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“अपराधियों में हो कानून का भय, जनता को मिले सुरक्षा का अहसास” — मुख्यमंत्री साय

रायपुर, 13 अक्टूबर।छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा है कि प्रदेश में पुलिस की छवि ऐसी होनी चाहिए, जिससे अपराधियों में कानून का भय और आम जनता में सुरक्षा का विश्वास बना रहे।

 मुख्यमंत्री मंत्रालय (महानदी भवन) में आयोजित कलेक्टर-एसपी कॉन्फ्रेंस को संबोधित कर रहे थे।इस महत्वपूर्ण बैठक में राज्य की कानून-व्यवस्था, नशे और मादक पदार्थों पर नियंत्रण, सड़क सुरक्षा, साइबर अपराधों की रोकथाम, और प्रशासनिक समन्वय जैसे अहम मुद्दों पर विस्तृत चर्चा की गई।

   बैठक में गृह मंत्री विजय शर्मा, मुख्य सचिव विकास शील, अतिरिक्त मुख्य सचिव मनोज पिंगुआ, तथा मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव सुबोध कुमार सिंह सहित कई वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

प्रशासनिक समन्वय और जवाबदेही पर जोर

मुख्यमंत्री साय ने कहा कि कानून-व्यवस्था को बनाए रखने में कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक की भूमिका समान रूप से महत्वपूर्ण है। जिन जिलों में प्रशासनिक समन्वय बेहतर है, वहां परिणाम भी सकारात्मक दिखे हैं। उन्होंने साफ़ किया कि लॉ एंड ऑर्डर में लापरवाही को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा, और ऐसी स्थिति में कार्रवाई तय है।

जीरो टॉलरेंस की नीति

मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि सड़क पर उपद्रव, चाकूबाजी और हत्या जैसे जघन्य अपराधों के खिलाफ Zero Tolerance Policy अपनाई जाए।
साथ ही गौ-तस्करी और धर्मांतरण जैसे संवेदनशील मुद्दों पर सख्त निगरानी और दोषियों पर कठोर कार्रवाई के निर्देश दिए गए।

उन्होंने यह भी कहा कि जिन जिलों ने अपराध नियंत्रण में उल्लेखनीय सुधार किया है, वहां के सफल मॉडलों को अन्य जिलों में लागू किया जाए।

नशा और मादक पदार्थ तस्करी पर सख्ती

मुख्यमंत्री साय ने नशा मुक्ति और मादक पदार्थों की तस्करी पर कठोर रुख अपनाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि नशा अपराधों की जड़ है, और इसे समाप्त किए बिना कानून-व्यवस्था को सुधारना संभव नहीं।

  • NCORD के तहत राज्यव्यापी अभियान चलाने,
  • सीमावर्ती जिलों में तस्करी रोकने और
  • NDPS एक्ट के तहत समयबद्ध कार्रवाई सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए।

युवाओं को नशे के दुष्परिणामों से अवगत कराने के लिए जनजागरूकता अभियान चलाने पर भी बल दिया गया।

घुसपैठ और संदिग्ध गतिविधियों पर सख्ती

राज्य में घुसपैठियों की पहचान और नियंत्रण के लिए विशेष STF (स्पेशल टास्क फोर्स) का गठन किया गया है। सीमावर्ती जिलों में गहन जांच और संदिग्ध गतिविधियों पर त्वरित कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा, “अपराधों की अनदेखी, गंभीर अपराधों को जन्म देती है। हर मामले में समयबद्ध और ठोस कार्रवाई अनिवार्य है।”

माओवादियों का पुनर्वास और सशक्तिकरण

बैठक में आत्मसमर्पित माओवादियों के पुनर्वास और आजीविका सशक्तिकरण पर भी चर्चा हुई। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार की पुनर्वास नीति में भरोसा कायम रखना प्राथमिकता है।

माओवादियों को कौशल विकास प्रशिक्षण देकर उन्हें स्थानीय रोजगार या स्वरोजगार से जोड़ा जाएगा, ताकि वे मुख्यधारा में लौटकर सम्मानपूर्वक जीवन जी सकें।

सड़क सुरक्षा और यातायात नियंत्रण

बैठक में सड़क दुर्घटनाओं की रोकथाम के लिए ठोस रणनीति पर चर्चा हुई:

  • ब्लैक स्पॉट्स की पहचान और सुधार
  • नियमों का उल्लंघन करने वालों पर सख्त कार्रवाई
  • रात 10 बजे के बाद लाउडस्पीकर/डीजे पर रोक
  • नशे में वाहन चलाने वालों पर दंडात्मक कार्रवाई
  • सड़क पर आवारा पशुओं से जुड़ी दुर्घटनाओं को रोकने हेतु प्रभावी उपाय

साइबर अपराध पर जागरूकता और तकनीकी प्रशिक्षण

मुख्यमंत्री ने साइबर अपराध को आधुनिक युग का सबसे जटिल खतरा बताया और कहा कि पुलिस बल को निरंतर तकनीकी प्रशिक्षण दिया जाए।

  • साइबर हेल्पलाइन नंबर का प्रचार-प्रसार
  • हर जिले में साइबर जागरूकता अभियान
  • ऑनलाइन फ्रॉड, फिशिंग, और ठगी से नागरिकों को बचाने हेतु सूचना अभियान

“विकसित छत्तीसगढ़” की दिशा में साझा प्रयास

मुख्यमंत्री ने अंत में कहा कि पारदर्शी और जवाबदेह प्रशासन, टीम भावना और साझा उत्तरदायित्व ही “विकसित छत्तीसगढ़” की असली नींव हैं।उन्होंने दो टूक कहा कि योजनाओं की सफलता केवल नीति पर नहीं, बल्कि उन्हें ईमानदारी और समर्पण से लागू करने वाली प्रशासनिक टीम पर निर्भर करती है।