होशंगाबाद संसदीय क्षेत्र अक्सर देशव्यापी आकर्षण का केन्द्र रहा है क्योंकि यहां से दिग्गज नेता चुनावी समर में उतरते रहे हैं। सैयद अहमद मूसा, हरिविष्णु कामथ, मगनलाल बागड़ी, रघुनाथ सिंह किलेदार, चौधरी नीतिराज सिंह, सुंदरलाल पटवा, अर्जुन सिंह, रामेश्वर नीखरा और सरताज सिंह जैसे दिग्गज चेहरे यहां के चुनावी समर में अपनी किस्मत आजमा चुके हैं। होशंगाबाद का राजनीतिक महत्व कितना है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि श्रीमती इंदिरा गांधी ने कई लोकसभा चुनाव में यहां कांग्रेस प्रत्याशी के पक्ष में चुनाव प्रचार किया और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी इटारसी में इस चुनाव में भाजपा उम्मीदवार के लिए वोट मांग चुके हैं। पिपरिया में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी कांग्रेस उम्मीदवार के पक्ष में वातावरण बनाने के लिए आमसभा कर चुके हैं। होशंगाबाद संसदीय क्षेत्र की पुरानी तासीर को देखा जाए तो यहां चुनावी समर में पहली बार उतरने वाले उम्मीदवारों ने जीत का परचम लहराते हुए सांसद या पूर्व सांसद को पराजित किया है। चौधरी नीतिराज सिंह ने पहला चुनाव हरिविष्णु कामथ के विरुद्ध लड़ा जो देश की राजनीति में चर्चित और स्थापित नाम के साथ सांसद भी थे, उन्हें पराजित कर नीतिराज सिंह ने राष्ट्रीय फलक पर अपनी अलग पहचान बनाई एवं इंदिरा गांधी के मंत्रिमंडल में बतौर राज्यमंत्री भी शामिल हुए। रघुनाथ सिंह किलेदार पहली बार चुनावी समर में जब उतरे तो उन्होंने लोकसभा के उपचुनाव में हरिविष्णु कामथ को पराजित किया। अलग-अलग पार्टियों के उम्मीदवार के रुप में दो बार लोकसभा पहुंचे राव उदय प्रताप सिंह का चुनावी मुकाबला इस बार इस संसदीय सीट के लिए राजनीति के मैदान में नये नवेले दीवान शैलेंद्र सिंह से हो रहा है। चुनाव परिणाम से ही यह पता चलेगा कि एक नये चेहरे के रुप में सांसद को पराजित कर कांग्रेस के दीवान शैलेंद्र सिंह लोकसभा में पहुंच पाते हैं या नहीं। होशंगाबाद संसदीय क्षेत्र में सरताज सिंह को छोड़ दिया जाए तो केवल चौधरी नीतिराज सिंह और रामेश्वर नीखरा कांग्रेस से और उदयप्रताप ही लगातार दो-दो बार कांग्रेस और भाजपा से लोकसभा चुनाव जीते हैं। देखने की बात यह होगी कि उदयप्रताप सरताज सिंह की तरह रिकार्ड बनाने की दिशा में आगे बढ़ते हैं या दो बार जीतने का ही रिकार्ड उनके नाम रहता है।
1989 से लेकर 2014 तक आठ लोकसभा चुनाव हुए हैं जिनमें से पांच बार सरताज सिंह, एक बार सुंदरलाल पटवा, एक बार राव उदयप्रताप सिंह भाजपा उम्मीदवार के रुप में चुनाव जीते। केवल 2009 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार के रुप में उदयप्रताप ने भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री रामपाल सिंह को 18 हजार 975 मतों से पराजित कर चुनाव जीता था। इस चुनाव में उदयप्रताप पूरे संसदीय क्षेत्र के लिए नया नाम था हालांकि वे 2008 का विधानसभा चुनाव कांग्रेस प्रत्याशी के रुप में जीत चुके थे लेकिन पहली बार लोकसभा चुनाव में उतर कर उन्होंने भाजपा के रामपाल सिंह को पराजित किया। ग्यारह कोणीय मुकाबले में लगभग सीधी कांटेदार चुनावी लड़ाई सांसद उदयप्रताप और कांग्रेस के दीवान शैलेंद्र के बीच हो रही है।
