रायपुर 15अगस्त।छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने कहा कि राज्य वर्ष 2025 में जब अपनी रजत जयंती मनायेगा, तक यह स्मार्ट और हरित छत्तीसगढ़ तथा सशक्त, समृद्ध और खुशहाल छत्तीसगढ़ होगा।
डा.सिंह ने स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर आज राजधानी में ध्वजारोहण और परेड की सलामी के बाद जनता के नाम अपने संदेश में कहा कि दुनिया जानती है कि जब छत्तीसगढ़ की जनता कोई संकल्प लेती है तो उसे पूरा करने से कोई रोक नहीं सकता।
डॉ. सिंह ने कहा कि मेरा सौभाग्य है कि स्वाधीनता दिवस पर, प्राणों से प्यारे तिरंगे झण्डे की छांव में खड़े होकर, आप लोगों को 15वीं बार सम्बोधित कर रहा हूं। लगातार तीन पारियों तक आपके सेवक के रूप में मुझे काम करने का अवसर मिला। हर दिन के काम-काज में आप सबका मार्गदर्शन और सहयोग मिला, इसके लिए मैं जीवनभर आप सभी का आभारी रहूंगा।
उन्होने 2003 में मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद अपने संकल्प को याद दिलाते हुए कहा कि तब मैंने कहा था कि ‘गांव-गरीब और किसान’ मेरी सर्वोच्च प्राथमिकता होंगे। मैंने ‘सबके साथ-सबका विकास’ का संकल्प लिया था, उसके बाद कभी मुझे पीछे मुड़कर देखना नहीं पड़ा। मुझे जनता का बेशुमार प्यार मिला, सहयोग मिला, विश्वास मिला और ऐसा रिश्ता बना, जिसे मैं अपने जीवन की सबसे बड़ी पूंजी मानता हूँ। निरन्तर तीन पारी सेवा का सौभाग्य मिलने की वजह से हमारी सरकार की नीतियों और सुशासन की निरंतरता बनी रही।
डॉ. सिंह ने कहा कि हमने देखा कि अधिक लागत और उपज का कम दाम मिलने का चक्रव्यूह तोड़े बिना किसानों का भला नहीं हो सकता। किसान भाई विवश होकर मुझे बताते थे कि महंगा कृषि ऋण लेकर वे दुष्चक्र में फंस चुके हैं और उनके भविष्य के सारे रास्ते बंद हो चुके हैं। ऐसे किसान भाइयों को तात्कालिक लाभ देने के लिए हमने समय-समय पर अल्पकालीन ऋण माफ किया। सिंचाई पम्पों की संख्या 72 हजार से बढ़ाकर लगभग 5 लाख तक पहुंचा दी, निःशुल्क बिजली दी, धान खरीदी केन्द्रों की संख्या दोगुनी की, पारदर्शी और ऑन लाइन प्रणाली लागू की व तुरंत भुगतान का इंतजाम किया। बिना ब्याज के कृषि ऋण दिया।
उन्होने कहा कि पन्द्रह वर्ष पहले की अनुसूचित जनजाति तथा अनुसूचित जाति की तकलीफों को याद करके मन कांप जाता है। वन क्षेत्रों में ऐसे बिचौलिये सक्रिय थे, जो चार-चिरौंजी जैसे मेवों से बदलकर नमक देते थे। बाकी सुविधाओं के बारे में तो सोचना भी बहुत दूर की बात थी। हमने न सिर्फ आयोडीनयुक्त नमक देने की व्यवस्था की बल्कि प्रोटीनयुक्त चना, सोलर लैम्प, चरण पादुका आदि वस्तुएं देकर उनका विश्वास जीतने की शुरूआत की।
डॉ.सिंह ने कहा कि हमने प्रदेश में जिलों की संख्या 16 से बढ़ाकर 27 की, जिससे आदिवासी अंचलों में 7 नए जिले बने और प्रशासन को जनता के निकट पहुंचाने में मदद मिली। बस्तर और सरगुजा आदिवासी बहुल अंचलों को विश्वविद्यालय, मेडिकल कॉलेज, इंजीनियरिंग कॉलेज जैसी समस्त संस्थाओं से सम्पन्न किया। प्राधिकरण बनाकर स्थानीय विकास की मांगों को तत्काल पूरा किया। अब प्रदेश के सर्वाधिक नवाचार सुकमा, बीजापुर, दंतेवाड़ा, बलरामपुर-रामानुजगंज जैसे जिलों में हो रहे हैं।
