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जांच एजेंसी और अदालतों में सांठगांठ के सुबूत, लोकतंत्र के लिए खतरनाक संकेत : कांग्रेस

रायपुर, 12 अक्टूबर।छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज, नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत, पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं ने आज आरोप लगाया कि छत्तीसगढ़ की जांच एजेंसी ईओडब्लू/एसीबी ने न्यायिक प्रक्रिया के साथ खिलवाड़ किया है और झूठे साक्ष्य गढ़कर अभियुक्तों को फंसाने की साजिश रची जा रही है।

कांग्रेस नेताओं ने प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय राजीव भवन में पत्रकार-वार्ता लेकर कहा कि फोरेंसिक जांच में यह प्रमाणित हुआ है कि अभियुक्त के कलमबद्ध बयान में दो अलग-अलग फॉन्ट का उपयोग हुआ है, जो यह साबित करता है कि बयान अदालत में दर्ज नहीं हुआ, बल्कि पहले से तैयार दस्तावेज पेन ड्राइव में लाकर प्रस्तुत किया गया।

कांग्रेस ने आरोप लगाया कि यह न केवल न्यायिक प्रक्रिया का उल्लंघन है, बल्कि अदालत और जांच एजेंसी के बीच संभावित सांठगांठ का भी संकेत देता है।

क्या है मामला

कथित कोयला घोटाले (अपराध क्रमांक 02/2024, 03/2024) के मामले में अभियुक्त सूर्यकांत तिवारी की जमानत याचिका के दौरान ईओडब्लू/एसीबी ने सर्वोच्च न्यायालय में जो दस्तावेज जमा किए, उनमें सह-अभियुक्त निखिल चंद्राकर का धारा 164 (अब BNSS की धारा 183) के तहत दर्ज बयान भी शामिल था।
  कांग्रेस नेताओं का कहना है कि यह बयान सीलबंद दस्तावेज होना चाहिए था, लेकिन खुला हुआ सर्वोच्च न्यायालय तक पहुंच गया, जिससे इसकी विश्वसनीयता पर सवाल उठते हैं।

 जांच में यह भी पाया गया कि बयान में अदालत द्वारा निर्धारित फॉन्ट की जगह अन्य फॉन्ट का प्रयोग किया गया है, जो दर्शाता है कि यह दस्तावेज अदालत के बाहर तैयार किया गया।

कांग्रेस ने दावा किया कि यह बयान ईओडब्लू/एसीबी कार्यालय में टाइप किया गया और पेन ड्राइव में लाकर अदालत में अभियुक्त के बयान के रूप में प्रस्तुत किया गया, जो न्याय प्रक्रिया से सीधा खिलवाड़ है।

कई स्तरों पर की गई शिकायतें

वरिष्ठ कांग्रेस नेता और वकील गिरीश चंद्र देवांगन ने इस मामले में 10 अक्टूबर 25 को मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी के समक्ष परिवाद पेश किया है। इससे पहले उन्होंने 12 सितंबर 25 को छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार (सतर्कता) के समक्ष भी शिकायत दर्ज करवाई थी।
फोरेंसिक विशेषज्ञ इमरान खान की रिपोर्ट में भी दोनों फॉन्ट अलग-अलग पाए गए हैं।

  देवांगन ने शिकायत में ईओडब्लू/एसीबी के निदेशक अमरेश मिश्रा, अधिकारी राहुल शर्मा और चंद्रेश ठाकुर के विरुद्ध आपराधिक षड्यंत्र रचने का आरोप लगाया है और संबंधित अदालतों के सीसीटीवी फुटेज सुरक्षित रखने की मांग की है।

अकेला मामला नहीं’ – कांग्रेस का दावा

कांग्रेस नेताओं ने कहा कि 16-17 जुलाई को निखिल चंद्राकर के बयान में जो गड़बड़ी हुई, वह पहला मामला नहीं है।
30 सितंबर को रायपुर की एक और अदालत में अधिवक्ताओं ने देखा कि ईओडब्लू/एसीबी की ओर से पेश अभियुक्तों के बयान के दौरान कंप्यूटर में पेन ड्राइव लगी हुई थी। इस पर अधिवक्ताओं ने तत्काल मौखिक शिकायत और 1 अक्टूबर को लिखित शिकायत मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी को सौंपी।

कांग्रेस का आरोप है कि रायपुर की कुछ अदालतें जांच एजेंसी के दबाव में आकर “न्याय की पवित्र प्रक्रिया” पर दाग लगा रही हैं।

लोकतंत्र की जड़ों पर हमला : कांग्रेस

कांग्रेस नेताओं ने कहा कि अगर कार्यपालिका और न्यायपालिका किसी राजनीतिक दबाव में मिलकर काम करने लगें तो लोकतंत्र की नींव हिल जाएगी।
उन्होंने कहा कि केंद्र में भाजपा सरकार आने के बाद से सीबीआई, ईडी, डीआरआई और आयकर विभाग जैसी एजेंसियां विपक्षी दलों को निशाना बना रही हैं, और अब न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर भी सवाल उठने लगे हैं।

कांग्रेस की मांगें

  1. इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच कराई जाए और सभी अदालतों से ऐसे बयानों की प्रतियां मंगाकर फॉरेंसिक परीक्षण किया जाए।
  2. ईओडब्लू/एसीबी निदेशक अमरेश मिश्रा, राहुल शर्मा और चंद्रेश ठाकुर के विरुद्ध आपराधिक मामला दर्ज कर पद से निलंबित किया जाए।
  3. जांच पूरी होने तक इन अधिकारियों को किसी भी जिम्मेदारी से वंचित रखा जाए, ताकि निष्पक्षता बनी रहे।
  4. अदालत से अपील की गई है कि वह इस प्रकरण को उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय के संज्ञान में लाए।
  5. ऐसी कड़ी कार्रवाई की मिसाल बने जिससे भविष्य में कोई जांच एजेंसी या अदालत न्यायिक प्रक्रिया से खिलवाड़ न कर सके।