होशंगाबाद लोकसभा क्षेत्र के मतदाता तमाम अनुमानों व अटकलों के विपरीत अपना फैसला सुनाने के आदी रहे हैं और कई बार ऐसे नतीजे आये जबकि जीतते हुए कोई नजर आता था और चुनाव कोई दूसरा जीत जाता था। शैलेंद्र सिंह के पक्ष में सबसे मजबूत पहलू यह है कि वे राजनीति के मैदान में पहली बार उतर रहे हैं और दूसरे उनके पिता दीवान चन्द्रभान सिंह दिग्विजय सिंह मंत्रिमंडल में राज्यमंत्री थे तथा वे प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और मुख्यमंत्री कमलनाथ के समर्थक माने जाते थे। उनके बेटे शैलेंद्र भी कमलनाथ की पसंद बताये जाते हैं। जिस नये चेहरे पर कमलनाथ ने यहां से दांव लगाया है वह उनकी उम्मीदों पर कितना खरा उतरते हैं ये देखने वाली बात होगी। जातिगत समीकरणों के चलते हुए भी दीवान शैलेंद्र सिंह का पलड़ा कुछ भारी है क्योंकि नरसिंहपुर जिले में लोधियों का एक बड़ा वोट बैंक हैं। यदि शैलेंद्र के पक्ष में जातिगत समीकरण कुछ मजबूत नजर आता है तो वहीं दूसरी ओर भाजपा के राव उदयप्रताप के पक्ष में जो चार विधानसभा क्षेत्र होशंगाबाद जिले में आते हैं उनमें भाजपा की मजबूत पकड़ है और नरसिंहपुर विधानसभा क्षेत्र में भी भाजपा का अच्छा-खासा असर है, तो वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम का भी फायदा भी उन्हे हो सकता है। चूंकि भाजपा और कांग्रेस के उम्मीदवार एक ही विधानसभा क्षेत्र के रहने वाले हैं इसलिए नरसिंहपुर जिले में किसका पलड़ा कितना भारी रहता है और होशंगाबाद के चार क्षेत्रों में कौन किस पर कितना भारी पड़ता है तथा उदयपुरा के मतदाता किसका साथ देते हैं इस पर ही चुनाव परिणाम निर्भर करेगा।
होशंगाबाद लोकसभा क्षेत्र में नरसिंहपुर जिले के तीन, होशंगाबाद जिले के चार और रायसेन जिले का एक विधानसभा क्षेत्र आता है। उदयप्रताप ने भाजपा उम्मीदवार के रुप में कांग्रेस के देवेंद्र पटेल गुड्डू भैया को 2014 के चुनाव में 3 लाख 89 हजार 960 मतों के भारी अन्तर से पराजित किया था। हाल के विधानसभा चुनाव के बाद इस क्षेत्र में तीन कांग्रेस और पांच भाजपा के विधायक हैं। उदयप्रताप को 2014 के लोकसभा चुनाव में आठों विधानसभा क्षेत्रों में काफी भारी-भरकम बढ़त मिली थी जो कि 2018 के विधानसभा चुनाव में घटकर केवल 44 हजार 662 मतों की रह गयी है, कांग्रेस को उम्मीद है कि इस बढ़त को वह अपने लोधी उम्मीदवार के सहारे पाट सकती है, जबकि भाजपा को भरोसा है उदयप्रताप आसानी से दांव जीत लेंगे।
सम्प्रति-लेखक श्री अरूण पटेल अमृत संदेश रायपुर के कार्यकारी सम्पादक एवं भोपाल के दैनिक सुबह सबेरे के प्रबन्ध सम्पादक है।