि उस समय कांग्रेस के दो विधायक थे लेकिन इस बार हालात बदले हुए हैं भाजपा विधायकों की संख्या सात हो गयी है, केवल सिंहावल सीट पर ही इंद्रजीत कुमार के बेटे कमलेश्‍वर पटेल ने जीत दर्ज कराई और वे कमलनाथ मंत्रिमंडल में पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के काबीना मंत्री भी हैं।

शहडोल लोकसभा सीट अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है इसे बचाने की जुगत में भारतीय जनता पार्टी यहां एड़ी-चोटी का जोर लगायेगी क्योंकि इस लोकसभा सीट के लिए हुए उपचुनाव में ज्ञान सिंह 60 हजार 383 मतों के अन्तर से काफी मशक्कत के बाद जीत दर्ज कराने में सफल रहे थे। अब इस क्षेत्र में चुनावी मुकाबला दिलचस्प होगा क्योंकि भाजपा उम्मीदवार हिमाद्री सिंह होंगी जिन्होंने पिछले चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार के रुप में ज्ञान सिंह को कड़ी टक्कर दी थी तो वहीं कांग्रेस उम्मीदवार पूर्व भाजपा नेत्री प्रतिभा सिंह होंगी। देखने की बात केवल यह होगी कि टिकट कटने से आक्रोशित ज्ञान सिंह का रुख क्या रहता है, उन्हें उम्मीद है कि हाईकमान अंतत: टिकट बदल देगा। 2017 के लोकसभा उपचुनाव में ज्ञानसिंह को 4 लाख 81 हजार 198 मत मिले थे जबकि कांग्रेस की हिमाद्री सिंह को 4 लाख 21 हजार 15 मत मिले।

हिमाद्री सिंह कांग्रेस मंत्री व सांसद रहे दलबीर सिंह और राजेश नंदिनी सिंह की बेटी हैं। 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के दलपत सिंह परस्ते ने कांग्रेस की राजेश नंदिनी सिंह को 2 लाख 41 हजार 34 मतों के अन्तर से पराजित किया था। लेकिन 2017 में हुए लोकसभा उपचुनाव में एकदम से कांग्रेस का जनाधार काफी बढ़ गया। 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की राजेश नंदिनी सिंह को केवल पुष्पराजगढ़ क्षेत्र में दलपत सिंह परस्ते पर बढ़त हासिल थी। हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में मुकाबला 2014 की तुलना में बराबरी का हो गया क्योंकि आठ विधानसभा सीटों में से चार-चार पर कांग्रेस और भाजपा ने जीत दर्ज कराई है। इस लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत महाकोशल अंचल की बड़वारा सीट भी 2009 से शामिल हो गयी है। आदिवासी मानस में आये बदलाव और कांग्रेस के प्रति बढ़ते रुझान को देखते हुए इस सीट को अपने पास बनाये रखना भाजपा के लिए अब आसान नहीं होगा।

 

सम्प्रति-लेखक श्री अरूण पटेल अमृत संदेश रायपुर के कार्यकारी सम्पादक एवं भोपाल के दैनिक सुबह सबेरे के प्रबन्ध सम्पादक है।