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छिंदवाड़ा लोकसभा: नकुल की राह कौन बना रहा है आसान- अरुण पटेल

अरूण पटेल

कांग्रेस के सबसे मजबूत गढ़ छिंदवाड़ा लोकसभा क्षेत्र से मुख्यमंत्री कमलनाथ के बेटे कांग्रेस उम्मीदवार नकुलनाथ की लोकसभा में जाने की राह में वैसे भी कोई विशेष कठिनाई नहीं थी, लेकिन इस सामान्य निर्वाचन क्षेत्र में भाजपा ने आदिवासी नेता और पूर्व भाजपा विधायक नथन शाह कवरेती को चुनाव मैदान में उतारकर एवं गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के उम्मीदवार का चुनाव मैदान से हट जाने से नकुलनाथ की लोकसभा में जाने की राह और अधिक आसान हो गयी है। वैसे भी छिंदवाड़ा कांग्रेस का ऐसा अभेद्य किला है जिसमें एक उपचुनाव को छोड़कर भाजपा कभी भी सेंध नहीं लगा पाई। जहां तक कमलनाथ का सवाल है वे 1980 से लेकर केवल 1996 के आमचुनाव और 1997 के उपचुनाव छोड़कर अभी तक इस क्षेत्र से आसानी से लोकसभा में पहुंचते रहे हैं। 1996 में उनकी पत्नी अलका नाथ यहां से सांसद चुनी गयी थीं और 1997 के उपचुनाव में जो कि अलका नाथ के त्यागपत्र देने के कारण हुआ था उसमें कमलनाथ को प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ भाजपा नेता सुंदरलाल पटवा ने पराजित कर दिया था। कमलनाथ इस क्षेत्र से नौ लोकसभा के आमचुनाव जीत चुके हैं, उनके मुख्यमंत्री बनने के बाद इस सीट से उनके बेटे नकुलनाथ चुनाव मैदान में हैं। छिंदवाड़ा लोकसभा क्षेत्र में अभी तक हुए 15 आमचुनावों में कांग्रेस ही बाजी मारती रही है।

छिंदवाड़ा लोकसभा सीट पर 14 उम्मीदवारों में लगभग सीधा मुकाबला कांग्रेस के नकुलनाथ और भाजपा के नथन शाह कवरेती के बीच है। गोंडवाना गणतंत्र पार्टी उम्मीदवार एडवोकेट राजकुमार सरयाम ने नकुलनाथ के समर्थन में चुनावी मैदान से हटने की घोषणा कर दी है जबकि बसपा के गणेश्‍वर गजभिए चुनावी समर को त्रिकोणात्मक बनाने के लिए चुनावी मैदान में एड़ी-चोटी का जोर लगा रहे हैं, यह मतगणना से ही पता चलेगा कि वे यहां बसपा के लिए कितनी जमीन तलाश पाते हैं। अन्य उम्मीदवारों में अखिल भारतीय गोंडवाना पार्टी के टिकट पर पूर्व विधायक मनमोहन साय बट्टी तथा अहिंसा समाज पार्टी के उम्मीदवार के रुप में राजेश तांत्रिक, राष्ट्रीय आमजन पार्टी के उम्मीदवार एम.पी. विश्‍वकर्मा (मुन्नाप्रसाद) तथा 7 निर्दलीय उम्मीदवार भी चुनाव मैदान में हैं। मनमोहन साय बट्टी को भाजपा उम्मीदवार बनाना चाहती थी लेकिन पार्टी के स्थानीय नेताओं के विरोध के चलते अंतत: बट्टी का भाजपा में प्रवेश नहीं हो सका, इसलिए वे बतौर निर्दलीय चुनाव मैदान में हैं। इस क्षेत्र में 37 फीसदी मतदाता आदिवासी वर्ग के हैं और कांग्रेस अब तक उपचुनाव मिलाकर 16 चुनावों में से 15 में जीत दर्ज करा चुकी है। भाजपा ने 2018 के विधानसभा चुनाव में जुन्नारदेव के तत्कालीन विधायक नथन शाह कवरेती को टिकट नहीं दिया था, लेकिन अनारक्षित छिंदवाड़ा लोकसभा सीट पर आदिवासी वर्ग का उम्मीदवार उतारकर भाजपा ने इस वर्ग को संदेश देने की कोशिश की है कि वह सामान्य क्षेत्र से भी आदिवासी को प्रत्याशी बना रही है। इस क्षेत्र में अनुसूचित जनजाति की आबादी 36.82 प्रतिशत और अनुसूचित जाति की 11.11 प्रतिशत है। छिंदवाड़ा लोकसभा क्षेत्र की 75.84 प्रतिशत आबादी ग्रामीण अंचल में और 24.16 प्रतिशत आबादी शहरी क्षेत्रों में निवास करती है। भाजपा ने यह सोचकर एक आदिवासी प्रत्याशी पर दॉव लगाया कि इससे आदिवासी मतदाताओं का एक बड़े वर्ग को उसे अपने साथ जोड़ने में सफलता मिलेगी।

प्रचंड मोदी लहर 2014 में कमलनाथ ने 50.54 प्रतिशत मत हासिल कर भाजपा के प्रत्याशी चौधरी चन्द्रभान सिंह को 1 लाख 16 हजार 537 मतों के अन्तर से पराजित किया था। छिंदवाड़ा लोकसभा क्षेत्र प्रदेश के उन दो लोकसभा क्षेत्रों में से एक है जहां सात विधानसभा क्षेत्र आते हैं। चौधरी चंद्रभान सिंह पर कमलनाथ ने हर क्षेत्र में बढ़त हासिल की थी। 2018 के विधानसभा चुनाव के बाद अब परिदृश्य यहां बदल गया है और सातों विधानसभा क्षेत्रों में कांग्रेस के उम्मीदवार ही जीते थे। इन क्षेत्रों में कांग्रेस उम्मीदवारों को भाजपा उम्मीदवारों पर 1 लाख 22 हजार 957 मतों की बढ़त मिली हुई है। इस समय प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और मुख्यमंत्री दोनों ही कमलनाथ हैं और वे स्वयं भी छिंदवाड़ा विधानसभा क्षेत्र से उपचुनाव लड़ रहे हैं, इस कारण भी नकुलनाथ को और अधिक समर्थन मिलता नजर आ रहा है। हालांकि एक विधानसभा क्षेत्र में निर्दलीय बट्टी का भी असर रहा है जो एक बार यहां से विधायक भी रह चुके हैं, लेकिन उसके बाद से गोंडवाना गणतंत्र पार्टी टुकड़ों व धड़ों में बंट गयी, फिर भी कुछ न कुछ आदिवासी वोटों में वे सेंध लगायेंगे। इसी प्रकार बहुजन समाज पार्टी के उम्मीदवार भी दलित वोट अपनी ओर खींचने का प्रयास करेंगे। इस लोकसभा क्षेत्र के सात विधानसभा क्षेत्रों में से छिंदवाड़ा एक ऐसी विधानसभा सीट है जिसके मतदाता दो वोट एक साथ देकर सांसद और विधायक को चुनेंगे।

 

सम्प्रति-लेखक श्री अरूण पटेल अमृत संदेश रायपुर के कार्यकारी सम्पादक एवं भोपाल के दैनिक सुबह सबेरे के प्रबन्ध सम्पादक है।