उन्होने कहा कि बीजापुर का अस्पताल, दंतेवाड़ा-सुकमा, कोरबा में एजुकेशन हब, बलरामपुर की इंटरनेट कनेक्टिविटी, आदिवासी जिलों में जैविक खेती से लेकर कड़कनाथ मुर्गा पालन और महिलाओं द्वारा ई-रिक्शा चालन जैसे अनेक कार्य नई इबारतें लिख रहे हैं। दंतेवाड़ा, सरगुजा और राजनांदगांव में भी बीपीओ शुरू हो गए हैं, जो न सिर्फ स्थानीय युवाओं को रोजगार दे रहे हैं, बल्कि उनकी प्रतिभा का सही इस्तेमाल करने में भी मददगार हो रहे हैं।
डॉ.सिंह ने कहा कि पढ़ाई का स्तर तेजी से सुधारने और नौनिहालों का भविष्य संवारने के लिए शिक्षाकर्मियों का नियमितिकरण किया। विकासखण्ड मुख्यालयों में ‘इंग्लिश मीडियम शासकीय प्रायमरी तथा मिडिल स्कूल खोलने, व्यावसायिक शिक्षा की व्यवस्था भी स्कूल में करने जैसे कई नए कदम उठाए गए हैं। हमारा युवा जगत अब उत्साह से लबरेज है क्योंकि अब, राष्ट्रीय स्तर के उच्च शिक्षण संस्थान का टोटा खत्म हो गया है। हमारे बच्चों को बाहर जाकर पढ़ने की मजबूरी खत्म हो गई है। आईआईटी, एनआईटी, ट्रिपल आईटी, एम्स, आईआईएम, केन्द्रीय विश्वविद्यालय आदि संस्थानों से प्रेरणा का संचार हो रहा है, जिससे छत्तीसगढ़ ‘शिक्षागढ़’ बन गया है, जहां बाहर के बच्चे भी पढ़ने आते हैं।
उन्होने कहा कि आजाद देश के आजाद नागरिकों का सात दशकों बाद भी बेघर रहना वास्तव में पीड़ादायक है। वो तो अच्छा हुआ कि माननीय मोदी जी ने ‘प्रधानमंत्री आवास योजना’ लागू करके वर्ष 2022 तक सबको आवास देने का लक्ष्य तय कर दिया। वरना पुरानी परिपाटी में 17 हजार मकान ही अगर हर साल बनाए जाते तो पता नहीं कितनी पीढ़ियों को खुले आसमान तले रहना पड़ता। मुझे खुशी है कि छत्तीसगढ़ में 11 लाख से अधिक परिवारों का, ‘अपना घर’ का सपना भी हम पूरा कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि बस्तर को देश और दुनिया से अलग-थलग, एक टापू बनाकर रखा गया था, लेकिन हमने सम्पर्क और संचार सुविधाओं की गंगा बहाकर इसे चारों ओर से जोड़ दिया है। नई सड़कें बनाने से बस्तर, छत्तीसगढ़ के अन्य शहरों के साथ ही पड़ोसी राज्यों से भी जुड़ा है। विरासत में मिली 1 हजार 187 किलोमीटर रेल लाइनों को जब हमने दोगुना से अधिक करने का अभियान छेड़ा तो उसका सर्वाधिक लाभ भी बस्तर को मिला है। रावघाट- दल्लीराजहरा रेल नेटवर्क के जरिए बस्तर में रेल सेवा पहुंच चुकी है। जगदलपुर में हवाई अड्डा तैयार कर वहां उड़ान भी शुरू हो गई है। ‘बस्तर नेट’ के माध्यम से बस्तर संभाग के सातों जिले ‘इंटरनेट कनेक्टिविटी’ से भी जोड़ दिए गए हैं।
डॉ.सिंह ने कहा कि भारत सरकार के सहयोग से छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद के खिलाफ निर्णायक लड़ाई निरंतर सफलता की ओर बढ़ रही है। हमने सुरक्षा बलों की संख्या, गुणवत्ता और मारक क्षमता बढ़ाने के लिए हर संभव उपाय किए हैं। हमने संविधान विरोधी, लोकतंत्र विरोधी, विकास विरोधी, जन विरोधी नक्सलवादियों का चेहरा बेनकाब करने और उनके हौसले पस्त करने में अहम सफलता अर्जित की है, जिससे नक्सलवाद का समूल खात्मा भी अतिशीघ्र हो जाएगा।