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बालाघाट में अपने ही सांसद से ताल ठोक रही भाजपा – अरुण पटेल

अरूण पटेल

उमा भारती के अति विश्‍वसनीय तथा पूर्व मंत्री भाजपा के डॉ. ढालसिंह बिसेन का 23 प्रत्याशियों के साथ ही असली मुकाबला कांग्रेस, बहुजन समाज पार्टी के साथ ही निर्दलीय प्रत्याशी के रुप में भाजपा सांसद रहे बोधसिंह भगत और सपा से पूर्व विधायक किशोर समरीते से हो रहा है। डॉ. बिसेन की लोकसभा पहुंचने की चाहत इस बात पर निर्भर करेगी कि सांसद बोधसिंह भगत उनके मतों में कितनी सेंध लगाते हैं। बसपा उम्मीदवार कंकर मुंजारे तथा निर्दलीय किशोर समरीते जिनका लोकसभा क्षेत्र के कुछ विधानसभा क्षेत्रों में असर है, वे कांग्रेस के मधु भगत या डॉ. बिसेन में से किसको लोकसभा पहुंचाते हैं या इस घमासान में बसपा के हाथी पर सवार होकर कंकर मुंजारे लोकसभा पहुंच जाते हैं। देखने की बात यही होगी कि सांसद व विधायक रहे तथा एक समय के असरदार रहे समाजवादी नेता कंकर मुंजारे की आज भी क्षेत्र में पहले जैसी पकड़ बरकरार है या नहीं।

इस लोकसभा क्षेत्र में निर्दलियों के साथ ही भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के अली एम.आर. खान, भारतीय शक्ति चेतना पार्टी के अभिषेक बिल्होरे, बहुजन मुक्ति पार्टी के करन सिंह नगपुरे, गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के जयसिंह टेकाम, अम्बेडकर पार्टी आफ इंडिया के मुकेश बंसोड़, प्राउटिस्ट ब्लाक इंडिया के युवराज सिंह वैश्य, भारत प्रभात पार्टी के रंजन मसीह, पीपुल्स पार्टी आफ इंडिया (डेमोक्रेटिक) के बाबू राजेन्द्र ढोके, भारतीय लोकमत राष्ट्रीय पार्टी के सतीश तिवारी तथा मध्य प्रदेश जन विकास परिषद के एडवोकेट सत्यप्रकाश सुल्के (लोधी) सहित दस निर्दलीय भी चुनाव मैदान में हैं जिनमें क्षेत्र के मौजूदा सांसद भगत के अलावा पूर्व विधायक समरीते भी शामिल हैं। यहां 23 उम्मीदवारों में एकमात्र महिला चेहरा श्रीमती मनीषा वैद्य भी अपनी किस्मत आजमा रही हैं।

वैसे बालाघाट की राजनीतिक तासीर को देखा जाए तो यहां कांग्रेस और भाजपा को छोड़कर तीसरी ताकत वाली पार्टियों और निर्दलियों तक को लोकसभा में पहुंचाने का काम मतदाताओं ने किया है। बालाघाट क्षेत्र में चुनावी मुकाबला इस मायने से दिलचस्पी का केन्द्र हो गया है कि यहां से कांग्रेस और भाजपा में से कोई बाजी मारता है या मतदाता किसी तीसरे पर विश्‍वास व्यक्त करते हैं। राजनीतिक दलों की संख्या दिन-प्रतिदिन इतनी बढ़ती जा रही कि उसकी वजह भी यह चुनाव क्षेत्र कुरुक्षेत्र बना हुआ है। इस क्षेत्र में अनेक ऐसे दल हैं जिनके नाम शायद मतदाताओं को पहली बार यहां सुनने को मिलें।  1989 के बाद से इस क्षेत्र. में 8 चुनाव हुए हैं जिनमें से कांग्रेस को केवल 1991 एवं 1996 में दो बार ही जीत का स्वाद चखने को मिला। बदली हुई परिस्थितियों में कमलनाथ के चहेते मधुभगत जीत का परचम यदि लहरा पाये तो ही कांग्रेस को लम्बे अंतराल के बाद इस सीट को फतह करने में सफलता मिल सकती है। पिछले पांच लोकसभा चुनावों से लगातार यहां से भाजपा जीतती आ रही है। उसके जीतने वाले प्रत्याशियों में दो बार गौरीशंकर बिसेन और एक-एक बार प्रहलाद पटेल, के.डी. देशमुख और बोधसिंह भगत शामिल हैं। कंकर मुंजारे की राजनीतिक ताकत का इसी बात से पता चल जाता है कि वे विधायक का चुनाव जीतते रहे और 1989 में उन्होंने बतौर निर्दलीय अन्य उम्मीदवारों के साथ ही जनता दल के उम्मीदवार के.डी. देशमुख को 10 हजार 466 मतों के अन्तर से पराजित कर दिया। कंकर मुंजारे को इस चुनाव में 34.25 प्रतिशत और देशमुख को 32.24 प्रतिशत मत मिले। मुंजारे को 1996 के लोकसभा चुनाव में भी 20.10 प्रतिशत मत मिले थे जबकि 1999 में उनकी पत्नी अनुभा मुंजारे को जनता पार्टी उम्मीदवार के रुप में 9.06 प्रतिशत मत मिले थे। बालाघाट की राजनीति में मुंजारे दम्पत्ति की अपनी अलग हैसियत रही है जबकि समाजवादी पार्टी से किस्मत आजमा रहे किशोर समरीते को 2004 में 2.25 प्रतिशत मत मिले और 2009 में उन्हें 29 हजार 525 मत मिले थे। वैसे समरीते एक बार उपचुनाव में समाजवादी पार्टी की टिकट पर इस क्षेत्र में आने वाली विधानसभा सीट पर विधायक चुने जा चुके हैं।

बालाघाट लोकसभा सीट इस समय प्रदेश की सबसे चर्चित लोकसभा सीट इस मायने में मानी जा सकती है कि भाजपा ने सांसद भगत की टिकट काट कर पूर्व मंत्री बिसेन को दे दी, भगत नाराज हो गए, उन्हें किसी भी सूरत में बिसेन पसंद नहीं हैं। उनकी अदावत पूर्व मंत्री गौरीशंकर बिसेन से जगजाहिर है। दो साल पहले एक सरकारी कार्यक्रम में तत्कालीन मंत्री गौरीशंकर की अपने ही दल के सांसद भगत से झूमाझटकी राष्ट्रीय स्तर की सुर्खियां बनी थी। भगत को यही शिकायत है कि गौरीशंकर ने ही उनकी टिकट कटवाई। मायावती और अखिलेश की पार्टियों का गठबंधन होने के कारण यह सीट इस मायने में महत्वपूर्ण हो गयी है क्योंकि मुंजारे भी एक मजबूत नेता हैं। समरीते जब सपा से निराश हो गए तो उन्होंने चुनाव मैदान में निर्दलीय उम्मीदवार के रुप में ताल ठोंक दी।

 

सम्प्रति-लेखक श्री अरूण पटेल अमृत संदेश रायपुर के कार्यकारी सम्पादक एवं भोपाल के दैनिक सुबह सबेरे के प्रबन्ध सम्पादक है।